शिमला: जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है कई राज्यों में बिजली संकट गहराता (Many states facing power crisis ) जा रहा है. बिजली की मांग और कोयले की कमी के कारण कुछ राज्यों में बिजली के कट लगने भी शुरू हो गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक देश के बिजली संयंत्रों में कोयला भंडार बीते एक दशक के न्यूनतम स्तर पर है. बढ़ती गर्मी के साथ बिजली की मांग भी बढ़ेगी और मुश्किलें भी, इस बीच ऊर्जा राज्य के रूप में हिमाचल प्रदेश में क्या है बिजली उत्पादन का हाल ?
ऊर्जा राज्य- हिमाचल प्रदेश में 27 हजार मेगावाट से अधिक विद्युत उत्पादन की क्षमता है, इस समय 10,600 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. हिमाचल की नई ऊर्जा नीति (new power policy of himachal) में 2030 तक मौजूदा उत्पादन से 10 हजार मेगावाट अतिरिक्त बिजली उत्पादन का लक्ष्य है. वर्तमान हिमाचल बिजली बोर्ड नॉर्दन ग्रिड से 4.50 रुपये से लेकर 5 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदता है. हिमाचल में हिमऊर्जा के तहत 89 माइक्रो एवं मिनी जल विद्युत परियोजनाओं से 331 मेगावाट बिजली पैदा होती है.
बिजली का उत्पादन- हिमाचल में कई छोटी बड़ी निजी और सरकार द्वारा संचालित विद्युत परियोजनाएं (Power Projects in himachal) हैं. हिमाचल में निजी विद्युत उत्पादकों से राज्य को 12 प्रतिशत बिजली का शेयर मिलता है. हिमाचल में गर्मियों में रोजाना औसतन 325 से 330 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन होता है. प्रदेश में गर्मियों के दौरान औसतन प्रतिदिन 301 लाख यूनिट बिजली की खपत होती है. हिमाचल में रोजाना 200 लाख यूनिट बिजली औद्योगिक क्षेत्र में प्रयोग में आती है. गर्मियों में सरप्लस बिजली होने पर जून में हिमाचल सरकार बैंकिंग के जरिए देश के अन्य राज्यों को बिजली देती है.
क्या है ये बैंकिंग व्यवस्था- इस सिस्टम के तहत उर्जा का लेन-देन ही होता है. हिमाचल प्रदेश जरूरत पडऩे पर देश के मैदानी इलाकों को बिजली (surplus power generation in Himachal) देता है. सर्दियों में हिमाचल में बिजली की खपत बढ़ जाती है ऐसे में हिमाचल उन राज्यों से बिजली वापस लेता है जिन्हें मॉनसून या गर्मियों में बिजली दी गई थी. ये बैंकिंग सिस्टम इसलिए भी अपनाया गया है, क्योंकि कई राज्य बिजली तो खरीद लेते थे, लेकिन उसकी रकम वक्त पर नहीं चुकाते थे. बैंकिग सिस्टम के अलावा हिमाचल बिजली बेचता भी है.
इन राज्यों को दी जा रही है बिजली- गर्मियों में बर्फ पिघलने पर जल स्तर बढ़ने और बरसात में बिजली उत्पादन अधिक होता है. ऐसे वक्त में सरप्लस बिजली मैदानी राज्यों को दी जाती है. हिमाचल प्रदेश इस साल मानसून सीजन में 300 मिलियन यूनिट से अधिक बिजली पंजाब, दिल्ली आदि राज्यों को देगा. बाद में हिमपात के दौरान राज्य ये बिजली वापिस ले लेता है. जुलाई से अक्टूबर आरंभ तक हिमाचल देश के राज्यों को बिजली देता है और नवंबर से मार्च तक वापिस लेता है. बैंकिंग सिस्टम के माध्यम से अभी इस समय हिमाचल दिल्ली को 500 मिलियन यूनिट और पंजाब को 35 मिलियन यूनिट बिजली दे रहा है.
बिजली से होती है हिमाचल की कमाई- हिमाचल प्रदेश ने 2019 में अरूणाचल प्रदेश को 2500 मिलियन यूनिट से अधिक बिजली बेची (Himachal earning from electricity) थी. बिजली की ये बिक्री 13 महीने तक की गई और इससे हिमाचल प्रदेश को सौ करोड़ रुपए की आय हुई. इसके लिए दोनों सरकारों के बीच बाकायदा एमओयू हुआ था. हिमाचल ने अरुणाचल प्रदेश को 4.20 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली बेची थी.
एमओयू होने के अगले ही साल यानी 2020 में ये सप्लाई की गई थी. इससे पहले 2012 में इसी तर्ज पर हिमाचल ने पश्चिम बंगाल को भी बिजली बेची थी. वर्ष 2018 की बात करें तो हिमाचल प्रदेश ने तीस लाख यूनिट बिजली दिल्ली की दो कंपनियों को बेची थी. यमुना पावर लिमिटेड को 24 लाख यूनिट और राजधानी पॉवर लिमिटेड को 6 लाख यूनिट बिजली बेची गई. यही नहीं, उत्तर प्रदेश और बिहार को भी 4.5 लाख यूनिट बिजली बेची गई.
