शिमला: हिमाचल विधानसभा चुनाव (Himachal Assembly Elections 2022) को लेकर प्रदेश में चुनावी गतिविधियां चरम पर हैं. बस सभी राजनीतिक दलों को निर्वाचन आयोग के द्वारा बिगुल बजने का इंतजार है. सूबे में एक ओर बीजेपी मिशन रिपीट को लेकर दिन-रात एक करने में जुट गई है. वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी मिशन डिलीट में पुरजोर तरीके से जुटी है. अब सवाल ये उठता है कि प्रदेश में क्या इस साल भाजपा रिवाज बदलने में कामयाब हो पाएगी या फिर कांग्रेस के हाथों में सत्ता का ताज होगा. चुनावी बेला में इस साल किस विधानसभा क्षेत्र में क्या चुनावी समीकरण हैं ये जानने के लिए ETV भारत ने हिमाचल सीट स्कैन (Himachal Seat Scan) सीरीज की शुरुआत की है. आइए जानते हैं आपके विधानसभा क्षेत्र में क्या चुनावी समीकरण हैं...
कांग्रेस का गढ़ रहा है शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र, जानिए इस साल चुनावी समीकरण
शिमला ग्रामीण सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है. 2008 में परिसीमन के बाद पहली बार ये सीट अस्तित्व में आई थी, अभी तक इस सीट पर केवल 2 विधानसभा चुनाव ही हुए हैं, पहली बार चुनाव 2012 में हुआ था, जिसपर कांग्रेस के दिग्गज नेता स्व वीरभद्र सिंह चुनाव मैदान में उतरे थे. उन्होंने इस सीट से जीत भी दर्ज की और राज्य के फिर मुख्यमंत्री भी बने. लेकिन 2017 में इस सीट पर वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह को चुनाव मैदान में उतारा गया था. 2017 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की अब 2022 के चुनाव में इस सीट पर जीत के लिए भाजपा ने मतदाताओं को लुभाना शुरू कर दिया है. इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा में ही सीधा मुकाबला है.
चुराह विधानसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस में टिकट के कई चाहवान, जानिए इस साल क्या हैं चुनावी समीकरण
चुराह विधानसभा सीट एससी के लिए आरक्षित है. और पिछले 2 बार से बीजेपी से हंसराज यहां से विधायक हैं. हालांकि इस साल इस सीट पर काफी उलट-फेर होने की उम्मीद है. गौर रहे कि साल 2012 से पहले इस सीट का नाम राजगनर था. चुराह विधान सभा क्षेत्र में 20 प्रतिशत तक मुस्लिम समाज का मतदाता है जो अपना वोट डालते हैं. इसी तरह तीस प्रतिशत के आसपास दलित समाज का वोट है जो बड़ा फैक्टर माना जाता है.
पालमपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस का दबदबा, BJP में टिकट के कई दावेदार, जानिए क्या हैं चुनावी समीकरण
विधानसभा सीट इस बार फिर से हॉट सीट बन गई है. क्योंकि यहां पर कांग्रेस का दबदबा शुरू से ही रहा है. भाजपा ने इस सीट को जीतने के लिए 2017 में पूरा जोर लगा लिया, लेकिन भाजपा नहीं जीत पाई थी. बड़ी बात यह है कि यह विधानसभा क्षेत्र अनारक्षित है. पालमपुर कांग्रेस का गढ़ है, इस बात को कोई भी नकार नहीं सकता है. क्योंकि लम्बे अरसे से पालपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस का ही कब्जा रहा है. दादा के बाद अब पोते ने इस विरासत को संजो कर रख दिया है.
मनाली विधानसभा सीट पर बीजेपी का दबदबा, इस साल जानिए क्या हैं चुनावी समीकरण
हिमाचल प्रदेश का खूबसूरत पर्यटन स्थल मनाली (tourist places manali) जिसकी खूबसूरती देखने के लिए भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों से भी चलानी हर साल यहां पहुंचते हैं. वहीं मनाली का रोहतांग दर्रा व अटल टनल की खूबसूरती भी कम नहीं. इसके अलावा हर साल लाखों सैलानियों का जमावड़ा भी मनाली में जुटा रहता है. ऐसे में विधानसभा चुनावों के चलते मनाली की अहमियत किसी भी सूरत में कम नहीं है. अब देखना यह होगा कि देश दुनिया में अपने सौंदर्य के लिए मशहूर मनाली विधानसभा की जनता साल 2022 के विधानसभा चुनावों में क्या रुख अपनाती है.
