शिमला: हिमाचल की राजनीति में राजपूतों का वर्चस्व (Rajput in Himachal politics) है. मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जयराम ठाकुर विराजमान हैं तो केंद्र में हिमाचल के एक और ठाकुर बड़ी भूमिका में हैं. ये नाम अनुराग सिंह ठाकुर का है. हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से जीत का चौका जड़ चुके अनुराग सिंह ठाकुर के जिम्मे अब (Anurag Thakur role in himachal elections) हिमाचल विधानसभा की एक चौथाई सीटें हैं. हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के तहत 17 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. चुनावी साल में हिमाचल की राजनीतिक फिजाओं में एक सवाल गूंज रहा है कि क्या राज्य की जनता का अनुराग इस ठाकुर पर बरसेगा? मौजूदा समय में हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में 17 सीटों में से भाजपा के पास 11 सीटें हैं. क्या अनुराग सिंह ठाकुर का प्रभाव 2017 के मुकाबले 2022 में इन सीटों में बढ़ोतरी कर पाएगा?
हिमाचल में हमीरपुर संसदीय क्षेत्र (Hamirpur Parliamentary Constituency) में हमीरपुर, बड़सर, नादौन, भोरंज व सुजानपुर ये पांच विधानसभा क्षेत्र हैं. इसके अलावा ऊना जिले के भी पांच विधानसभा क्षेत्र हैं. इनमें ऊना, कुटलैहड़, गगरेट, चिंतपूर्णी व हरोली है. इसके अलावा मंडी जिले का धर्मपुर, बिलासपुर जिले की सभी चार सीटें और बिलासपुर सदर, नैना देवी, झंडूता, घुमारवीं व कांगड़ा जिले की देहरा तथा जसवां परागपुर है. ये कुल 17 सीटें हैं और इनमें से 11 सीटें भाजपा के पास हैं. देहरा में निर्दलीय विधायक होशियार सिंह पहले भाजपा के एसोसिएट सदस्य हुए और फिर भाजपा में शामिल हो गए थे. तकनीकी रूप से वे बेशक भाजपा के आधिकारिक सदस्य नहीं हैं, लेकिन कुछ समय पहले वे जोगिंदर नगर के निर्दलीय विधायक के साथ भाजपा में शामिल हुए थे.
हिमाचल में अकसर ये सवाल राजनीतिक हल्कों में पूछा जाता रहा है कि क्या आने वाले समय में अनुराग सिंह ठाकुर हिमाचल के मुख्यमंत्री होंगे. कई बार ये सवाल उठता रहा और कई तरह की अटकलें लगती रहीं, लेकिन अनुराग केंद्र में ही बने हुए हैं. कुछ समय सीयू यानी सेंट्रल यूनिवर्सिटी के मसले पर दो ठाकुर आमने-सामने भी हुए थे. बेशक बाद में जयराम ठाकुर ने अनुराग ठाकुर को छोटा भाई और अनुराग ने जयराम ठाकुर को बड़ा भाई बताया, लेकिन पर्दे के पीछे राजनीति कुछ और ही होती है.
अनुराग के पिता और दो दफा प्रदेश की कमान संभालने वाले प्रेम कुमार धूमल की ये चाहत जरूर होगी कि उनकी विरासत को मुख्यमंत्री के रूप में अनुराग ठाकुर संभालें. हमीरपुर भाजपा का गढ़ माना जाता है. अनुराग ठाकुर प्रभावशाली मार्जिन से हमीरपुर संसदीय सीट जीतते आ रहे हैं. हमीरपुर में इस समय नादौन व बड़सर सीट कांग्रेस के पास है. नादौन से सुखविंद्र सिंह सुक्खू बड़े नेता हैं. बड़सर में आईडी लखनपाल मजबूत प्रत्याशी हैं. अनुराग ठाकुर को यहां सेंध लगाने के लिए एक्स्ट्रा प्रयास करने होंगे. चुनावी बेला आने पर अनुराग के दौरे भी बढ़ रहे हैं. ऊना जिले की कुटलैहड़ सीट व कांगड़ा की जसवां परागपुर सीट को बरकरार रखना अनुराग के लिए चुनौती है. इसी तरह बिलासपुर में भी अपना प्रभाव दिखाना होगा.
