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संस्कार और सरोकार से हारेगा कोरोना, हिमाचल को जरूरत है ऐसे सेवादारों की

हिमाचल प्रदेश में कोरोना संक्रमण का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अभूतपूर्व संकट आया है. पहली लहर में आम जनता व साधनहीन परिवारों तक राशन पहुंचाना एक चुनौती थी और अनेक संस्थाओं ने इस यज्ञ में आहूति डाली. दूसरी लहर में चुनौतियां अलग तरह की हैं.

Inspirational Story in Corona Crisis
हिमाचल को जरूरत है ऐसे सेवादारों की
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Published : May 16, 2021, 1:23 PM IST

शिमला: कोरोना संक्रमण के इस दौर में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला में एक दुखद और पीड़ादायक दृश्य देखने को मिला था. एक व्यक्ति को क्रूर परिस्थितियों के कारण अपनी मां की पार्थिव देह कंधे पर उठाकर अंतिम संस्कार के लिए जाना पड़ा. उस दृश्य ने देवभूमि कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश के संस्कारों को झकझोरा. अब कुछ ऐसी खबरें आ रही हैं, जिससे भरोसा जगता है कि समाज में संस्कार और सरोकार अभी भी मौजूद हैं.

कोरोना की दूसरी लहर चुनौती

वैसे तो कई संस्थाएं कोरोना की पहली लहर के समय से ही जनसेवा में जुटी हैं, लेकिन दूसरी लहर के दौरान अभूतपूर्व संकट आया है. पहली लहर में आम जनता व साधनहीन परिवारों तक राशन पहुंचाना एक चुनौती थी और अनेक संस्थाओं ने इस यज्ञ में आहूति डाली. दूसरी लहर में चुनौतियां अलग तरह की हैं. अब एक्टिव केस भी बढ़े हैं और मौत का आंकड़ा भी. ऐसे में कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वालों के अंतिम संस्कार में बाधा आ रही है.

कांगड़ा के रानीताल की घटना ने पूरे समाज को झकझोरा है. उसके बाद से स्थितियां बदल रही हैं. प्रशासन व पंचायत प्रतिनिधि अब आगे आए हैं. यहां हम कुछ ऐसी ही घटनाओं की बात करेंगे, जिनसे इस संकटपूर्ण समय में उम्मीद की किरण जगती है. कांगड़ा के रानीताल में अगर पीड़ादायक घटना हुई तो उसी जिला में आशा जगाती खबरें भी आई हैं.

कोरोना संक्रमित का पूछा हाल

कांगड़ा के देहरा उपमंडल के एसडीएम धनबीर ठाकुर ने अलोह पंचायत में जाकर कोरोना संक्रमितों का कुशल क्षेम पूछा. उन्होंने कोरोना पॉजिटिव लोगों को हौसला भी बंधाया. एसडीएम ने देहरा में कोरोना संक्रमण के कारण मौत का शिकार हुए व्यक्ति का अंतिम संस्कार भी करवाया.

कांग्रेस विधायक ने पेश की मिसाल

बड़सर से कांग्रेस के विधायक इंद्रदत्त लखनपाल ने भी सेवा की मिसाल पेश करते हुए अपने इलाके में कोरोना के कारण मौत के मुंह में गए व्यक्ति का अंतिम संस्कार करवाया. वे खुद पीपीई किट पहनकर अंतिम संस्कार करवाने के लिए सबसे पहले आगे आए।. इसी तरह शिमला में एक व्यक्ति की मौत होने पर उसकी बेटी पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा. बेटी ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं से संपर्क किया तो कुछ कार्यकर्ता पीपीई किट पहनकर कनलोग श्मशान घाट पहुंचे और सारी व्यवस्था की.

नायब तहसीलदार ने कोरोना पॉजिटिव लोगों का हालचाल पूछा

वहीं, कांगड़ा जिला के हरिपुर के नायब तहसीलदार राजेंद्र सिंह ने गठुतर पंचायत में कोरोना पॉजिटिव लोगों का हालचाल पूछा. इसी तरह नूरपुर की ममूह पंचायत में भी स्थानीय प्रशासन ने संक्रमण से मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार करवाया. ये व्यक्ति दिल्ली से अपने गांव आ रहा था कि रास्ते में ही उसका देहांत हो गया था. स्थानीय प्रशासन ने कोविड प्रोटोकॉल के तहत उसका अंतिम संस्कार करवाया. एसडीएम सुरेंद्र ठाकुर, तहसीलदार सुरभि नेगी, बीडीओ डॉ रोहित शर्मा परिवार के साथ मौजूद रहे.

