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पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया वाले सपने को साकार कर रहा हिमाचल, अब सचिवालय होगा पेपरलेस

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Published : Aug 31, 2021, 7:35 PM IST

Updated : Jan 5, 2022, 12:27 PM IST

देश की पहली ई-विधानसभा का गौरव हासिल करने वाली हिमाचल प्रदेश विधानसभा की ई-विधान प्रणाली कई मायनों में अनूठी है. यहां सारा कामकाज ऑनलाइन होता है. इस कड़ी में अब एक और नया आयाम जुड़ने वाला है. पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने के लिए हिमाचल सरकार के सचिवालय को पेपरलेस बनाने की तैयारी की जा रही है.

Himachal secretariat will be paperless
हिमाचल सचिवालय होगा पेपरलेस.

शिमला: महज 70 लाख आबादी वाला छोटा पहाड़ी राज्य डिजिटल इंडिया की राह में बड़े बड़े कदम रख रहा है. हिमाचल प्रदेश देश का इकलौता ऐसा राज्य है जहां न केवल विधानसभा पेपरलेस है बल्कि यहां दो साल से मुख्यमंत्री ई बजट यानी पेपरलेस बजट (paperless budget) पेश कर रहे हैं और कैबिनेट मीटिंग भी पेपरलेस हो रही हैं. इस कड़ी में अब एक और आयाम जुड़ने वाला है. हिमाचल सरकार के सचिवालय को पेपरलेस किया जा रहा है. इस तरह हिमाचल प्रदेश पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया (Digital India) के सपने को साकार करने में पहली कतार में खड़ा है.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) के प्रधान निजी सचिव डॉ. आरएन बत्ता के अनुसार करीब 50 करोड़ का यह प्रोजेक्ट तैयार लर लिया गया है. वित्त आयोग की भी इसमें सहमति हासिल करने की प्रक्रिया पूरी की गई है. सबकुछ सिरे चढ़ने के बाद राज्य सचिवालय पेपरलेस हो जाएगा. इससे प्रशासनिक कामकाज तेज होगा, सारी फाइलें डिजिटल मोड में आ जाएंगी और सचिवालय का सारा रिकॉर्ड भी ऑनलाइन हो सकेगा. परिजेक्ट में एनआईसी की मदद ली जाएगी.

हिमाचल ई विधान वाला देश का पहला राज्य है. यहां इस खबर के माध्यम से हम हिमाचल की डिजिटल क्रांति (Digital revolution in Himachal) के साथ यह समझने का प्रयास करेंगे कि किस तरह इस छोटे राज्य ने यह सफलता हासिल की है. सबसे पहले ई-बजट की चर्चा करते हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने वर्ष 2020 के मार्च महीने में हिमाचल सरकार ने बजट पेश किया. वैसे तो ये सामान्य घटनाक्रम था, लेकिन इसे ई-बजट ने असाधारण बना दिया. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपनी सरकार का दूसरा बजट ई-बजट के तौर पर पेश किया. इसके बाद बारी आई ई कैबिनेट की इसी साल फरवरी महीने में 5 तारीख को पहली पेपरलेस कैबिनेट मीटिंग हुई. कैबिनेट का सारा एजेंडा ऑनलाइन था.

सीएम जयराम ठाकुर ने 5 फरवरी को हिमाचल की पहली ई-कैबिनेट (Himachal first e-cabinet) की अगुवाई की. ई-कैबिनेट के लिए सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने आईटी एप्लीकेशन को विकसित किया है. ये पूरे देश में अपनी तरह का पहला ऐसा ई-प्लेटफॉर्म है. पहली ई-कैबिनेट की बैठक में 32 एजेंडों पर चर्चा की गई और इसे ई-कैबिनेट एप्लीकेशन के माध्यम से संचालित किया गया. कैबिनेट ज्ञापन से जुड़ी सारी प्रक्रिया को ऑनलाइन करने का प्रावधान किया है. इसमें सभी विभागों के सचिव, मुख्य सचिव, संबंधित मंत्री और फिर अंत में मुख्यमंत्री की तरफ से ज्ञापन को कैबिनेट में रखने की अनुमति इत्यादि शामिल है.

