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Ukraine-Russia War: यूक्रेन में फंसे हैं हिमाचल के छात्र, लेकिन आगे क्या होगा मालूम नहीं...

शिमला की छात्रा अनुष्का कुठियाला, अदिति और मंडी जिले के करसोग के छात्र शिवांश सहित कई छात्र-छात्राएं यूक्रेन में फंसे हुए हैं. व्हाट्सएप के जरिये इन विद्यार्थियों की बीच-बीच में परिजनों से बात होती है. मदद के इंतजार में (Russia Ukraine Crisis) 24 फरवरी से ये अंडर ग्राउंड मेट्रो स्टेशन में छिपे हुए थे. इंतजार से थक-हारकर इन्होंने खुद ही हिम्मत (Himachal students trapped in Ukraine) जुटाकर बाहर निकलने की योजना बनाई. मगर बच्चों का वतन लौटने का रास्ता इतना आसान नहीं है. लबीब में सुबह छह बजे ट्रेन पहुंचेगी. उसके बाद बच्चों को यह भी मालूम नहीं कि आगे उन्हें कैसे जहाज मिलेगा.

Ukraine-Russia War
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Published : Mar 1, 2022, 7:43 PM IST

शिमला: जिला शिमला की छात्रा अनुष्का कुठियाला, अदिति और मंडी जिले के करसोग के छात्र शिवांश सहित कई छात्र-छात्राएं यूक्रेन में फंसे हुए हैं. व्हाट्सएप के जरिये इन विद्यार्थियों की बीच-बीच में परिजनों से बात होती है. छात्र-छात्राओं के अनुसार वहां न खाने को रोटी है और न ही जेब में पैसा बचा है. पानी-बिस्कुट से गुजारा हो रहा है.

मदद के इंतजार में 24 फरवरी से ये अंडर ग्राउंड मेट्रो स्टेशन में छिपे हुए थे. इंतजार से थक-हारकर इन्होंने खुद ही हिम्मत जुटाकर बाहर निकलने की योजना बनाई. मंगलवार सुबह ये सभी अंडर ग्राउंड मेट्रो स्टेशन से निकले और छह किलोमीटर पैदल चलकर पोलैंड बॉर्डर के समीप लबीब शहर के लिए ट्रेन पकड़ी.

व्हाट्सएप मैसेज में इन छात्र-छात्राओं ने बताया है कि 13 घंटे बाद लबीब (Ukraine-Russia War) पहुंचेंगे. अनुष्का के पिता राजीव कुठियाला और माता गीता कुठियाला ने बताया कि अभी तो संपर्क हो पा रहा है, मगर बच्चों का वतन लौटने का रास्ता इतना आसान नहीं है. लबीब में सुबह छह बजे ट्रेन पहुंचेगी. उसके बाद बच्चों को यह भी मालूम नहीं कि आगे उन्हें कैसे जहाज मिलेगा.

अनुष्का और उसके साथ चल रहे बच्चों के पास पैसे भी नहीं हैं. 24 फरवरी को उन्होंने अंतिम बार एटीएम (Himachal students trapped in Ukraine) से पैसे निकाले थे. अभिभावकों का कहना है कि अब तक इन बच्चों को भारतीय दूतावास यूक्रेन की ओर से कोई मदद नहीं मिली है.

ये भी पढ़ें- Ukraine-Russia War: बमबारी में एक भारतीय छात्र की मौत, पीएम मोदी ने पीड़ित परिवार से की बात

शिमला: जिला शिमला की छात्रा अनुष्का कुठियाला, अदिति और मंडी जिले के करसोग के छात्र शिवांश सहित कई छात्र-छात्राएं यूक्रेन में फंसे हुए हैं. व्हाट्सएप के जरिये इन विद्यार्थियों की बीच-बीच में परिजनों से बात होती है. छात्र-छात्राओं के अनुसार वहां न खाने को रोटी है और न ही जेब में पैसा बचा है. पानी-बिस्कुट से गुजारा हो रहा है.

मदद के इंतजार में 24 फरवरी से ये अंडर ग्राउंड मेट्रो स्टेशन में छिपे हुए थे. इंतजार से थक-हारकर इन्होंने खुद ही हिम्मत जुटाकर बाहर निकलने की योजना बनाई. मंगलवार सुबह ये सभी अंडर ग्राउंड मेट्रो स्टेशन से निकले और छह किलोमीटर पैदल चलकर पोलैंड बॉर्डर के समीप लबीब शहर के लिए ट्रेन पकड़ी.

व्हाट्सएप मैसेज में इन छात्र-छात्राओं ने बताया है कि 13 घंटे बाद लबीब (Ukraine-Russia War) पहुंचेंगे. अनुष्का के पिता राजीव कुठियाला और माता गीता कुठियाला ने बताया कि अभी तो संपर्क हो पा रहा है, मगर बच्चों का वतन लौटने का रास्ता इतना आसान नहीं है. लबीब में सुबह छह बजे ट्रेन पहुंचेगी. उसके बाद बच्चों को यह भी मालूम नहीं कि आगे उन्हें कैसे जहाज मिलेगा.

अनुष्का और उसके साथ चल रहे बच्चों के पास पैसे भी नहीं हैं. 24 फरवरी को उन्होंने अंतिम बार एटीएम (Himachal students trapped in Ukraine) से पैसे निकाले थे. अभिभावकों का कहना है कि अब तक इन बच्चों को भारतीय दूतावास यूक्रेन की ओर से कोई मदद नहीं मिली है.

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