शिमला: किसानों और लोगों के लिए परेशानी बने बंदर अब हिमाचल में कम होने लगे हैं. प्रदेश में बंदरों की आबादी में 50 फीसदी तक कमी आई है और पिछले 7 सालों में बंदरों की संख्या साढ़े तीन लाख से घटकर 1.36 लाख रह गई है. राज्य में बंदरों की आबादी में 50 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. इसके अलावा प्रदेश में बंदरों के झुंडों में भी कमी आई है और उनके घनत्व हॉट स्पॉट भी 263 से घटकर 226 रह गए हैं. प्रदेश में बंदरों की आबादी को कम करने के लिए विभाग द्वारा किए गए (Monkey population decreased in Himachal) विभिन्न प्रयासों को कारण बताया गया है. तमिलनाडु के कोयंबटूर के सलीम अली सेंटर फॉर ऑनिथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री द्वारा साल 2020 में की गई बंदरों की गणना में यह बात सामने आई है. वन विभाग के मुताबिक मौजूदा वक्त में बंदरों की संख्या में और भी कमी दर्ज हो सकती है. अगली गणना में इसकी सटीक जानकारी मिल पाएगी.
हिमाचल वन विभाग के प्रधान मुख्य संरक्षक (पीसीसीएफ) वन्यजीव राजीव कुमार ने बताया कि हिमाचल के लोग वन्य प्राणी प्रेमी हैं. लोग वन्य प्राणियों के बारे में जाने जिसके लिए जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है. हिमाचल में तेंदुआ, भालू व बंदरों के बीच संघर्ष रहता है. जिनमें बंदरों से ज्यादा परेशानी है. उन्होंने कहा कि वन विभाग की वन्यजीव शाखा की बहुआयामी रणनीति के तहत नसबंदी सहित बंदरों की आबादी में गिरावट दर्ज की गई है.
रिपोर्ट के अनुसार, विभिन्न (monkeys in himachal) उपायों जैसे नसबंदी, बेहतर कचरा प्रबंधन, व्यापक जन जागरूकता अभियान से बंदरो की आबादी में गिरावट दर्ज की जा रही है. प्रदेश में जहा पहले साढ़े तीन लाख बंदर थे वहीं, अब 1 लाख 36 हजार रह गई है. राजीव कुमार ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में बंदरों की संख्या में कमी आई है. शहरी इलाकों में गंदगी व खाने के लिए अब भी बंदर झपटते हैं. गांव के मुकाबले शहरों में बंदर अभी भी ज्यादा हैं. राज्य में आठ बंदर नसबंदी केंद्र हैं, जहां हर साल 35,000 बंदरो की नसबंदी की जाती है. अब तक पौने दो लाख बंदरों की नसबंदी की जा चुकी है.
91 तहसीलों और शिमला शहरी क्षेत्र में बंदरों को किया है वर्मिन घोषित: हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में बंदर किसानों और लोगों के लिए परेशानी का सबब बन हुए हैं. बंदर किसानों की फसलों को तबाह कर रहे हैं जिसको देखते हुए सरकार ने 91 तहसीलों, उप तहसीलों और नगर निगम शिमला में बंदरों को वर्मिन घोषित किया गया और कई जगहों पर लोगों ने बंदरों को मारा भी है. जिससे बंदरों की संख्या में कमी भी आई है. जिससे कुछ हद तक ग्रामीण क्षेत्रों में बंदरों के उत्पात से किसानों को राहत मिली है.
शिमला शहर में काटने के मामले आते हैं सामने: शिमला शहर में बंदरों के आतंक से अभी भी लोग परेशान हैं. आए दिन बंदरों के काटने के मामले भी सामने आते हैं. शहर के खास कर माल रोड रिज मैदान पर बंदरों के झुंड नजर आते हैं और पर्यटकों पर झपट पड़ते हैं. इसके अलावा सामान भी छीन लेते हैं. शिमला में जाखू मंदिर में ही ज्यादा बंदर देखे जाते थे, लेकिन अब शहर की तरफ बंदरों ने रुख किया हुआ है. हालांकि नगर निगम द्वारा शहर में बंदरों को पकड़ने के लिए अभियान भी चलाया था, लेकिन बंदरों के आतंक से छुटकारा नहीं मिल रहा है. शहर में बंदर लोगों को ब्लैकमेल भी करते हैं. लोगो के चश्मे चुराकर बंदर भाग जाते हैं और खाने के लिए कुछ देने पर ही वापस देते हैं.
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