अनुमोदन के बाद कैबिनेट बैठक की तारीख भी इस प्रणाली के माध्यम से अधिसूचित की जाएगी. सीएम जयराम ठाकुर के अनुसार कैबिनेट फैसलों की रिकार्डिंग और विभागों की सलाह को भी ऑनलाइन जारी करने का काम ई-कैबिनेट प्रणाली के माध्यम से किया जाएगा. ई-कैबिनेट में एक्चुअल समय में एसएमएस के माध्यम से ऑटोमेटिक अलर्ट की सुविधा, ऑनलाइन कैबिनेट ज्ञापन की प्राप्ति, बैठक को अंतिम रूप देना और कैबिनेट ज्ञापन पर संबंधित विभागों से सलाह लेना शामिल है. ई-कैबिनेट एप्लीकेशन एंड्रॉइड डिवाइस पर मोबाइल ऐप के रूप में भी उपलब्ध है और जल्द ही इसे आईओएस डिवाइस पर भी उपलब्ध करवाया जाएगा. इस प्रक्रिया में जीएडी ने काफी काम पूरा कर लिया है.

अब चर्चा करते हैं देश की पहली ई विधान प्रणाली की. सात साल पहले हिमाचल विधानसभा पेपरलेस हो चुकी है. ई-विधान प्रणाली लागू करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है. यहां अगस्त 2014 की 5 तारीख को विधानसभा पूरी तरह से ई-विधान घोषित हुई. हिमाचल प्रदेश विधानसभा की ई-विधान प्रणाली कई मायनों में अनूठी है. यहां सारा कामकाज ऑनलाइन होता है. प्रणाली के तहत टच स्क्रीन सिस्टम (touch screen system) पर सारी सूचनाएं मौजूद हैं. विधायकों व मंत्रियों सहित मुख्यमंत्री और मीडिया गैलेरी में टच स्क्रीन डिस्प्ले सिस्टम लगा है.

प्रश्नकाल में किस विधायक ने क्या सवाल किया और संबंधित विभाग के मंत्री ने उसका क्या जवाब दिया, ये सारा ब्यौरा ऑनलाइन टच स्क्रीन पर देखा जा सकता है. हिंदी में पूछे गए सवाल का जवाब हिंदी में और अंग्रेजी में किए गए सवाल का उत्तर उसी भाषा में दर्ज होता है. इसके अलावा दिन भर की कार्यवाही में सदन के पटल पर रखे जाने वाले दस्तावेजों का ब्यौरा भी मौजूद होता है. आगामी दिनों के लिए प्रश्नकाल के दौरान पूछे जाने वाले सवाल भी दर्ज होते हैं. सवाल पूछे जाने के दौरान ही यदि किसी विधायक को अपने सवाल से संबंधित कोई बिंदु भूल जाए तो वो तुरंत सामने लगी
टच स्क्रीन पर सारी सूचनाएं देख सकता है.

इसके अलावा सदन में विभिन्न स्थानों पर बड़ी-बड़ी स्क्रीन लगी हुई हैं. जो भी विधायक सवाल कर रहा होता है, उसकी फोटो वहां डिस्प्ले होती है. साथ ही समय भी दर्ज होता है. नियम विशेष के तहत चर्चा में भाग लेने वाले सदस्यों ने कितने समय तक अपनी बात कही, उसका भी समय स्क्रीन पर दर्ज होता है. इसके अलावा पूरा विधानसभा परिसर वाई-फाई सिस्टम से लैस है. यही नहीं, विधायकों के आवास में भी वाई-फाई सिस्टम है.