प्रकाश राणा की एंट्री से जोगिंदर नगर भाजपा में सियासी उलटफेर, जानिए क्या है चुनावी समीकरण
जोगिंदर नगर इकलौता ऐसा विधानसभा क्षेत्र था जहां से स्वतंत्र उम्मीदवार ने अपनी जीत दर्ज की थी. जोगिंदर नगर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार (Joginder Nagar Assembly Constituency) के तौर पर प्रकाश राणा ने भाजपा प्रत्याशी गुलाब सिंह ठाकुर को भारी मतों के माध्यम से हराया था. जोगिंदर नगर हलके के विधायक प्रकाश राणा (Joginder Nagar Constituency MLA Prakash Rana) विधिवत रूप से भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं. इससे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी में जहां भाजपा को ताकत मिलेगी.
शिमला शहरी विधानसभा सीट पर बीजेपी का दबदबा, जानिए इस साल क्या हैं चुनावी समीकरण
शिमला शहरी विधानसभा क्षेत्र (Shimla Assembly Constituency ground report) से शहरी विकास, नगर नियोजन, कानून और संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज की प्रतिष्ठा दांव पर होगी. सुरेश भारद्वाज ने 1990, 2007, 2012 और 2017 में यहां से विधायक के रूप में प्रतिनिधित्व किया है, लेकिन यह पहली बार है कि शिमला विधानसभा क्षेत्र को मंत्रिमंडल में स्थान मिला हो.
सुजानपुर विधानसभा सीट पर सबसे अधिक दफा और अधिक मतों के अंतर के साथ चुनाव जीतने का रिकॉर्ड धूमल के नाम ही है. यहां पर 2007 में उन्होंने 26007 के रिकार्ड मतातंर से जीत हासिल की थी वहीं दस साल बाद 2017 में उन्हें 1919 मतों से हार का सामना करना पड़ा है. इस सीट पर भाजपा के गठन के साल 1982 में जीत का परचम लहरा दिया गया था. वर्तमान में कांग्रेस नेता राजेंद्र राणा यहां पर विधायक हैं. कांग्रेस का चेहरा आगामी चुनावों के लिए यहां पर राजेंद्र राणा के रूप में लगभग तय है, जबकि भाजपा यहां पर अभी तक असमंजस में है. पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल कई दफा चुनाव लड़ने की यहां पर इच्छा जता चुके हैं, लेकिन भाजपा हाईकमान ने यहां पर अपना रूख स्पष्ट नहीं किया है.
शाहपुर विधानसभा सीट पर भाजपा का रहा है दबदबा, जानिए इस साल क्या हैं चुनावी समीकरण
विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही ओबीसी बाहुल्य (Shahpur Assembly seat Ground report) विधानसभा क्षेत्र शाहपुर में भाजपा व कांग्रेस पार्टी के लोग टिकट की दावेदारी जता रहे हैं. इसी बीच आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party in Himachal) ने भी अपना उम्मीदवार शाहपुर विधानसभा में उतारने की पूरी तैयारी कर ली है. भाजपा पार्टी से मंत्री एवं विधायक सरवीण चौधरी टिकट की दावेदार हैं, लेकिन इस मर्तबा भाजपा के प्रदेश कार्यकारी समिति के सदस्य कमल शर्मा ने भी टिकट की दावेदारी जताई है.
द्रंग विधानसभा सीट पर रहा है कौल सिंह ठाकुर का दबदबा, जानिए इस साल चुनावी समीकरण
मंडी जिले का द्रंग विधानसभा क्षेत्र भौगोलिक दृष्टि से सिराज विधानसभा क्षेत्र की तरह काफी दुर्गम (Darang Assembly Constituency Issues) है. यह विधानसभा क्षेत्र के साथ कुल्लू और कांगड़ा दो जिलों की सीमाएं लगती हैं. दुर्गम होने के कारण इस क्षेत्र में जहां सड़कों की कमी है, वहीं पर्यटन की दृष्टि से भी यह क्षेत्र अभी तक ज्यादा विकसित नहीं हो पाया है. दुर्गम इलाका होने की वजह से यहां पर बस सुविधा की भी कमी रहती है.
