शिमला: हिमाचल विधानसभा का मानसून सत्र शुक्रवार को अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गया. इस बार मानसून सत्र कुल मिलाकर 46 घंटे 11 मिनट तक चला. इस सत्र के दौरान कुल 402 तारांकित तथा 184 अतारांकित प्रश्नों की सूचनाओं पर सरकार द्वारा उत्तर उपलब्ध करवाए गए.
मानसून सत्र के दौरान कुल 10 बैठकें आयोजित की गई. 5 अगस्त व 12 अगस्त के दिन गैर सरकारी कार्य दिवस के लिए निर्धारित किए गए थे. नियम-46 के अन्तर्गत एक प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ, जिस पर मंत्री द्वारा अपने सुझाव दिए गए. नियम-61 के अन्तर्गत 3 विषयों, नियम-62 के अन्तर्गत 13 विषयों व नियम-130 के अन्तर्गत 5 प्रस्तावों पर माननीय सदस्यों ने सार्थक चर्चा की.
इसके अतिरिक्त नियम-101 के अन्तर्गत 4 गैर-सरकारी संकल्प प्रस्तुत हुए और चर्चा की. माननीय सदस्यों ने अपने बहुमुल्य सुझाव दिये व संकल्प वापिस लिए गए. एक संकल्प सदन द्वारा पारित किया गया. सत्र के दौरान 2 सरकारी विधेयक पर सार्थक चर्चा हुई. जिनमें से एक विधेयक पर सदस्यों से संशोधन भी प्राप्त हुए. उसके उपरान्त उस विधेयक को प्रवर समिति को सौंपा गया. एक विधेयक सदन द्वारा पारित किया गया.
नियम-324 में विशेष उल्लेख के माध्यम से 12 विषय सभा में उठाए गए तथा सरकार द्वारा इस संबंध में वस्तुस्थिति की सूचना सभा व माननीय सदस्यों को दी गई. सभा की समितियों ने भी 29 प्रतिवेदन सभा में उपस्थापित किए. इसके अतिरिक्त मंत्रियों द्वारा अपने-अपने विभागों से संबंधित दस्तावेज भी सभा पटल पर रखे गए और महत्वपूर्ण वक्तव्य भी दिए गए.
इस सत्र के दौरान प्रथम दिन सदस्यों द्वारा छह बार के मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय वीरभद्र सिंह, मुख्य सचेतक स्वर्गीय नरेंद्र बरागटा को सदन में श्रद्धांजलि दी गई. वहीं, विधानसभा के पूर्व सदस्यों, जिनका पिछले सत्र के बाद निधन हुआ था उनको भी श्रद्धांजलि दी गई. इसके अतिरिक्त पिछले एक महीने में भारी वर्षा के कारण जहां नदियां उफान पर थी, वहीं प्रदेश के कई जिलों में भारी भूस्खलन तथा पहाड़ दरकने की घटना हुई है. इससे जहां सड़कों, पुलों तथा फसलों को भारी नुकसान हुआ है, वहीं बहुत सी बेशकीमती जिंदगियों को खोया है. यह बहुत ही कष्टदायक तथा अपूरणीय क्षति है.
विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने कहा कि यह बहुत ही गम्भीर तथा चिंता से परिपूर्ण विषय है. हम सभी को इस पर गहन विचार करने की आवश्यकता है. हमें इसका हल निकालना ही होगा. विशेषकर जिस तरह बिना बरसात के जिला किन्नौर के पहाड़ दरक रहे हैं. यह बेहद भयानक है, इससे भयावह स्थिति उत्पन्न हुई है. उन्होंने अपनी तथा सदन की ओर से उन सभी परिवारों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की है, जिन्होंने अपनों को खोया है.
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