देश की अन्य विधानसभाओं ने भी ली हिमाचल से प्रेरणा: सफलता से ई-विधान लागू करने वाली हिमाचल विधानसभा से देश में अन्य राज्यों की विधानसभाओं ने भी प्रेरणा ली है. उत्तर पूर्व के राज्यों, हरियाणा, झारखंड आदि के अधिकारियों ने हिमाचल विधानसभा का दौरा कर इस प्रणाली की जानकारी जुटाई है. केंद्र सरकार के अफसरों ने भी यहां का दौरा किया है. ई-विधान लागू होने से सारा काम पेपरलेस है. इससे साल भर में 6096 पेड़ कटने से बचते हैं और हर साल 15 करोड़ रुपए की बचत भी होती है.

साइबर सिक्योरिटी पर भी खास ध्यान: ई-कैबिनेट एप्लिकेशन में साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है. इस एप्लिकेशन में केवल अधिकृत कंप्यूटरों पर अधिकृत उपयोगकर्ताओं को ही इस्तेमाल की अनुमति है. उपयोगकर्ता को कैबिनेट ज्ञापन के स्क्रीनशॉट लेने, डाउनलोड या प्रिंट करने की अनुमति नहीं है. साथ ही यदि कहीं से कोई अनाधिकृत प्रयास होता है तो अपने ऑप यानी ऑटोमेटिक अलर्ट आ जाएगा. इसके अलावा सुरक्षा के लिहाज से ओटीपी का उपयोग करके ही लॉगिन किया जा सकता है. इस एप्लीकेशन में डाले गए सभी कैबिनेट ज्ञापनों में दिनांक और समय टिकट के साथ विशेष क्यूआर कोड होगा.

ई-कैबिनेट सरकार की कार्यप्रणाली में और दक्षता लाएगी. सारी प्रक्रिया पेपरलेस होगी. कैबिनेट मीटिंग की सीक्रेसी (Secret of cabinet meeting) तय होगी. इस प्रणाली में कैबिनेट ज्ञापन का एक मानक टेम्पलेट होगा, जिससे निर्णय लेने में आसानी होगी. यह प्रणाली सुरक्षित रूप से डाटा को एकत्र करके निकट भविष्य में इंस्टीट्यूशनल मेमौरी तैयार करेगी. इस माध्यम से कैबिनेट के फैसलों को प्रभावी तरीके से लागू करने के साथ उनकी मॉनिटरिंग भी आसान होगी.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस डिजिटल इंडिया का सपना देखते हैं हिमाचल सरकार उस दिशा में निरंतर प्रयत्नशील है. जल्दी ही राज्य सचिवालय भी पेपरलेस किया जाएगा. इसके लिए एनआईसी की मदद ली जाएगी.

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शिमला: महज 70 लाख आबादी वाला छोटा पहाड़ी राज्य डिजिटल इंडिया की राह में बड़े बड़े कदम रख रहा है. हिमाचल प्रदेश देश का इकलौता ऐसा राज्य है जहां न केवल विधानसभा पेपरलेस है बल्कि यहां दो साल से मुख्यमंत्री ई बजट यानी पेपरलेस बजट (paperless budget) पेश कर रहे हैं और कैबिनेट मीटिंग भी पेपरलेस हो रही हैं. इस कड़ी में अब एक और आयाम जुड़ने वाला है. हिमाचल सरकार के सचिवालय को पेपरलेस किया जा रहा है. इस तरह हिमाचल प्रदेश पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया (Digital India) के सपने को साकार करने में पहली कतार में खड़ा है.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (Chief Minister Jairam Thakur) के प्रधान निजी सचिव डॉ. आरएन बत्ता के अनुसार करीब 50 करोड़ का यह प्रोजेक्ट तैयार लर लिया गया है. वित्त आयोग की भी इसमें सहमति हासिल करने की प्रक्रिया पूरी की गई है. सबकुछ सिरे चढ़ने के बाद राज्य सचिवालय पेपरलेस हो जाएगा. इससे प्रशासनिक कामकाज तेज होगा, सारी फाइलें डिजिटल मोड में आ जाएंगी और सचिवालय का सारा रिकॉर्ड भी ऑनलाइन हो सकेगा. परिजेक्ट में एनआईसी की मदद ली जाएगी.

