शिमला: चुनावी साल में हिमाचल की राजनीतिक जंग रोचक होने लगी है. कांग्रेस ने हिमाचल में पार्टी की बागडोर प्रतिभा सिंह के हाथ (Himachal Congress President Pratibha Singh) थमाई है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश में अब चर्चा हो रही है कि प्रतिभा सिंह भाजपा के मिशन रिपीट (BJP Mission Repeat in Himachal) को मिशन डिलीट में बदल पाएंगी या नहीं. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद प्रतिभा सिंह ने प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से कहा है कि हिमाचल में चुनाव के दौरान वीरभद्र सिंह की छवि और मॉडल अहम फैक्टर रहेगा.
वैसे तो छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल में दशकों से राजनीति भाजपा और कांग्रेस के आसपास घूमती रही है. लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी ने सक्रियता जरूर बढ़ाई है. भाजपा और कांग्रेस के नेता बार-बार यही कह रहे हैं कि चुनाव में मुकाबला दोनों दलों के बीच ही रहेगा. कुछ समय पहले जब आम आदमी पार्टी ने मंडी में रोड शो किया तो फोकस आम आदमी पार्टी की तरफ होने लगा. भाजपा भी आम आदमी पार्टी की उकसावे वाली राजनीति के चंगुल में उलझती नजर आई. यहां तक कि कुछ सभाओं में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर आम आदमी पार्टी के बारे में बातें करते नजर आए. हालांकि भाजपा यही दोहराती रही कि उनका मुकाबला कांग्रेस के साथ ही है.
प्रतिभा सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस के अंदरूनी समीकरणों पर नजर डालना जरूरी है. प्रतिभा सिंह बेशक सांसद रही हैं और वर्तमान में भी मंडी लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, लेकिन उनके पास संगठन को चलाने का खास अनुभव नहीं है. ऐसे में पार्टी हाईकमान ने उनकी मदद के लिए चार कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त किए हैं. यह बात अलग है कि भाजपा इसे लेकर तंज कस रही है कि एक परिवार के एक से अधिक मुखिया होने पर बिखराव अवश्य होता है.
प्रतिभा सिंह के लिए शिमला मे 5 मई को स्वागत समारोह: फिलहाल अध्यक्ष बनने के बाद 5 मई को शिमला में प्रतिभा सिंह का स्वागत होगा. उस दौरान कांग्रेस नेताओं की एकजुटता से पार्टी का आगामी संकेत दिखाई देगा. यह तो तय है कि विधानसभा चुनाव के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह के नाम को भुनाया जाएगा. कांग्रेस सहानुभूति लहर को अवश्य प्रयोग करेगी. हाईकमान भी इस बात से परिचित है कि हिमाचल की जनता में अभी भी वीरभद्र सिंह की छवि का प्रभाव है.
राज्य में 68 विधानसभा क्षेत्रों में कम से कम 30 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां वीरभद्र सिंह की छवि प्रभावी है. शिमला, सोलन, कुल्लू, मंडी, सिरमौर के अलावा किन्नौर और कांगड़ा तक कई विधानसभा क्षेत्रों में ग्रामीण इलाके अभी भी वीरभद्र सिंह के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े हैं. प्रतिभा सिंह में लोग वीरभद्र सिंह की छवि देखेंगे, ऐसा कांग्रेस के आम कार्यकर्ता का भी मानना है. प्रतिभा सिंह के साथ विक्रमादित्य का युवा जोश भी काम करेगा. फिर वीरभद्र समर्थक नेता जी जान से प्रतिभा सिंह की मदद के लिए आगे आएंगे. ऐसा संकेत प्रतिभा को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने के बाद से ही मिल रहा है.
प्रतिभा सिंह के सामने आएंगी ये चुनौतियां: प्रतिभा सिंह के समक्ष बड़ी चुनौती टिकट वितरण के दौरान पेश आएगी. उन्हें सभी गुटों को प्रतिनिधित्व देने का कठिन टास्क फेस करना होगा. फिर पूर्व में वीरभद्र सिंह (Former Himachal Chief Minister Virbhadra Singh) के साथ जटिल राजनीतिक रिश्तों का कड़वा घूंट पी चुके सुखविंदर सिंह सुक्खू का सहयोग भी हासिल करना होगा. कांग्रेस में मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखने वाले नेताओं की कमी नहीं है. पुराने नेताओं में कौल सिंह की सीएम बनने की इच्छा किसी से छिपी नहीं है. मुकेश अग्निहोत्री से लेकर सुखविंद्र सुक्खू की लालसा भी रहेगी कि वे सत्ता में हॉट सीट पर बैठे, ऐसे में कांग्रेस को सभी की इच्छाओं के बीच संतुलन साधना होगा.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ: भाजपा से मुकाबले के लिए कार्यकर्ताओं में जोश भरना और संगठन को सक्रिय करना प्रतिभा सिंह के लिए बड़ी चुनौती (challenges for Congress State President Pratibha Singh) रहेगी. वीरभद्र सिंह के बिना कांग्रेस में स्टार प्रचारक की भूमिका में कौन नजर आएगा यह भी एक सवाल है. हिमाचल की राजनीति को नजदीक से परखने वाले वरिष्ठ मीडिया कर्मी कृष्ण भानु का कहना है कि चुनावी साल (himachal assembly elections 2022) में प्रतिभा सिंह की ताजपोशी कांटों से भरी है. प्रदेश की बिखरी कांग्रेस को संगठित करना और सभी को साथ लेकर आगे बढ़ना उनके लिए पहली बड़ी चुनौती है. अच्छे सलाहकार मिलेंगे तो वे इस चुनौती से पार पा जाएंगी.
भानु के अनुसार प्रतिभा सिंह को अपने आसपास कुशल सलाहकार रखने चाहिए. प्रतिभा सिंह भी कह चुकी हैं कि वो संगठन में काम करने के लिहाज से नई हैं और सभी का सहयोग लेकर पार्टी को सत्ता में लाएंगी. फिलहाल पांच मई को प्रतिभा सिंह के स्वागत के दौरान कांग्रेस की एकजुटता भविष्य की तैयारियों का संकेत देगी. यदि प्रतिभा सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस सत्ता में वापसी करती है तो हिमाचल की राजनीति में आने वाले समय में वीरभद्र सिंह का परिवार बेहद मजबूत स्थिति में पहुंच जाएगा. विक्रमादित्य सिंह के समक्ष अभी लंबी राजनीतिक पारी है और यह चुनाव उनके लिए भी भविष्य का रोडमैप साबित होगा.
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