सोलन जिले के पांच विधानसभा क्षेत्रों में कसौली सबसे हॉट सीट (Kasauli assembly seat ground report) बन गई है. यहां हमेशा ही मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच रहा है, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी भी मैदान में है. कभी कांग्रेस का गढ़ रहा कसौली विधानसभा क्षेत्र आज भाजपा का मजबूत दुर्ग बन चुका है. दो धड़ों में बंटी कांग्रेस को यहां भाजपा का किला भेदना आसान नहीं होगा.
किन्नौर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा आमने सामने, जानिए इस साल जनता किस पर होगी मेहरबान
हिमाचल के कुल 68 विधानसभा क्षेत्रों में किन्नौर 68वीं विधानसभा सीट (Kinnaur Assembly seat) में आता है. इस विधानसभा क्षेत्र में 129 मतदान केंद्र हैं. हाल ही में प्रदेश के अंदर हुए उपचुनावों के अनुसार किन्नौर विधानसभा क्षेत्र में कुल 57,728 मतदाता हैं, जिनमें 28,791 पुरुष और 28,937 महिला मतादाता शामिल हैं. जिले में 80 वर्ष से अधिक आयु के 1,123 मतदाता हैं. किन्नौर विधानसभा क्षेत्र का कुछ हिस्सा चीन सीमा से भी लगता है. ऐसे में प्रदेश के अन्य क्षेत्रों के मुकाबले ये मुद्दे भी अलग-अलग होते हैं.
श्री नैना देवी सीट पर रणधीर शर्मा की बढ़ी मुश्किलें, बगावत के बीच जानिए यहां क्या हैं चुनावी समीकरण
श्री नैना देवी विधानसभा क्षेत्र (Naina Devi Assembly Constituency) में वर्तमान में कांग्रेस के विधायक रामलाल ठाकुर हैं, लेकिन वर्तमान में कांग्रेस से ज्यादा अंतर्कलह भाजपा में शुरू हो गई है. आपदा प्रबंधक बोर्ड के उपाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक रणधीर शर्मा के खिलाफ भाजपा के ही वरिष्ठ कार्यकर्ता विरोध में उतर गए हैं. कार्यकर्ता मीडिया में सामने आकर वह सरेआम रणधीर को हटाओ, भाजपा को बचाओ के नारे लगा रहे है. ऐसे में अब रणधीर शर्मा की नैना देवी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की मुश्किलें और भी बढ़ गई है.
68 विधानसभा क्षेत्रों में अर्की 50वीं विधानसभा सीट है, जहां आज तक 12 चुनावों में से 6 बार कांग्रेस 4 भाजपा एक बार जनता पार्टी और एक बार लोक राज पार्टी का दबदबा रहा है. अर्की विधानसभा सीट (Arki assembly seat) को कांग्रेस का गढ़ भी कहा जाता है. अर्की विधानसभा सीट पर ठाकुरों और ब्रह्मणों का ही दबदबा रहा है. जातीय समीकरण यहां चुनावी नतीजे बदल देते हैं.
लाहौल स्पीति में बीजेपी-कांग्रेस और AAP के बीच दिलचस्प मुकाबला, जानिए क्या हैं चुनावी समीकरण
कुल 68 विधानसभा क्षेत्रों में लाहौल स्पीति 21वीं विधानसभा सीट है. वैसे तो अटल टनल बनने के बाद लाहौल घाटी में पर्यटकों का आमद में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन अभी भी क्षेत्र में पर्यटन कारोबारियों की कई ऐसी मांगें हैं जो अधर में लटकी हैं. चुनाव की दृष्टि से इस साल लाहौल स्पीति सीट काफी महत्वपूर्ण है. लाहौल घाटी (Lahaul Spiti Assembly Constituency) में मोबाइल नेटवर्क की सुविधा बीते 5 सालों में बढ़ी है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों की स्थिति अभी भी सुधर नहीं पाई है. लाहौल घाटी में सिंचाई व्यवस्था (Lahaul Spiti Assembly Constituency Issues) का भी काफी अभाव है. क्योंकि यहां पर गांव काफी ऊंचे इलाकों में स्थित हैं और कृषि कार्यों के लिए लोगों को प्राकृतिक झरनों व नालों का सहारा (Irrigation system in Lahaul Spiti) लेना पड़ता है.