हिमाचल ई विधान वाला देश का पहला राज्य है. यहां इस खबर के माध्यम से हम हिमाचल की डिजिटल क्रांति (Digital revolution in Himachal) के साथ यह समझने का प्रयास करेंगे कि किस तरह इस छोटे राज्य ने यह सफलता हासिल की है. सबसे पहले ई-बजट की चर्चा करते हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने वर्ष 2020 के मार्च महीने में हिमाचल सरकार ने बजट पेश किया. वैसे तो ये सामान्य घटनाक्रम था, लेकिन इसे ई-बजट ने असाधारण बना दिया. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपनी सरकार का दूसरा बजट ई-बजट के तौर पर पेश किया. इसके बाद बारी आई ई कैबिनेट की इसी साल फरवरी महीने में 5 तारीख को पहली पेपरलेस कैबिनेट मीटिंग हुई. कैबिनेट का सारा एजेंडा ऑनलाइन था.

सीएम जयराम ठाकुर ने 5 फरवरी को हिमाचल की पहली ई-कैबिनेट (Himachal first e-cabinet) की अगुवाई की. ई-कैबिनेट के लिए सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने आईटी एप्लीकेशन को विकसित किया है. ये पूरे देश में अपनी तरह का पहला ऐसा ई-प्लेटफॉर्म है. पहली ई-कैबिनेट की बैठक में 32 एजेंडों पर चर्चा की गई और इसे ई-कैबिनेट एप्लीकेशन के माध्यम से संचालित किया गया. कैबिनेट ज्ञापन से जुड़ी सारी प्रक्रिया को ऑनलाइन करने का प्रावधान किया है. इसमें सभी विभागों के सचिव, मुख्य सचिव, संबंधित मंत्री और फिर अंत में मुख्यमंत्री की तरफ से ज्ञापन को कैबिनेट में रखने की अनुमति इत्यादि शामिल है.

अनुमोदन के बाद कैबिनेट बैठक की तारीख भी इस प्रणाली के माध्यम से अधिसूचित की जाएगी. सीएम जयराम ठाकुर के अनुसार कैबिनेट फैसलों की रिकार्डिंग और विभागों की सलाह को भी ऑनलाइन जारी करने का काम ई-कैबिनेट प्रणाली के माध्यम से किया जाएगा. ई-कैबिनेट में एक्चुअल समय में एसएमएस के माध्यम से ऑटोमेटिक अलर्ट की सुविधा, ऑनलाइन कैबिनेट ज्ञापन की प्राप्ति, बैठक को अंतिम रूप देना और कैबिनेट ज्ञापन पर संबंधित विभागों से सलाह लेना शामिल है. ई-कैबिनेट एप्लीकेशन एंड्रॉइड डिवाइस पर मोबाइल ऐप के रूप में भी उपलब्ध है और जल्द ही इसे आईओएस डिवाइस पर भी उपलब्ध करवाया जाएगा. इस प्रक्रिया में जीएडी ने काफी काम पूरा कर लिया है.

अब चर्चा करते हैं देश की पहली ई विधान प्रणाली की. सात साल पहले हिमाचल विधानसभा पेपरलेस हो चुकी है. ई-विधान प्रणाली लागू करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है. यहां अगस्त 2014 की 5 तारीख को विधानसभा पूरी तरह से ई-विधान घोषित हुई. हिमाचल प्रदेश विधानसभा की ई-विधान प्रणाली कई मायनों में अनूठी है. यहां सारा कामकाज ऑनलाइन होता है. प्रणाली के तहत टच स्क्रीन सिस्टम (touch screen system) पर सारी सूचनाएं मौजूद हैं. विधायकों व मंत्रियों सहित मुख्यमंत्री और मीडिया गैलेरी में टच स्क्रीन डिस्प्ले सिस्टम लगा है.