जयराम ठाकुर, सीएम

नूरपुर की उक्त पंचायत से संबंध रखने वाला ये व्यक्ति बैंगलोर में काम करता था. तबीयत बिगडऩे पर वो अपने रिश्तेदार के साथ गाड़ी से दिल्ली से घर आ रहा था. बुखार व सांस लेने में तकलीफ के कारण उसका रास्ते में ही निधन हो गया. प्रशासन को सूचना मिलते ही एसडीएम ने पार्थिव देह को सिविल अस्पताल के शवगृह में रखवाया।. नूरपुर के एसडीएम के अनुसार उपमंडल के अनेक स्वयंसेवी आगे आए हैं और किसी भी विपत्ती में अपनी सेवाएं देने की पेशकश की है.

पंचायत प्रधानों ने अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी

वहीं, कांगड़ा जिला के भवारना के पंचायत प्रतिनिधियों ने दुर्भाग्यवश कोरोना संक्रमण से मारे जाने वाले लोगों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी ली है. एसडीएम पालमपुर ने पंचायत प्रतिनिधियों के स्वेच्छा से इस पुनीत कार्य में आगे आने की सराहना की है. साथ ही पालमपुर प्रशासन की ओर से भवारना की 50 पंचायतों को प्रति पंचायत 10-10 पीपीई किट दी गई है. चंबा जिला में योग मानव विकास ट्रस्ट बनीखेत ने जिला रेडक्रॉस सोसायटी चंबा को डेडबॉडी वैन दी है. ट्रस्ट ने जिला रेडक्रॉस सोसायटी के अध्यक्ष और डीसी चंबा को वैन दी.

सायरी पंचायत की प्रधान ने लगाया रक्तदान शिविर

सोलन की सायरी पंचायती की प्रधान अंजू ने उमंग फाउंडेशन के सहयोग से अपनी पंचायत में रक्तदान शिविर लगाया. इसी तरह प्रदेश के छात्र संगठनों के युवा भी रक्तदान के लिए आगे आ रहे हैं. हिमाचल में इस समय वैक्सीनेशन अभियान जोरों पर चल रहा है. वैक्सीनेशन करवाने वाले एक निश्चित समय तक रक्तदान नहीं कर सकते. ऐसे में अस्पतालों में खून की कमी न आए, इसके लिए गैर सरकारी संगठनों और छात्र संगठनों ने कमर कस ली है. उमंग फाउंडेशन अब तक 16 ब्लड डोनेशन कैंप लगा चुका है.

शिमला में मरीजों के परिजनों को निशुल्क भोजन

शिमला के आईजीएमसी अस्पताल, कैंसर अस्पताल, डीडीयू अस्पताल व केएनएच में मरीजों को निशुल्क भोजन मिल रहा है. ऑलमाइटी ब्लैसिंग्स व नोफल सोसायटी रोजाना मरीजों व उनके परिजनों को निशुल्क नाश्ता, दोपहर व रात्रि का भोजन उपलब्ध करवा रहे हैं. इसके अलावा सुनील उपाध्याय एजुकेशनल सोसायटी के सदस्य भी कोरोना पॉजिटिव मरीजों को घर-घर जानकर भोजन दे रहे हैं.

कांग्रेस व भाजपा के कार्यकर्ता भी सेवा अभियान में जुटे हैं. कोरोना महामारी में अनाथ हुए बच्चों को बालिग होने तक कांग्रेस पार्टी अपनी तरफ से हर महीने देगी 2 हजार रुपये आर्थिक सहायता प्रदान करेगी. ऐसे भी मामले प्रदेश में आ रहे हैं जहां मासूम बच्चो के सर से मां-पिता का साया उठ गया है. शुरूआत में हिमाचल प्रदेश के ऐसे 25 बच्चों को सहायता के लिए रिजिस्टर्ड किया जाएगा.

कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों का हाथ थामेगी कांग्रेस

पूर्व कैबिनट मंत्री जीएस बाली ने कहा कि कांग्रेस पार्टी द्वारा गठित कोरोना रिलीफ कमेटी का हेड होने के नाते यह सोच विचार अपनी टीम के साथ कर रहा हूं, कि कैसे हम आपदा में अपने प्रदेश के लोगो की मदद कर पाएं. इसी सोच और भावना के साथ उपरोक्त निर्णय भी लिया गया है. बाली कहा कि आपदा का समय तो गुजर जाएगा पर आजीवन गहरे जख्म यह आपदा दे रही है. परिजनों के जीवन के मूल्य से बढ़कर कुछ नहीं है. यह आर्थिक सहायता भी कुछ नहीं, पर हम सबका फर्ज है कि ऐसे परिवारों, लोगों की मदद के लिए कुछ न कुछ जरूर करें.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में 26 मई तक बढ़ाया गया कोरोना कर्फ्यू, जानें कैबिनेट के फैसले

शिमला: कोरोना संक्रमण के इस दौर में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला में एक दुखद और पीड़ादायक दृश्य देखने को मिला था. एक व्यक्ति को क्रूर परिस्थितियों के कारण अपनी मां की पार्थिव देह कंधे पर उठाकर अंतिम संस्कार के लिए जाना पड़ा. उस दृश्य ने देवभूमि कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश के संस्कारों को झकझोरा. अब कुछ ऐसी खबरें आ रही हैं, जिससे भरोसा जगता है कि समाज में संस्कार और सरोकार अभी भी मौजूद हैं.

कोरोना की दूसरी लहर चुनौती

वैसे तो कई संस्थाएं कोरोना की पहली लहर के समय से ही जनसेवा में जुटी हैं, लेकिन दूसरी लहर के दौरान अभूतपूर्व संकट आया है. पहली लहर में आम जनता व साधनहीन परिवारों तक राशन पहुंचाना एक चुनौती थी और अनेक संस्थाओं ने इस यज्ञ में आहूति डाली. दूसरी लहर में चुनौतियां अलग तरह की हैं. अब एक्टिव केस भी बढ़े हैं और मौत का आंकड़ा भी. ऐसे में कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वालों के अंतिम संस्कार में बाधा आ रही है.

कांगड़ा के रानीताल की घटना ने पूरे समाज को झकझोरा है. उसके बाद से स्थितियां बदल रही हैं. प्रशासन व पंचायत प्रतिनिधि अब आगे आए हैं. यहां हम कुछ ऐसी ही घटनाओं की बात करेंगे, जिनसे इस संकटपूर्ण समय में उम्मीद की किरण जगती है. कांगड़ा के रानीताल में अगर पीड़ादायक घटना हुई तो उसी जिला में आशा जगाती खबरें भी आई हैं.

कोरोना संक्रमित का पूछा हाल

कांगड़ा के देहरा उपमंडल के एसडीएम धनबीर ठाकुर ने अलोह पंचायत में जाकर कोरोना संक्रमितों का कुशल क्षेम पूछा. उन्होंने कोरोना पॉजिटिव लोगों को हौसला भी बंधाया. एसडीएम ने देहरा में कोरोना संक्रमण के कारण मौत का शिकार हुए व्यक्ति का अंतिम संस्कार भी करवाया.

कांग्रेस विधायक ने पेश की मिसाल

बड़सर से कांग्रेस के विधायक इंद्रदत्त लखनपाल ने भी सेवा की मिसाल पेश करते हुए अपने इलाके में कोरोना के कारण मौत के मुंह में गए व्यक्ति का अंतिम संस्कार करवाया. वे खुद पीपीई किट पहनकर अंतिम संस्कार करवाने के लिए सबसे पहले आगे आए।. इसी तरह शिमला में एक व्यक्ति की मौत होने पर उसकी बेटी पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा. बेटी ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं से संपर्क किया तो कुछ कार्यकर्ता पीपीई किट पहनकर कनलोग श्मशान घाट पहुंचे और सारी व्यवस्था की.

नायब तहसीलदार ने कोरोना पॉजिटिव लोगों का हालचाल पूछा

वहीं, कांगड़ा जिला के हरिपुर के नायब तहसीलदार राजेंद्र सिंह ने गठुतर पंचायत में कोरोना पॉजिटिव लोगों का हालचाल पूछा. इसी तरह नूरपुर की ममूह पंचायत में भी स्थानीय प्रशासन ने संक्रमण से मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार करवाया. ये व्यक्ति दिल्ली से अपने गांव आ रहा था कि रास्ते में ही उसका देहांत हो गया था. स्थानीय प्रशासन ने कोविड प्रोटोकॉल के तहत उसका अंतिम संस्कार करवाया. एसडीएम सुरेंद्र ठाकुर, तहसीलदार सुरभि नेगी, बीडीओ डॉ रोहित शर्मा परिवार के साथ मौजूद रहे.

