शिमलाः हिमाचल को देव भूमि के नाम से जाना जाता है. यहां अनेकों देवी देवताओं का वास है. वहीं, हिमाचल की संस्कृति वेशभूषा सभी कुछ बेहद आकर्षक है, जिसकी झलक अब पर्यटन नगरी शिमला में आने वाले पर्यटकों को शहर की सैरगाहों में देखने को मिलेगी. शहर में जगह-जगह दीवारों पर हिमाचली देव संस्कृति और यहां के जनजीवन को दर्शाते हुए चित्र बनाए जा रहे हैं. इन चित्रों के माध्यम से यहां आने वाले लोगों को जहां हिमाचल के रहन सहन और पहनावे के बारे में जानकारी मिलेगी तो वहीं, शहर की सुंदरता भी इन चित्रों से निखरेगी.
राजत्व के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य पर बनाई पेंटिंग्स
शिमला के मॉलरोड और शेरे पंजाब के पास इन वाल पेंटिंग को बनाया जा चुका है, जबकि अन्य जगहों पर इन्हें तैयार करने का काम अभी चल रहा है. हिमाचली संस्कृति को दर्शाने वाली यह वाल पेंटिंग्स हिमाचल के राजत्व के 50 वर्ष होने के उपलक्ष्य में बनवाए जा रहे हैं.
![glimpse of Himachali culture at shimla wall](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10261532_shmla2.jpg)
शिमला में तैयार की जा रही इन वाल पेंटिंग्स में हैरान करने वाली बात यह है कि इन पेंटिंग्स को बनाने का काम जिस आर्टिस्ट को सौंपा गया हैं, उनका हिमाचल और यहां की संस्कृति से कोई वास्ता ही नहीं है. हालांकि, वह अपने तरफ से प्रयासरत है कि जो भी चित्र उन्हें फोटो के माध्यम से दिखाए जा रहे हैं, वह उन्हें दीवारों पर उतार सकें और यह काम उन्होंने किया बेखूबी निभाया है.
पेंटिंग्स में पारंपरिक भेषभूषा को दर्शायां
शिमला के शेरे पंजाब के पास दीवार पर उन्होंने जहां जनजातीय क्षेत्र डोडरा क्वार में रहने वाले गड़रियों के जीवन और उनकी पारंपरिक भेषभूषा को दिखाया गया है. किस तरह से इस क्षेत्र में यह गडरिये अपनी भेड़ बकरियां चराते हैं, यह इस वाल पेंटिंग में दिखाया गया है. इसके साथ ही मालरोड पर बनाई गई दूसरी वाल पेंटिंग में देवरथ यात्रा को दिखाया गया है.
![glimpse of Himachali culture at shimla wall](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10261532_shmla.jpg)
देवी-देवताओं के रथ की झलकियां
किस तरह से हिमाचल में देवी देवताओं के रथ सजाए जाते है. लोग उन्हें कंधों पर उठा कर पारंपरिक वाद्य यंत्र बजाते है. सकी झलक इस वाल पेंटिंग में मिल रही है. इसी तरह के अलग-अलग तरह के चित्र यहां शहर की दीवारों पर बनाए जा रहे हैं.
दीवारों पर इन चित्रों को बनाने वाले कलाकार रामपाल बताते है कि वह खुद अंबाला से है. उनका कहना यही है कि उन्हें हिमाचली संस्कृति के बारे में कुछ जानकारी नहीं है,लेकिन जब काम मिला है तो वह इसके बारे में पढ़कर और जिला प्रशासन की ओर से दिखाए गए चित्रों के आधार पर यह पेंटिंग्स बना रहे है.
25 जनवरी तक पूरा होगा लक्ष्य
उन्होंने बताया कि शिमला जिला भर में वह इस तरह के चित्र बना रहे है. 25 जनवरी तक का समय इन पेटिंग को बनाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से दिया गया है. इन चित्रों की वास्तविकता ओर ज्यादा निखर के सामने आती. यह नहीं है कि यह पेंटिंग्स मात्र शिमला शहर में बनाई जा रही है, बल्कि हर एक जिला में इस तरह की वाल पेंटिंग्स जिला प्रशासन की ओर से बनाई जा रही है.
इसमें से ज़्यादातर जिलों में स्थानीय कलाकार ही इस काम को कर रहे है. वहीं, जिन स्थानीय कलाकारों को यह काम सौंपा गया है उसमें से एक कलाकार आदित्य का कहना है कि प्रशासन की ओर से उन्हें जो फोटो दी गईं है, उसी पेंटिंग को वह दीवार पर बनाई जी रही है.
9 लाख का पेंटिंग्स बजट
इसके अलावा प्रशासन उपायुक्त आदित्य नेगी का कहना है कि जिला भर में इस तरह की वाल पेंटिंग्स बनाई जा रही है. इसके लिए बजट 9 लाख रखा गया है. उन्होंने कहा कि जिला भर में इस तरह की पेंटिंग्स बनाया जाना है. ऐसे में इन चित्रों को बनाने के लिए सबसे पहले शिमला फाइन आटर्स कॉलेज में ही संपर्क किया गया था, लेकिन उन्होंने कहीं कारणों से इस काम को करने से मना कर दिया, जिसके बाद टेंडर किया गया और जिसकी सबसे कम लागत थी उसी को टेंडर दिया गया.