कांग्रेस का गढ़ रहा है ठियोग विधानसभा क्षेत्र, जानिए इस साल यहां क्या हैं चुनावी समीकरण
ठियोग विधानसभा क्षेत्र 61 (Theog Assembly Constituency) में एक बार फिर सियासी गर्मी तेज हो चुकी है. ठियोग में इस बार जहां भाजपा, कांग्रेस ,CPIM के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद है. वहीं, आम आदमी पार्टी भी इस बार ठियोग से चुनावी मैदान में (Aam Aadmi Party in Theog) ताल ठोक सकती है. मौजूदा दौर में ठियोग विधानसभा क्षेत्र से CPIM विधायक राकेश सिंघा (Theog Assembly Constituency CPIM MLA Rakesh Singha) पहली बार जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं, जिसका कारण 2017 में कांग्रेस की गुटबाजी को माना गया. इस बार के चुनाव में फिर से यही समीकरण बनते नजर आ रहे हैं. इस बार कांग्रेस में फिर से गुटबाजी नजर आ रही है.
नाहन विधानसभा सीट इस साल चुनाव के दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है. एक ओर बिंदल इस सीट पर हैट्रिक लगाने के प्रयास में हैं तो दूसरी ओर कांग्रेस भी इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए रणनीति बनाने में जुट गई है. नाहन विधानसभा क्षेत्र (Nahan assembly seat) में कुल 121 पोलिंग स्टेशन है. 15 जनवरी 2022 तक के आंकड़ों के मुताबिक नाहन विधानसभा क्षेत्र में कुल 82,371 मतदाता है, जिसमें से 41,949 पुरुष और 40,421 महिलाएं व एक अन्य मतदाता शामिल हैं. जानकारों की मानें तो सिरमौर की सबसे हॉट माने जाने वाली नाहन सीट में अगड़ी व पिछड़ी जातियों का जातिगत संतुलन उम्मीदवार के भविष्य की दशा तय करता है.
मंडी सदर सीट पर पंडित सुखराम परिवार का दबदबा, इस साल जानिए क्या हैं चुनावी समीकरण
68 विधानसभा क्षेत्रों में मंडी 33वीं विधानसभा सीट है. वैसे तो इस सीट पर दशकों से पंडित सुखराम परिवार का दबदबा रहा है, लेकिन साल 2017 में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होने के बाद पंडित सुखराम के पुत्र अनिल शर्मा ने ही भाजपा की झोली में यह सीट डाली. चुनाव की दृष्टि से इस साल यह सीट काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि अनिल शर्मा कब किधर करवट बदलेंगे कुछ नहीं कहा जा सकता. मंडी को छोटी काशी के नाम से जाना जाता है. यह नाम पूर्व सांसद दिवंगत राम रूप शर्मा की बदौलत मंडी को मिला. छोटी काशी का दर्जा मिलने के बाद भी मंडी में धार्मिक व पर्यटन की विकसित नहीं हो पाया है.
धर्मशाला में राजनीतिक दलों में टिकट के कई चाहवान, जानिए सबसे हॉट सीट पर क्या हैं चुनावी समीकरण?
हिमाचल में कुल 68 विधानसभा क्षेत्रों में धर्मशामशाला विधानसभा सीट 18वीं विधानसभा सीट है. कांगड़ा जिले में 15 विधानसभा सीट है, इसीलिए कहते हैं कि सत्ता का रास्ता कांगड़ा जिले से होकर ही निकलता है. राजनीतिक दलों के लिए कागड़ा जिला कितान महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चुनावी बेला में सीएम जयराम ठाकुर भी बैक-टू-बैक दौरा कर रहे हैं. हालांकि इस विधानसभा सीट से बारी-बारी कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है, लेकिन इस मर्तबा आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party in Himachal) भी चुनावी मैदान में आ गई है. इसलिए अब देखना रोचक होगा कि आखिर कौन सी पार्टी इस बार धर्मशाला विधानसभा सीट पर अपनी जीत दर्ज करवाती है.
सिराज विधानसभा सीट मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का गृह विधानसभा क्षेत्र है इस लिहाज से यह सबसे हॉट सीट में से एक है. सिराज विधानसभा सीट (पहले चच्योट) भाजपा का गढ़ रहा है, लेकिन इस साल चुनाव की दृष्टि से सिराज विधानसभा क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है. जयराम ठाकुर के सीएम बनने के बाद सिराज ही नहीं बल्कि मंडी जिला वीवीआईपी हो गया और यहां विकास के काम तेज गति से होने लगे. ऐसा नहीं है कि सिराज में सब भला ही भला है, कुछ इलाका ऐसा भी है, जिस पर सरकार की इनायत नहीं हो रही है. माना जाता है कि ये इलाके कांग्रेस समर्थक हैं.