जयराम ठाकुर, सीएम

नूरपुर की उक्त पंचायत से संबंध रखने वाला ये व्यक्ति बैंगलोर में काम करता था. तबीयत बिगडऩे पर वो अपने रिश्तेदार के साथ गाड़ी से दिल्ली से घर आ रहा था. बुखार व सांस लेने में तकलीफ के कारण उसका रास्ते में ही निधन हो गया. प्रशासन को सूचना मिलते ही एसडीएम ने पार्थिव देह को सिविल अस्पताल के शवगृह में रखवाया।. नूरपुर के एसडीएम के अनुसार उपमंडल के अनेक स्वयंसेवी आगे आए हैं और किसी भी विपत्ती में अपनी सेवाएं देने की पेशकश की है.

पंचायत प्रधानों ने अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी

वहीं, कांगड़ा जिला के भवारना के पंचायत प्रतिनिधियों ने दुर्भाग्यवश कोरोना संक्रमण से मारे जाने वाले लोगों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी ली है. एसडीएम पालमपुर ने पंचायत प्रतिनिधियों के स्वेच्छा से इस पुनीत कार्य में आगे आने की सराहना की है. साथ ही पालमपुर प्रशासन की ओर से भवारना की 50 पंचायतों को प्रति पंचायत 10-10 पीपीई किट दी गई है. चंबा जिला में योग मानव विकास ट्रस्ट बनीखेत ने जिला रेडक्रॉस सोसायटी चंबा को डेडबॉडी वैन दी है. ट्रस्ट ने जिला रेडक्रॉस सोसायटी के अध्यक्ष और डीसी चंबा को वैन दी.

सायरी पंचायत की प्रधान ने लगाया रक्तदान शिविर

सोलन की सायरी पंचायती की प्रधान अंजू ने उमंग फाउंडेशन के सहयोग से अपनी पंचायत में रक्तदान शिविर लगाया. इसी तरह प्रदेश के छात्र संगठनों के युवा भी रक्तदान के लिए आगे आ रहे हैं. हिमाचल में इस समय वैक्सीनेशन अभियान जोरों पर चल रहा है. वैक्सीनेशन करवाने वाले एक निश्चित समय तक रक्तदान नहीं कर सकते. ऐसे में अस्पतालों में खून की कमी न आए, इसके लिए गैर सरकारी संगठनों और छात्र संगठनों ने कमर कस ली है. उमंग फाउंडेशन अब तक 16 ब्लड डोनेशन कैंप लगा चुका है.

शिमला में मरीजों के परिजनों को निशुल्क भोजन

शिमला के आईजीएमसी अस्पताल, कैंसर अस्पताल, डीडीयू अस्पताल व केएनएच में मरीजों को निशुल्क भोजन मिल रहा है. ऑलमाइटी ब्लैसिंग्स व नोफल सोसायटी रोजाना मरीजों व उनके परिजनों को निशुल्क नाश्ता, दोपहर व रात्रि का भोजन उपलब्ध करवा रहे हैं. इसके अलावा सुनील उपाध्याय एजुकेशनल सोसायटी के सदस्य भी कोरोना पॉजिटिव मरीजों को घर-घर जानकर भोजन दे रहे हैं.

कांग्रेस व भाजपा के कार्यकर्ता भी सेवा अभियान में जुटे हैं. कोरोना महामारी में अनाथ हुए बच्चों को बालिग होने तक कांग्रेस पार्टी अपनी तरफ से हर महीने देगी 2 हजार रुपये आर्थिक सहायता प्रदान करेगी. ऐसे भी मामले प्रदेश में आ रहे हैं जहां मासूम बच्चो के सर से मां-पिता का साया उठ गया है. शुरूआत में हिमाचल प्रदेश के ऐसे 25 बच्चों को सहायता के लिए रिजिस्टर्ड किया जाएगा.

कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों का हाथ थामेगी कांग्रेस

पूर्व कैबिनट मंत्री जीएस बाली ने कहा कि कांग्रेस पार्टी द्वारा गठित कोरोना रिलीफ कमेटी का हेड होने के नाते यह सोच विचार अपनी टीम के साथ कर रहा हूं, कि कैसे हम आपदा में अपने प्रदेश के लोगो की मदद कर पाएं. इसी सोच और भावना के साथ उपरोक्त निर्णय भी लिया गया है. बाली कहा कि आपदा का समय तो गुजर जाएगा पर आजीवन गहरे जख्म यह आपदा दे रही है. परिजनों के जीवन के मूल्य से बढ़कर कुछ नहीं है. यह आर्थिक सहायता भी कुछ नहीं, पर हम सबका फर्ज है कि ऐसे परिवारों, लोगों की मदद के लिए कुछ न कुछ जरूर करें.

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