ETV Bharat / city

कितना खतरनाक है मेडिकल वेस्ट, कैसे होता है इसका निपटारा ? - health news of himachal

प्रदेश के बड़े अस्पतालों में से एक इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रबंधन ने बताया कि कोरोना मरीजों के कचरे के निपटारे के लिए केंद्र सरकार और राज्य प्रदूषण नियंत्रण के दिशा निर्देशों का पालन किया जा रहा है.

फोटो.
फोटो.
author img

By

Published : May 6, 2021, 8:09 PM IST

शिमला: कोरोना काल मे सबसे ज्यादा खतरा जैविक कचरा प्रबंधन का रहता है. क्योंकि कोरोना वार्ड से निकलने वाला कूड़ा यदि सही तरीके से डिस्पोज ऑफ नही किया गया तो बीमारीं फैलने का खतरा रहता है. अस्पतालों या कोविड सेंटर्स से निकलने वाला जैविक कचरा सही तरीके से डिस्पोज ऑफ हो इसके लिए केंद्रीय व राज्य पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने नियम बनाए है. उसी नियम के तहत बायोमेडिकल वेस्ट को ठिकाने लगाया जाता है.

प्रदेश के बड़े अस्पतालों में से एक इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रबंधन ने बताया कि अस्पलाल में कोरोना के करीब 250 मरीज भर्ती हैं. ऐसे में जिन आइसोलेशन वार्ड में कोरोना मरीजों को रखा गया है. उनसे निकलने वाले मेडिकल वेस्ट का निपटारा गाइड लाइन के हिसाब से किया जा रहा है.

वीडियो रिपोर्ट.

इस तरह होता है मेडिकल वेस्ट का निपटारा

आईजीएमसी में इन मेडिकल वेस्ट के निपटारे का जिम्मा शिमला की क्लीन वेज कंपनी के जिम्मे हैं. कंपनी के सुपरवाइजर गौरव ठाकुर का कहना है कि कोरोना वार्ड से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट को इकट्ठा करने वाले कर्मचारी सेफ्टी गेयर पीपीई किट, ग्लब्ज, मास्क पहने रहते हैं. इसके बाद पूरी सावधानी से कचरे को एक पैकेट में भरते हैं. इसके बाद उन पैकेट्स पर स्टीकर लगाया जाता है, ताकि कोई अन्य व्यक्ति उस पैकेट को हाथ ना लगाए. स्टीकर लगाने के बाद इन पैकेट्स को विशेष गाड़ियों में भर कर डिस्पोज ऑफ करने के लिए प्लांट पर भेजा जाता है.

कोरोना वार्ड में 21 कर्मी कर रहे ड्यूटी

कोरोना महामारी की दूसरी लहर में संक्रमित मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में आइसोलेशन वार्डों से मेडिकल वेस्ट भी ज्यादा निकल रहा है. रोजाना 15 सौ किलो तक वार्डों से जैविक कूड़ा निकल रहा था. लेकिन मरीजों की संख्या बढ़ने की वजह से अब यह कूड़ा 2 हजार किलो के करीब पहुंच गया है. इन कूड़ों को इकट्ठा करने के लिए 21 सफाई कर्मी तैनात किए गए हैं. इनमें से 7 कर्मी पूरी सावधानी से इस कचरों को नीले, पीले और काले पैकेट में भरते हैं.

नियम के मुताबिक हो रहा कचरे का निपटारा

आईजीएमसी में बायो मेडिकल वेस्ट का काम देख रहे आइजीएमसी के एडमिनिस्ट्रेटर डॉक्टर शोमिन धीमान का कहना है कि कोविड वेस्ट की हैंडलिंग, ट्रीटमेंट और डिस्पोजिंग का काम सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 और बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स के तहत किया जा रहा है.

शिमला: कोरोना काल मे सबसे ज्यादा खतरा जैविक कचरा प्रबंधन का रहता है. क्योंकि कोरोना वार्ड से निकलने वाला कूड़ा यदि सही तरीके से डिस्पोज ऑफ नही किया गया तो बीमारीं फैलने का खतरा रहता है. अस्पतालों या कोविड सेंटर्स से निकलने वाला जैविक कचरा सही तरीके से डिस्पोज ऑफ हो इसके लिए केंद्रीय व राज्य पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने नियम बनाए है. उसी नियम के तहत बायोमेडिकल वेस्ट को ठिकाने लगाया जाता है.

प्रदेश के बड़े अस्पतालों में से एक इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रबंधन ने बताया कि अस्पलाल में कोरोना के करीब 250 मरीज भर्ती हैं. ऐसे में जिन आइसोलेशन वार्ड में कोरोना मरीजों को रखा गया है. उनसे निकलने वाले मेडिकल वेस्ट का निपटारा गाइड लाइन के हिसाब से किया जा रहा है.

वीडियो रिपोर्ट.

इस तरह होता है मेडिकल वेस्ट का निपटारा

आईजीएमसी में इन मेडिकल वेस्ट के निपटारे का जिम्मा शिमला की क्लीन वेज कंपनी के जिम्मे हैं. कंपनी के सुपरवाइजर गौरव ठाकुर का कहना है कि कोरोना वार्ड से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट को इकट्ठा करने वाले कर्मचारी सेफ्टी गेयर पीपीई किट, ग्लब्ज, मास्क पहने रहते हैं. इसके बाद पूरी सावधानी से कचरे को एक पैकेट में भरते हैं. इसके बाद उन पैकेट्स पर स्टीकर लगाया जाता है, ताकि कोई अन्य व्यक्ति उस पैकेट को हाथ ना लगाए. स्टीकर लगाने के बाद इन पैकेट्स को विशेष गाड़ियों में भर कर डिस्पोज ऑफ करने के लिए प्लांट पर भेजा जाता है.

कोरोना वार्ड में 21 कर्मी कर रहे ड्यूटी

कोरोना महामारी की दूसरी लहर में संक्रमित मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में आइसोलेशन वार्डों से मेडिकल वेस्ट भी ज्यादा निकल रहा है. रोजाना 15 सौ किलो तक वार्डों से जैविक कूड़ा निकल रहा था. लेकिन मरीजों की संख्या बढ़ने की वजह से अब यह कूड़ा 2 हजार किलो के करीब पहुंच गया है. इन कूड़ों को इकट्ठा करने के लिए 21 सफाई कर्मी तैनात किए गए हैं. इनमें से 7 कर्मी पूरी सावधानी से इस कचरों को नीले, पीले और काले पैकेट में भरते हैं.

नियम के मुताबिक हो रहा कचरे का निपटारा

आईजीएमसी में बायो मेडिकल वेस्ट का काम देख रहे आइजीएमसी के एडमिनिस्ट्रेटर डॉक्टर शोमिन धीमान का कहना है कि कोविड वेस्ट की हैंडलिंग, ट्रीटमेंट और डिस्पोजिंग का काम सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 और बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स के तहत किया जा रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.