अनुराग सिंह ठाकुर केंद्र में बड़े मंत्री (Union Minister Anurag Thakur) हैं. हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में 2019 के चुनाव में सभी 17 सीटों पर भाजपा को बढ़त मिली थी. लेकिन उसमें मोदी मैजिक का अधिक रोल था. उसके बाद चार विधानसभा क्षेत्रों व मंडी में हुए उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था. ये बात अलग थी कि उनमें हमीरपुर संसदीय क्षेत्र की कोई सीट नहीं थी. यदि अनुराग से आस की बात की जाए तो हमीरपुर में खेलों के लिए कोई बड़ा काम नहीं हुआ. स्पोर्टस कांप्लेक्स की मांग है, हॉकी के एस्ट्रोटर्फ की मांग है. इसके अलावा रेल प्रोजेक्ट रुका हुआ है. कोई बड़ी योजना हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में नहीं आई है. वहीं, अनुराग सिंह ठाकुर की मोबाइल स्वास्थ्य योजना से जरूर जनता को लाभ हुआ है. उसमें मेडिकल टेस्ट व दवाइयां फ्री हैं. एंबुलेंस की सुविधा है.
हमीरपुर में कोई बड़ी परियोजना अनुराग ठाकुर के क्रेडिट में नहीं है, लेकिन चुनावी जीत के तौर पर जनता का अनुराग चार बार से ठाकुर पर बरस रहा है. अनुराग ठाकुर और उनके पिता प्रेम कुमार धूमल के मन में पिछले विधानसभा चुनाव में सुजानपुर को हारने की टीस है. वे इस बार सुजानपुर को फतह करना चाहेंगे. इसके लिए न केवल प्रेम कुमार धूमल जोर लगाएंगे, बल्कि अनुराग भी भरपूर प्रयास करेंगे. दूसरी तरफ जयराम ठाकुर का खेमा ये चाहेगा कि अनुराग ठाकुर और शक्तिशाली न हो पाएं. हिमाचल में दरअसल अनुराग ठाकुर की साख इसलिए भी दांव पर है कि वे चार बार जीत चुके हैं और केंद्र में मंत्री हैं. इतना होने पर भी यदि हमीरपुर संसदीय क्षेत्र की 17 में से अधिकांश सीटें वे नहीं जीत पाए तो उनकी साख पर आंच आएगी. हालांकि बिलासपुर जिले की सीटों पर जेपी नड्डा की साख भी कसौटी पर कसी जाएगी.
वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का कहना है कि संसदीय चुनाव व विधानसभा चुनाव में फर्क है. विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी विशेष की छवि भी मैटर करती है. अलबत्ता ये सही है कि केंद्र में बड़ा पद संभाल रहे अनुराग ठाकुर से ये अपेक्षा की जाती है कि वे विधानसभा चुनाव में अपने संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाली सीटों पर प्रभाव दिखाएं. हमीरपुर में न केवल अनुराग ठाकुर बल्कि प्रेम कुमार धूमल की छवि भी दांव पर है. वहीं, भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप का कहना है कि भाजपा में सभी मिलकर चुनाव लड़ते हैं. प्रेम कुमार धूमल पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं. उनका मार्गदर्शन पार्टी को निरंतर मिल रहा है. अनुराग ठाकुर केंद्र में अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं. कश्यप का कहना है कि नरेंद्र मोदी जैसा नेतृत्व पार्टी के पास है. डबल इंजन की सरकार का लाभ भाजपा को मिलेगा और मिशन रिपीट कामयाब होगा.
ये भी पढ़ें: सत्ता में आना और वादा पूरा करना तो दूर अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस पार्टी: अनुराग ठाकुर