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MLA Jagat Singh Negi बोले, मुख्यमंत्री ये न सोचें कि जनजातीय क्षेत्र के विधायक को डराकर चुप करा दिया जाएगा

विधायक जगत सिंह नेगी ने कहा कि MLA Kinnaur on jairam thakur व्यवहार को लेकर उन्हें मुख्यमंत्री से सर्टिफिकेट लेने की आवश्यकता नहीं है. मुख्यमंत्री उन्हें डरा धमका कर नहीं रोक सकते हैं. यह उनका संवैधानिक अधिकार है. हुआ यूं कि हिमाचल विधानसभा मानसून सत्र के अंतिम दिन सदन में मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी MLA Jagat Singh Negi में तीखी नोकझोंक देखने को मिली. पढ़ें पूरी खबर...

MLA Jagat Singh Negi on CM Jairam
विधायक जगत सिंह नेगी
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Published : Aug 13, 2022, 4:35 PM IST

शिमला: हिमाचल विधानसभा मानसून सत्र (Himachal Assembly monsoon session) के अंतिम दिन सदन में मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी (MLA Jagat Singh Negi) में तीखी नोकझोंक देखने को मिली. जगत नेगी द्वारा सदन में किन्नौर में जिला उपायुक्त द्वारा की जा रही अनदेखी को लेकर विधायक के अधिकार का मामला सदन में उठाया और विधानसभा अध्यक्ष से विधायक के अधिकार के संरक्षण की मांग की.

इस दौरान मुख्यमंत्री जयराम जवाब (MLA Jagat Singh Negi on CM Jairam) देने के लिए खड़े हुए तो विधायक जगत सिंह नेगी ने विधानसभा अध्यक्ष से जवाब देने का आग्रह किया और कहा कि ये सवाल सरकार से नहीं है. विधानसभा अध्यक्ष इस पर संज्ञान लें. जिस पर मुख्यमंत्री भड़क गए और जगत नेगी को बदतमीज तक कह दिया. वहीं, कांग्रेस विधायक जगत नेगी ने कहा कि मुख्यमंत्री को वक्तव्य देना था संभल कर देते. लगता है कि उन्होंने मुख्यमंत्री की दुखती रग छेड़ दी है. जिस पर वे भड़क गए.

वीडियो.

विधायक जगत सिंह नेगी ने कहा कि जो मामला सदन में उठाया था वे सरकार या मुख्यमंत्री से नहीं था ये विधायक का विशेषाधिकार का मामला था. जो जिला के उपायुक्त के खिलाफ था. मुख्यमंत्री को पार्टी बनने की इसमें आवश्यकता नहीं थी. न ही टिप्पणी करने की. इस तरह की टिप्पणी करके सीएम जांच को प्रभावित करना चाह रहे थे. विधायक जगत सिंह नेगी ने कहा कि सदन में मुख्यमंत्री से इस तरह के व्यवहार की आशा नहीं की जा सकती है.

वहीं, विधायक जगत सिंह नेगी ने कहा कि (MLA Kinnaur on jairam thakur) व्यवहार को लेकर उन्हें मुख्यमंत्री से सर्टिफिकेट लेने की आवश्यकता नहीं है. मुख्यमंत्री उन्हें डरा धमका कर नहीं रोक सकते हैं. यह उनका संवैधानिक अधिकार है. मुख्यमंत्री इस तरह से कई बार कर चुके हैं. जब भी मोदी के खिलाफ बोलते हैं तो मुख्यमंत्री को बातें चुभती हैं. मुख्यमंत्री सोचते हैं कि एक जनजातीय क्षेत्र के विधायक को डरा धमकाकर चुप कर दिया जाएगा, लेकिन वे चुप रहने वाले नहीं हैं और यदि इस तरह की भाषा सदन के अंदर दोबारा से प्रयोग की जाती है तो इसका जवाब भी उसी तरह से दिया जाएगा.

ये भी पढे़ं- धर्मशाला में Azadi Ka Amrit Mahotsav के उपलक्ष्य में साइकिल रैली का आयोजन, भारत माता की जय के नारों से गूंजा जिला कांगड़ा

शिमला: हिमाचल विधानसभा मानसून सत्र (Himachal Assembly monsoon session) के अंतिम दिन सदन में मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी (MLA Jagat Singh Negi) में तीखी नोकझोंक देखने को मिली. जगत नेगी द्वारा सदन में किन्नौर में जिला उपायुक्त द्वारा की जा रही अनदेखी को लेकर विधायक के अधिकार का मामला सदन में उठाया और विधानसभा अध्यक्ष से विधायक के अधिकार के संरक्षण की मांग की.

इस दौरान मुख्यमंत्री जयराम जवाब (MLA Jagat Singh Negi on CM Jairam) देने के लिए खड़े हुए तो विधायक जगत सिंह नेगी ने विधानसभा अध्यक्ष से जवाब देने का आग्रह किया और कहा कि ये सवाल सरकार से नहीं है. विधानसभा अध्यक्ष इस पर संज्ञान लें. जिस पर मुख्यमंत्री भड़क गए और जगत नेगी को बदतमीज तक कह दिया. वहीं, कांग्रेस विधायक जगत नेगी ने कहा कि मुख्यमंत्री को वक्तव्य देना था संभल कर देते. लगता है कि उन्होंने मुख्यमंत्री की दुखती रग छेड़ दी है. जिस पर वे भड़क गए.

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विधायक जगत सिंह नेगी ने कहा कि जो मामला सदन में उठाया था वे सरकार या मुख्यमंत्री से नहीं था ये विधायक का विशेषाधिकार का मामला था. जो जिला के उपायुक्त के खिलाफ था. मुख्यमंत्री को पार्टी बनने की इसमें आवश्यकता नहीं थी. न ही टिप्पणी करने की. इस तरह की टिप्पणी करके सीएम जांच को प्रभावित करना चाह रहे थे. विधायक जगत सिंह नेगी ने कहा कि सदन में मुख्यमंत्री से इस तरह के व्यवहार की आशा नहीं की जा सकती है.

वहीं, विधायक जगत सिंह नेगी ने कहा कि (MLA Kinnaur on jairam thakur) व्यवहार को लेकर उन्हें मुख्यमंत्री से सर्टिफिकेट लेने की आवश्यकता नहीं है. मुख्यमंत्री उन्हें डरा धमका कर नहीं रोक सकते हैं. यह उनका संवैधानिक अधिकार है. मुख्यमंत्री इस तरह से कई बार कर चुके हैं. जब भी मोदी के खिलाफ बोलते हैं तो मुख्यमंत्री को बातें चुभती हैं. मुख्यमंत्री सोचते हैं कि एक जनजातीय क्षेत्र के विधायक को डरा धमकाकर चुप कर दिया जाएगा, लेकिन वे चुप रहने वाले नहीं हैं और यदि इस तरह की भाषा सदन के अंदर दोबारा से प्रयोग की जाती है तो इसका जवाब भी उसी तरह से दिया जाएगा.

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