बिलासपुर सदर विधानसभा क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों भाजपा की डबल इंजन सरकार ने जिले की जनता को कई सौगातें दी हैं. तो क्या एम्स और रंगनाथ मंदिर भाजपा को जीता पाएंगे या कांग्रेस भाजपा के मिशन रिपीट को मिशन डिलीट करने में कामयाब होगी. बिलासपुर शहर में सबसे ज्यादा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की मांग है. क्योंकि बिलासपुर शहर प्रदेश का एकमात्र ऐसा शहर है, जहां पर सब सुविधा होने के बावजूद भी यहां पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (Bilaspur Sadar Assembly Constituency Issues) नहीं है. यहां का सारा गंदा पानी गोबिंदसागर झील में जाकर मिलता है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि अभी तक इसका कोई हल नहीं निकल पाया है.
बंजार विधानसभा क्षेत्र (Banjar Assembly Constituency) में सत्तापक्ष के विधायक सुरेंद्र शौरी लगातार ग्रामीण इलाकों का दौरा कर रहे हैं और बीते सालों में किए गए विकास कार्यों का भी बखान जनता के बीच रख रहे हैं तो वहीं कांग्रेस भी विधायक की नाकामियों के बारे में जागरूकता अभियान चलाए हुए है. स्थानीय लोगों का कहना है कि बंजार विधानसभा क्षेत्र में स्वास्थ्य की हालत बिल्कुल भी ठीक (Banjar Assembly Constituency Issues) नहीं है. तो वहीं शिक्षा का ढांचा भी सरकार पूरी तरह से मजबूत नहीं कर पाई है. लोगों को इस बात से परेशानी है कि यहां पर चुनावों के समय विभिन्न राजनीतिक दल बड़ी-बड़ी घोषणाएं तो कर जाते हैं, लेकिन उसके बाद वह इस क्षेत्र को भूल जाते हैं.
लासपुर जिले की सबसे महत्वपूर्ण सीट घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र इन दिनों काफी चर्चा में है. यहां से पहली बार विजेता रहे विधायक राजेंद्र गर्ग को पहली बारी में ही मंत्री का पद भाजपा सरकार में मिल गया. अब मंत्री राजेंद्र गर्ग के लिए वरिष्ठ पदाधिकारियों राकेश चोपड़ा और उनकी सेना को साथ लेकर चलना मुश्किल हो गया है. ऐसे में कहीं न कहीं इन विधानसभा चुनावों में भाजपा को घुमारवीं से सीट (Ghumarwin Assembly Seat) निकालना थोड़ा मुश्किल हो जाएगा. घुमारवीं में स्थानीय जनता की हमेशा मांग (Ghumarwin Assembly Constituency Issues) रही है कि यहां कूड़ा संयंत्र लगाया जाए, लेकिन नगर परिषद के पास अभी तक भी कोई पर्याप्त स्थान नहीं है.
सोलन विधानसभा सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है, लेकिन चुनाव से पहले ही एक बार फिर से ससुर और दामाद के बीच इस सीट पर जुबानी जंग तेज हो गई है. चुनाव से पहले सोलन विधानसभा सीट पर भाजपा में टिकट की दावेदारी को लेकर इन दिनों चार प्रत्याशी आगे चल रहे हैं. पीएचसी और सीएचसी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी भी लगातार चुनावी मुद्दा बनती है. वैसे तो कांग्रेस यह दावा कर रही है कि कांग्रेस कार्यकाल में ही सोलन में विकास हुआ, लेकिन जमीनी हकीकत पर अभी भी विकास होना बाकी है. इस सीट पर ससुर दामाद की इस लड़ाई (Rajesh Kashyap vs Dhaniram Shandil) में किसकी जीत होगी किसकी हार होगी यह तो समय बताएगा. लेकिन चर्चाओं का माहौल है कि इस बार भी इन दोनों पर ही दोनों पार्टियां किस्मत आजमाने वाली है. इस बार आम आदमी पार्टी भी चुनावी मैदान में (Himachal Seat Scan) उतर रही है.
