शिमला: कनाडा में खालिस्तानी जनमत संग्रह हो रहा है, लेकिन वहां की सरकार इस पर रोक लगाने के लिए कोई पुख्ता कदम नहीं उठा रही है. भारत सरकार ने कनाडा सरकार को कई बार वहां चल रही भारत विरोध गतिविधियों को लेकर चेतावनी दी है, लेकिन सरकार ने इसे कानूनी दायरों के अंदर लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण गतिविधि बताकर इस पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया. इसके चलते भारत कनाडा से खासा नाराज है.
शिमला को 'खालिस्तान' देश की राजधानी बनाने की साजिश: आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस का दावा है कि इस आयोजन में 1,10,000 सिखों ने हिस्सा लिया है. संगठन ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला को 'खालिस्तान' देश की राजधानी बनाया जाएगा. संगठन के आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने यह ऐलान भी किया है कि 26 जनवरी 2023 को भारत के 74वें गणतंत्र दिवस पर पंजाब में खालिस्तान के समर्थन में रेफरेंडम शुरू होगा.
बता दें कि ब्रिटेन में जगजीत सिंह चौहान ने नई खालिस्तानी करंसी जारी कर दुनिया भर में हंगामा मचा दिया था. 1980 में भारत सरकार ने उन्हें भगोड़ा घोषित करके उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया था. हालांकि, देश लौटने के बाद भी जगजीत खालिस्तान प्रस्ताव का समर्थन करते रहे, लेकिन हिंसा का उन्होंने विरोध किया.
वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने 22 सितंबर को मीडिया से बात करते हुए कहा कि ये कथित जनमत संग्रह पूरी तरह से हास्यास्पद है, ये कट्टरपंथी समूहों की कोशिश थी, कूटनीतिक स्तर पर इस मामले को लेकर कनाडा सरकार से बातचीत चल रही है. कनाडा सरकार ने कहा है कि वो भारत की संप्रभुता और एकजुटता का समर्थन करती है और वो इस कथित जनमतसंग्रह को मान्यता नहीं देगी.
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