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शिमला में घुड़सवारी के टैक्स के विरोध में उतरे घोड़ा मालिक, मेयर को सौंपा ज्ञापन

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Published : Feb 4, 2020, 7:24 PM IST

घोड़ा संचालन एसोसिएशन ने मंगलवार को सीटू के बैनर तले नगर निगम के महापौर सत्या कौंडल को ज्ञापन सौंपा है. उन्होंने दस फीसदी कर न लगाने व घुड़सवारी के पैसे बढ़ाने की मांग की है.

Horse owners give memorandum to mayor
घोड़ा संचालन एसोसिएशन ने ज्ञापन सौंपा

शिमला: राजधानी शिमला के रिज मैदान के घुड़सवारी पर दस प्रतिशत टैक्स लगाने के नगर निगम के फैसले का घोड़ा मालिक विरोध कर रहे हैं. घोड़ा मालिकों ने नगर निगम को पर्ची कटाने के फैसले और दस फीसदी टैक्स देने से इंकार कर दिया है.

घोड़ा संचालन एसोसिएशन ने मंगलवार को सीटू के बैनर तले नगर निगम के महापौर सत्या कौंडल को ज्ञापन सौंपा है. उन्होंने दस फीसदी कर न लगाने व घुड़सवारी के पैसे बढ़ाने की मांग की है. घोड़ा मालिकों ने कहा कि कि नगर निगम ने पहले टैक्स लेने की बात कही थी लेकिन बाद में नगर निगम के कर्मी के पर्ची देने की बात की जा रही है जिससे घोड़ा मालिकों को नुकसान हो रहा है.

वीडियो रिपोर्ट

घोड़ा संचालन एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल ने कहा कि नगर निगम अपना टैक्स लगाए और घोड़े वाले के मालिक टैक्स देने को तैयार है लेकिन नगर निगम दस फीसदी टैक्स लगा रहा है. कर्मी के पर्ची देने की बात कही जा रही है और यदि बिना पर्ची के घुड़सवारी करवाते है तो पांच हजार जुर्माना देना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि घोड़ा मालिक नगर निगम के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं.

वहीं, सीटू जिला महासचिव बाबू राम ने कहा कि एक तरफ सरकार स्वरोजगार देने की बात कर रही है. वहीं, जो लोग स्वरोजगार करते है उन्हें परेशान किया जा रहा है. घोड़ा संचालक लंबे समय से घुड़सवारी करवा रहे है और पर्यटकों के लिए भी ये आकर्षण का केंद्र है लेकिन नगर निगम इन घोड़ा संचालकों पर भारी भरकम टैक्स लगा रही है.

ये भी पढ़ें: किन्नौर में पहाड़ों पर बर्फ की सफेद चादर, निचले इलाकों में हल्की बर्फबारी

शिमला: राजधानी शिमला के रिज मैदान के घुड़सवारी पर दस प्रतिशत टैक्स लगाने के नगर निगम के फैसले का घोड़ा मालिक विरोध कर रहे हैं. घोड़ा मालिकों ने नगर निगम को पर्ची कटाने के फैसले और दस फीसदी टैक्स देने से इंकार कर दिया है.

घोड़ा संचालन एसोसिएशन ने मंगलवार को सीटू के बैनर तले नगर निगम के महापौर सत्या कौंडल को ज्ञापन सौंपा है. उन्होंने दस फीसदी कर न लगाने व घुड़सवारी के पैसे बढ़ाने की मांग की है. घोड़ा मालिकों ने कहा कि कि नगर निगम ने पहले टैक्स लेने की बात कही थी लेकिन बाद में नगर निगम के कर्मी के पर्ची देने की बात की जा रही है जिससे घोड़ा मालिकों को नुकसान हो रहा है.

वीडियो रिपोर्ट

घोड़ा संचालन एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल ने कहा कि नगर निगम अपना टैक्स लगाए और घोड़े वाले के मालिक टैक्स देने को तैयार है लेकिन नगर निगम दस फीसदी टैक्स लगा रहा है. कर्मी के पर्ची देने की बात कही जा रही है और यदि बिना पर्ची के घुड़सवारी करवाते है तो पांच हजार जुर्माना देना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि घोड़ा मालिक नगर निगम के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं.

वहीं, सीटू जिला महासचिव बाबू राम ने कहा कि एक तरफ सरकार स्वरोजगार देने की बात कर रही है. वहीं, जो लोग स्वरोजगार करते है उन्हें परेशान किया जा रहा है. घोड़ा संचालक लंबे समय से घुड़सवारी करवा रहे है और पर्यटकों के लिए भी ये आकर्षण का केंद्र है लेकिन नगर निगम इन घोड़ा संचालकों पर भारी भरकम टैक्स लगा रही है.

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Intro:राजधानी शिमला के रिज मैदान के घुड़सवारी पर दस प्रतिशत टैक्स लगाने के नगर निगम के फैसले का घोड़ा मालिक विरोध में उतर आए है। घोड़ा मालिको ने नगर निगम के कर्मी द्वारा पर्ची कटाने के फैसले ओर दस फीसदी टैक्स देने से इंकार कर दिया है। मंगलवार को घोड़ा संचालन एसोसिएशन ने सीटू के बैनर तले नगर निगम के महापौर सत्या कौंडल को ज्ञापन सौंपा ओर दस फीसदी कर न लगने ओर घुड़सवारी के पैसे बढ़ाने की मांग की ।


Body:घोड़ा मालिको का कहना है कि नगर निगम ने पहले टैक्स लेने की बात कही थी लेकिन बाद में नगर निगम के कर्मी के पर्ची देने की बात की जा रही है। इससे घोड़ा मालिको को नुकसान है। यदि नगर निगम का कर्मी मौजूद नही होगा तो उन्हें अपने घोड़े खड़े करने पड़ेंगे। घोड़ा संचालन एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल का कहना है कि नगर निगम अपना टैक्स लगाए और घोड़े वाले के मालिक टैक्स देने को तैयार है। लेकिन नगर निगम दस फीसदी टैक्स लगा रहा है और अपना कर्मी के द्वारा पर्ची देने की बात कही जा रही है और यदि बिना पर्ची के घुड़सवारी करवाते है तो पांच हजार जुर्माना देना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि घोड़ा मालिक नगर निगम के इस फैसले का विरोध कर


Conclusion:उधर सीटू जिला महासचिव बाबू राम ने कहा कि एक तरफ सरकार स्वरोजगार देने की बात कर रही है वही जो लोग स्वरोजगार करते है उन्हें परेशान किया जा रहा है। घोड़ा संचालक लंबे समय से यहां घुड़सवारी करवा रहे है और पर्यटको के लिए भी ये आकर्षण का केंद्र है। लेकिन नगर निगम इन घोड़ा संचालकों पर भारी भरकम टैक्स लगा रही है जोकि सही नही है।
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