किन्नौर: कोरोना वायरस के चलते दुनिया के ज्यादातर देशों में इस समय लॉकडाउन है. इस महामारी के बीच हिमाचल व जिला किन्नौर के कई परिवारों के बच्चे विदेशों में फंसे हुए हैं. अब इन बच्चों के पास मोबाइल और सोशल मीडिया ही परिवार से मिलने का एक जरिया बचा है.
लॉकडाउन के बीच किन्नौर के दो परिवारों के बच्चे सात समंदर पार ऑस्ट्रेलिया के सिडनी और मेलबॉर्न में फंसे हुए है. ईटीवी भारत ने जब इन परिवारों से बात की तो उनका दुख बातों से जाहिर हो गया. उनका कहना है कि वीडियों कॉलिंग ही बच्चों की सूरत देखने का माध्यम है. उन्हें मलाल है कि उनके बच्चे कोरोना महामारी के बीच परिवार से दूर हैं.
रिकांगपिओ की अवांतिका नेगी जो ऑस्ट्रेलिया के मेलबॉर्न में बतौर बिजनेस स्टडी के लिए गयी हैं और पिछले एक महीने से लॉकडाउन की वजह से घर में कैद हैं. वीडियो कॉलिंग की जरिए जब अवांतिका से बात की गई तो उन्होंने वहां के हालात से रूबरू कराया. उनका कहना था कि कोरोना के कुछ संदिग्ध मिलने की वजह से मेलबॉर्न शहर में लॉकडाउन किया गया है. जबकि इस माह के अन्त में उन्होंने रिकांगपियो आने का प्लान बनाया था.
जब अवांतिका के पिता नागेश नेगी से बात की गई तो वे भावुक हो उठे. उन्होंने कहा कि वे अपने बेटी से हर रोज वीडियो कॉलिंग के जरिए बात करते हैं और उसे घरों में ही रहने की नसीहत देते हैं. ताकि बेटी परिवार से दूर सात समुंदर पार स्वस्थ्य और सुरक्षित रह सके.
लॉकडाउन ने इरादों पर फेरा पानी
वहीं, दूसरी ओर ख्वांगी गांव के निट्टू नेगी भी ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में होटल बिजनेस से जुड़े हैं. निट्टू के बड़े भाई शांति नेगी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनका भाई जून में परिवार को ऑस्ट्रेलिया ले जाने के लिए घर आ रहा था. लेकिन लॉकडाउन ने उसके इरादों पर पानी फेर दिया. उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी महामारी से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार लॉकडाउन है, ऐसे में उन्होंने अपने भाई को भी अपने घर में ही रहने की सलाह दी है.
परिवार से संपर्क का फोन ही एक माध्यम
अवांतिका और निट्टू का परिवार फोन के जरिए बच्चों से जुड़ा हुआ है. ऑस्ट्रेलिया में लॉकडाउन के बीच इन्हें किसी चीज की कमी महसूस नहीं हो रही है. बस उन्हें अपने परिवार बिछड़ना खल रहा है. शिक्षा या रोजी-रोटी के लिए जिले के कई परिवारों के बच्चें देश और विदेश में फंसे हुए हैं.