इस बार गर्मियां जल्दी शुरू होने का फायदा- गर्मियां जल्दी शुरू होने के कारण इस बार प्रदेश की जल विद्युत परियोजनाओं से बिजली का उत्पादन बढ़ गया है. प्रदेश की लगभग सभी जल विद्युत परियोजनाओं में सरप्लस उत्पादन हो रहा है. हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड करीब 499.5 मेगावाट बजली उत्पादन करता है. बोर्ड के कुल 26 लाख उपभोक्ता हैं जिनमें से 18 लाख घरेलू उपभोक्ता हैं बाकी औद्योगिक व अन्य हैं.
देश की सबसे बड़ी जल विद्युत संस्थाओं में से एक सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) लिमिटेड की बिजली परियोजनाओं में उत्पादन 30% तक बढ़ गया है. इस वर्ष गर्मियों का मौसम जल्द शुरू होने से बर्फ भी समय से पहले पिघलने लगी है. नदियों का जल स्तर अधिक है तो बिजली उत्पादन भी अधिक होगा. मार्च 2021 के मुकाबले एसजेवीएन ने इस वर्ष मार्च में 280 मिलियन यूनिट से ज्यादा बिजली उत्पादन किया. जबकि सामान्य दिनों में इस दौरान बिजली उत्पादन 240 से 245 मिलियन यूनिट रहता है.
इसके अलावा ब्यास और सतलुज सहित हिमालयी क्षेत्रों से निकलने वाली नदियों में पिछले कुछ दिनों से पानी दोगुना हो गया है. करीब दो सप्ताह पहले तक ब्यास नदी में पानी की आवक 2500 क्यूसेक के आसपास थी. अप्रैल महीने की शुरुआत में ही पानी की आवक 5000 क्यूसेक तक पहुंच गई थी. राज्य विद्युत परिषद के करीब 22 छोटे बड़े प्रोजेक्टों में सालाना 2013.48 मिलियन यूनिट व बीबीएमबी के प्रोजेक्टों में 92990 लाख यूनिट बिजली उत्पादन का तय लक्ष्य था. परिषद के प्रोजेक्टों में करीब 50 मिलियन यूनिट, बीबीएमबी के प्रोजेक्टों में 4464 लाख यूनिट व एसजेवीएन के प्रोजेक्टों में पिछले साल के मुकाबले 30 प्रतिशत अधिक बिजली का उत्पादन हुआ है.
बिजली उत्पादन, खपत और सरप्लस के लिए टेंडर- राज्य विद्युत परिषद के पनविद्युत प्रोजेक्टों में रोजाना करीब 140 लाख यूनिट बिजली उत्पादन हो रहा है. विभिन्न केंद्रीय शेयर से हिमाचल को करीब इतनी बिजली मिल रही है. रायल्टी आदि को मिलाकर रोज कुल बिजली उत्पादन 350 लाख यूनिट है. घरेलू व उद्योगों में रोजाना 310 लाख यूनिट बिजली की खपत हो रही है. गर्मी के साथ बिजली की मांग धीरे-धीरे बढऩे लगी है. प्रदेश में घरेलू बिजली की मांग 100 लाख यूनिट व उद्योगों की 210 लाख यूनिट प्रतिदिन रहती है.
प्रदेश सरकार मई के बाद से पड़ोसी राज्यों को बैंकिंग के लिए बिजली देगा. बीबीएमबी के भाखड़ा व पौंग बांध के कैचमेंट क्षेत्र में 2021-22 में पिछले साल के मुकाबले अधिक बारिश हुई है. भाखड़ा बांध के कैचमेंट में 1106 व पौंग बांध में 1699 मिलीमीटर बारिश हुई है. 2020-21 में भाखड़ा बांध के कैचमेंट में साल भर में 874 व पौंग बांध में 1283 मिलीमीटर बारिश हुई थी.
हिमाचल में 27436 मैगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता है. अपनी जरूरत से अधिक बिजली होने के कारण हिमाचल देश के अन्य राज्यों को बिजली की आपूर्ति करता है. मानसून सीजन में हिमाचल की बिजली देश के अन्य राज्यों को रोशन करती है. अमूमन हिमाचल प्रदेश जुलाई महीने में बिजली बेचता है. चूंकि इस समय नदियों में जलस्तर भी अच्छा होता है. राज्य में बिजली बेचने का जिम्मा ऊर्जा निदेशालय के पास होता है. इस बार प्रदेश ने 300 मिलियन यूनिट से अधिक बिजली बेचने का लक्ष्य रखा है. इसी सप्ताह टेंडर ओपन होंगे. उर्जा निदेशालय ने इसके लिए 25 जून का समय तय किया है.
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