करसोग विधानसभा क्षेत्र में पिछले 6 चुनावों में कांग्रेस का दबदबा रहा है और एक बार ही कमल खिला है. इस बार इस सीट पर चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है. चार जिला परिषद वार्ड वाले इस विधानसभा क्षेत्र का इतिहास देखें तो नारी सशक्तिकरण के दावे करने वाले बड़े दल कांग्रेस और भाजपा ने कभी भी महिला को टिकट नहीं दिया है. करसोग में स्थाई सब्जी मंडी न होने से किसान काफी परेशान हैं. क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव (Medical Facilities in Karsog) है. इसके अलावा सिविल अस्पताल करसोग (Civil Hospital Karsog) में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है. करसोग में सरकारी विभागों में स्टाफ की कमी से आए दिन मरीजों को परेशानी पेश आ रही है. विपक्ष इन प्रमुख मुद्दों पर सत्ता पक्ष को घेर सकता है.
हमीरपुर जिले की भोरंज सीट का इतिहास भी बेहद रोचक रहा है. इस सीट पर पिछले तीन दशकों से भाजपा का कब्जा है. विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए इस साल विधानसभा चुनावों में गुटबाजी बड़ी चुनौती (Controversy between BJP and Congress party workers in Bhoranj) होगी. एक तरफ कांग्रेस यहां पर तीन दशक से गुटबाजी की वजह से जीत हासिल नहीं कर पाई है तो वहीं भाजपा की राह भी इस बार मुश्किल नजर आ रही है. भोरंज विधानसभा क्षेत्र में सड़कों का जाल बिछा है, लेकिन गांव देहात की सड़कों की हालत बरसात में खराब हो जाती है. बस स्टैंड का निर्माण का मुद्दा फिर चुनावों में उठ सकता (Bhoranj Assembly Constituency Issues) है.
चुनावी साल में नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र (Nalagarh Assembly Constituency) में एक बार फिर सियासी गर्मी तेज हो चुकी है. नालागढ़ में जहां भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद है. वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस की आपसी दरार ही यहां कांग्रेस की हार का कारण बनती जा रही है. दरअसल नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र से मौजूदा समय में कांग्रेस से लखविंदर राणा विधायक (Nalagarh MLA Lakhwinder Rana) हैं. लेकिन अब उन्हें 2022 के होने वाले विधानसभा चुनावों में अन्य पार्टियों से खतरा कम और कांग्रेस से ही टिकट की दावेदारी ठोक रहे हरदीप सिंह बावा से ज्यादा खतरा हो गया है. नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र (Nalagarh Assembly Constituency) में किसानों की फसलों को न मिलने वाला उचित दाम, पानी की असुविधा, नदियों पर पुलों का न होना, लगातार खनन को बढ़ावा मिलना और क्राइम का बढ़ना अहम मुद्दे रहे हैं.
हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र का इतिहास बेहद की रोचक रहा है. जीत और हार के साथ ही भौगोलिक परिस्थितियां में बदलाव और विधानसभा डिलिमिटेशन के कारण क्षेत्रों के गठजोड़ भी चर्चा में रहे हैं. साल 1982 से इस सीट पर भाजपा का अधिक दबदबा देखने को मिला है. पिछले 9 विधानसभा चुनावों में से भाजपा ने आठ और कांग्रेस ने एक दफा जीत हासिल की है. भाजपा के दिग्गज नेता रहे पूर्व मंत्री स्वर्गीय जगदेव चंद इस विधानसभा क्षेत्र से 1982 से लेकर 1993 तक चार दफा लगातार भाजपा के टिकट पर विधायक रहे. हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज हमीरपुर में बेहतर सेवाएं और नए बस स्टैंड का मुद्दा (Hamirpur Assembly Constituency Issues) चर्चा में रहेगा. शहर में बेहतर पार्क न होना, बिजली की लाइनों का जाल, ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल और बिजली की समस्या चर्चा में रहेगी.
Himachal Seat Scan: कुल्लू विधानसभा क्षेत्र की जनता किसका देगी साथ, जानिए क्या हैं समीकरण ?
चुनाव की दृष्टि से कुल्लू विधानसभा क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है. कुल्लू विधानसभा क्षेत्र (Kullu Assembly Constituency) जहां राजनीतिक चर्चाओं का विषय बना रहता है. वहीं, यह धार्मिक व पर्यटन की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है. कुल्लू विधानसभा की अगर बात करें तो यहां पर लग घाटी, मणिकर्ण घाटी व खराहल घाटी प्रमुख रूप से आती है. यह तीनों ही घटियां धार्मिक पर्यटन के लिए वे काफी मशहूर हैं, लेकिन तीनों ही घाटियों में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की दृष्टि से कोई खास कार्य नहीं हो पाया है. क्षेत्र में 88,957 मतदाता कुल्लू विधानसभा क्षेत्र से राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों की किस्मत को तय करेंगे.
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