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किसान सभा ने उपायुक्त को सौंपा ज्ञापन, कर्ज मुक्ति और न्यूनतम समर्थन बढ़ाने की मांग

किसान संघर्ष समिति के राज्याध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तंवर की अध्यक्षता में शिमला में  जिला उपायुक्त अमित कश्यप के माध्यम से मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया है. ज्ञापन में सब्जी, दूध, सेब, बंदरों के स्थायी समाधान को शामिल किया गया है.

किसान संघर्ष समिति के राज्याध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तंवर
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Published : Aug 3, 2019, 11:27 PM IST

शिमला: अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर हिमाचल किसान सभा की प्रदेश, जिला, खण्ड व तहसील कमेटियों ने किसानों की समस्याओं पर प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया है. जिसमें किसान कर्ज मुक्ति और न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग रखी गई है.

किसान संघर्ष समिति के राज्याध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तंवर की अध्यक्षता में शिमला में जिला उपायुक्त अमित कश्यप के माध्यम से मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया है. ज्ञापन में सब्जी, दूध, सेब, बंदरों के स्थायी समाधान को शामिल किया गया है.

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राज्याध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तंवर ने बताया कि जब सरकार बंदरों को वर्मिन घोषित करके लोगों को इन्हें मारने के लिए एक हजार रुपये दे रही है, तो फिर नसबंदी पर 35 करोड़ क्यों खर्च कर रही हैं. उन्होंने कहा कि सरकार इसके लिये स्टेक होल्डर्स के साथ मिलकर ठोस रूपरेखा बनानी चाहिए, न कि पैसों की बर्बादी करनी चाहिए.

किसान सभा ने मांग की है कि सरकार को किसानों की फसलों के वाजिब दामों के लिए एपीएमसी कानून को सख्ती से लागू करना चाहिए, ताकि सब्जी उत्पादकों व बागवानों के हितों की रक्षा की जा सके. इसके अलावा किसानों ने दूध का न्यूनतम दाम ग्रामीण क्षेत्रों में 30 रुपये करने की बात कही है.

शिमला: अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर हिमाचल किसान सभा की प्रदेश, जिला, खण्ड व तहसील कमेटियों ने किसानों की समस्याओं पर प्रशासन को ज्ञापन सौंपा गया है. जिसमें किसान कर्ज मुक्ति और न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग रखी गई है.

किसान संघर्ष समिति के राज्याध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तंवर की अध्यक्षता में शिमला में जिला उपायुक्त अमित कश्यप के माध्यम से मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया है. ज्ञापन में सब्जी, दूध, सेब, बंदरों के स्थायी समाधान को शामिल किया गया है.

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राज्याध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तंवर ने बताया कि जब सरकार बंदरों को वर्मिन घोषित करके लोगों को इन्हें मारने के लिए एक हजार रुपये दे रही है, तो फिर नसबंदी पर 35 करोड़ क्यों खर्च कर रही हैं. उन्होंने कहा कि सरकार इसके लिये स्टेक होल्डर्स के साथ मिलकर ठोस रूपरेखा बनानी चाहिए, न कि पैसों की बर्बादी करनी चाहिए.

किसान सभा ने मांग की है कि सरकार को किसानों की फसलों के वाजिब दामों के लिए एपीएमसी कानून को सख्ती से लागू करना चाहिए, ताकि सब्जी उत्पादकों व बागवानों के हितों की रक्षा की जा सके. इसके अलावा किसानों ने दूध का न्यूनतम दाम ग्रामीण क्षेत्रों में 30 रुपये करने की बात कही है.

Intro:

किसानो को कर्ज मुक्त करने और समर्थन मूल्य बढ़ाने को लेकर किसान संघर्ष समिति ने केंद्र सरकार से मांग की है।अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर हिमाचल किसान सभा की प्रदेश, जिला, खण्ड व तहसील कमेटियों द्वारा किसानों की समस्याओं पर धरने प्रदर्शन एवं प्रशासन को ज्ञापन दिये गये जिसमें किसान संसद में पारित दो मुद्दों कर्ज मुक्ति और न्यूनतम समर्थन मूल्य मुख्यतः रूप से शामिल है। इसके साथ स्थानीय मुद्दे सब्जी, दूध, सेब, बन्दरों आदि की समस्या के स्थायी समाधान के लिए सरकार से मांग की गई।

Body:किसान संघर्ष समिति के राज्याध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर की अध्यक्षता में शिमला में भी जिला उपायुक्त अमित कश्यप के माध्यम से मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया। कुलदीप सिंह तंवर ने बन्दरों की समस्या के स्थायी समाधान के लिए सरकार की असमर्थता पर हैरानी जताई। राज्याध्यक्ष ने कहा कि जब सरकार बन्दरों को वर्मिन घोषित करके लोगों को इन्हें मारने के लिए एक हजार रुपये भी दे रही है तो फिर नसबन्दी पर 35 करोड़ क्यों खर्च किये जा रहे हैं। सरासर जनता के पैसों की बर्बादी की जा रही है।सरकार को इसके लिये स्टेकहोल्डर्स के साथ मिलकर ठोस रूपरेखा बनानी चाहिए।

Conclusion:किसान सभा ने मांग की है कि सरकार को किसानों की फसलों के वाजिब दामों के लिए एपीएमसी कानून को सख्ती से लागू करना चाहिए ताकि सब्जी उत्पादकों व बागवानों के हितों की रक्षा की जा सके। वंही किसानों ने दूध का न्यूनतम दाम ग्रामीण क्षेत्रों में 30 रुपये करने की बात कही है।किसानों का कहना है कि सरकार किसानों से दूध सस्ता खरीद है जबकि पानी दूध से महंगा है जो दुग्ध उत्पादकों के साथ ठगी की है।
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