प्रश्नकाल में किस विधायक ने क्या सवाल किया और संबंधित विभाग के मंत्री ने उसका क्या जवाब दिया, ये सारा ब्यौरा ऑनलाइन टच स्क्रीन पर देखा जा सकता है. हिंदी में पूछे गए सवाल का जवाब हिंदी में और अंग्रेजी में किए गए सवाल का उत्तर उसी भाषा में दर्ज होता है. इसके अलावा दिन भर की कार्यवाही में सदन के पटल पर रखे जाने वाले दस्तावेजों का ब्यौरा भी मौजूद होता है. आगामी दिनों के लिए प्रश्नकाल के दौरान पूछे जाने वाले सवाल भी दर्ज होते हैं. सवाल पूछे जाने के दौरान ही यदि किसी विधायक को अपने सवाल से संबंधित कोई बिंदु भूल जाए तो वो तुरंत सामने लगी
टच स्क्रीन पर सारी सूचनाएं देख सकता है.

इसके अलावा सदन में विभिन्न स्थानों पर बड़ी-बड़ी स्क्रीन लगी हुई हैं. जो भी विधायक सवाल कर रहा होता है, उसकी फोटो वहां डिस्प्ले होती है. साथ ही समय भी दर्ज होता है. नियम विशेष के तहत चर्चा में भाग लेने वाले सदस्यों ने कितने समय तक अपनी बात कही, उसका भी समय स्क्रीन पर दर्ज होता है. इसके अलावा पूरा विधानसभा परिसर वाई-फाई सिस्टम से लैस है. यही नहीं, विधायकों के आवास में भी वाई-फाई सिस्टम है.

देश की अन्य विधानसभाओं ने भी ली हिमाचल से प्रेरणा: सफलता से ई-विधान लागू करने वाली हिमाचल विधानसभा से देश में अन्य राज्यों की विधानसभाओं ने भी प्रेरणा ली है. उत्तर पूर्व के राज्यों, हरियाणा, झारखंड आदि के अधिकारियों ने हिमाचल विधानसभा का दौरा कर इस प्रणाली की जानकारी जुटाई है. केंद्र सरकार के अफसरों ने भी यहां का दौरा किया है. ई-विधान लागू होने से सारा काम पेपरलेस है. इससे साल भर में 6096 पेड़ कटने से बचते हैं और हर साल 15 करोड़ रुपए की बचत भी होती है.

साइबर सिक्योरिटी पर भी खास ध्यान: ई-कैबिनेट एप्लिकेशन में साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है. इस एप्लिकेशन में केवल अधिकृत कंप्यूटरों पर अधिकृत उपयोगकर्ताओं को ही इस्तेमाल की अनुमति है. उपयोगकर्ता को कैबिनेट ज्ञापन के स्क्रीनशॉट लेने, डाउनलोड या प्रिंट करने की अनुमति नहीं है. साथ ही यदि कहीं से कोई अनाधिकृत प्रयास होता है तो अपने ऑप यानी ऑटोमेटिक अलर्ट आ जाएगा. इसके अलावा सुरक्षा के लिहाज से ओटीपी का उपयोग करके ही लॉगिन किया जा सकता है. इस एप्लीकेशन में डाले गए सभी कैबिनेट ज्ञापनों में दिनांक और समय टिकट के साथ विशेष क्यूआर कोड होगा.

ई-कैबिनेट सरकार की कार्यप्रणाली में और दक्षता लाएगी. सारी प्रक्रिया पेपरलेस होगी. कैबिनेट मीटिंग की सीक्रेसी (Secret of cabinet meeting) तय होगी. इस प्रणाली में कैबिनेट ज्ञापन का एक मानक टेम्पलेट होगा, जिससे निर्णय लेने में आसानी होगी. यह प्रणाली सुरक्षित रूप से डाटा को एकत्र करके निकट भविष्य में इंस्टीट्यूशनल मेमौरी तैयार करेगी. इस माध्यम से कैबिनेट के फैसलों को प्रभावी तरीके से लागू करने के साथ उनकी मॉनिटरिंग भी आसान होगी.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस डिजिटल इंडिया का सपना देखते हैं हिमाचल सरकार उस दिशा में निरंतर प्रयत्नशील है. जल्दी ही राज्य सचिवालय भी पेपरलेस किया जाएगा. इसके लिए एनआईसी की मदद ली जाएगी.

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Last Updated : Jan 5, 2022, 12:27 PM IST
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