शिमला: प्रदेश में सेब के गिरते दामों को लेकर सियासत तेज हो गई है. हिमाचल के सेब का तीन श्रेणियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करने के लिए सरकार से मांग पर बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर (Horticulture Minister Mahender Singh Thakur ) ने कहा कि जम्मू कश्मीर में भी यह व्यवस्था केवल एक बार विशेष परिस्थितियों में की गई थी इस बार वहां भी उसी प्रकार सेब लिया जा रहा है जिस प्रकार पूरे देश में.
बागवानी मंत्री ने पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में कहा कि प्रदेश में इस बार हिमफेड और एचपीएम की तरफ से सेब की खरीद पिछले बार की तुलना में चार गुना अधिक की गई है. अभी और खरीद भी जारी है. उन्होंने कहा कि जहां तक जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर प्रदेश के बागवान ए ग्रेड सेब के 60, बी ग्रेड के 40 और सी ग्रेड के 25 रुपए प्रति किलोग्राम एमएसपी मांग हैं. यह व्यवस्था केवल एक बार ही कि गई जब वहां विशेष परिस्थितियां थीं. इसके बाद और पहले वहां भी ऐसे ही खरीद होती है जिस पर देश के अन्य राज्यों में सेब सरकार की अन्य एजेंसियां खरीदती हैं.
दरअसल कांग्रेस अडानी के कोल्ड स्टोर (Adani Cold Stores) के बाहर प्रदर्शन की बात कह रही है. उनका आरोप है कि अडानी और लदानी प्रदेश के बागवानों को लूट रहे हैं और ऐसी नाजुक स्थिति में हिमाचल के बागवानी मंत्री पूरे परिदृश्य से गायब हैं. सरकार मूकदर्शक बन कर तमाशा देख रही है. प्रदेश सरकार बाहरी देशों से सेब आयात पर रोक लगाने का मामला केंद्र सरकार से उठाए.
कांग्रेस एक सितंबर को जिला शिमला के बिट्ल में अडानी के कोल्ड स्टोर के बाहर धरना देंगे. सेब के दामों में अचानक गिरावट आना बागवानों के लिए चिंता का विषय है. इससे साफ नजर आ रहा है कि सरकार और पूंजीपतियों की मिलीभगत से ये सब कुछ किया जा रहा है. भाजपा ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में सेब को विशेष उत्पाद श्रेणी का दर्जा दिलाने और सेब पर आयात शुल्क तीन गुना बढ़ाने की बात की थी.
टिकैत को हिमाचल में कोई नहीं देगा समर्थन: बागवानी मंत्री ने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि राकेश टिकैत को हिमाचल में कोई समर्थन नहीं देगा. उन्होंने कहा कि यहां शांतिप्रिय लोग रहते हैं. इसका नमूना सामने भी आ गया है. जब वह हिमाचल आये थे तो किसी ने उनका समर्थन नहीं किया. कोई भी किसान बागवान उनके समर्थन में नहीं उतरा, उल्टा एक दो स्थानों पर टिकैत के साथ बागवानों और व्यापारियों की बहस भी हुई. इससे ये साफ है कि हिमाचल में उनको कोई समर्थन नहीं मिलने वाला है.
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