शिमला: हिमाचल को उड़ता पंजाब बनने से बचाने के लिए हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार कई बिंदुओं पर काम कर रही है. पुलिस विभाग की अनुशंसा के बाद नशीले पदार्थों की खेती पर आकाश से नजर रखने के लिए ड्रोन की मदद ली जाएगी. इसके अलावा इंटरनेशनल ड्रग स्मगलर्स पर भी पैनी नजर रखी जाएगी. हिमाचल में नाइजीरिया मूल के कई नागरिक जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं, ड्रग तस्करी में पकड़े गए हैं.
ऐसे में पुलिस तस्करों की कमर तोड़ने के लिए उनके आर्थिक साम्राज्य पर भी चोट कर रही है. हाल ही में ईडी ने शिमला के कुख्यात ड्रग तस्कर दीप राम ठाकुर की करोड़ों की संपत्ति जब्त की है. नशा तश्करों के खिलाफ अभियान की समीक्षा बैठकों के दौरान पुलिस ने यह पाया कि हिमाचल के दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में भांग और अफीम चोरी छिपे उगाई जा रही है. इन इलाकों पर गश्त के जरिए नजर रखना संभव नहीं है.
आलम यह है कि कई बार तो घने जंगलों के बीच कई बीघा जमीन पर अफीम उगाई जाती है, जिसका स्थानीय प्रशासन तो दूर की बात पंचायत स्तर पर भी खबर नहीं लगती है. ऐसे में स्थानीय ड्रग तस्कर अफीम से चरस तैयार करके बेच देते हैं. पुलिस प्रशासन ने राज्य सरकार से आग्रह किया कि रिमोट एरिया में नशीले पदार्थों की खेती पर नजर रखने के लिए ड्रोन की जरूरत है. उसके बाद राज्य सरकार ने प्रस्ताव तैयार कर केंद्र को भेजा. केंद्र की मंजूरी मिल चुकी है और जल्द ही इस प्रोजेक्ट में पुलिस को धनराशि भी मिल जाएगी.
अब ड्रोन कैमरों के जरिये हिमाचल में नशे का नाश होगा. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तीन ड्रोन कैमरे खरीदने को स्वीकृति दे दी है. जल्द ही धनराशि राज्य पुलिस के पास आ जाएगी. उसके बाद ड्रोन की खरीद होगी. जिनके माध्यम से भांग और अफीम की दुर्गम इलाकों में फसलों की तस्वीरें खींची जा सकेंगी. इनके आधार पर राज्य पुलिस नशे को नष्ट करने का ऑपरेशन चलाएगी. खासतौर पर कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर के ऐसे इलाकों पर नजर रहेगी. इस संबंध में हिमाचल प्रदेश सरकार ने केंद्र को प्रस्ताव भेजा था. इसमें कई तरह के उपकरणों की खरीद के लिए फंड मांगा गया था. मंत्रालय ने इसकी स्वीकृति प्रदान की है. इस संबंध में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के उप महानिदेशक (मुख्यालय) ने राज्य सरकार को स्वीकृति पत्र भेजा है. इसकी प्रतिलिपि मुख्य सचिव, डीजीपी को दी गई है.
उल्लेखनीय है कि समय-समय पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने ड्रग तस्करों के खिलाफ सख्त आदेश पारित किए हैं. हाईकोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया है कि वे बड़ी मच्छलियों पर हाथ डालें और केस को इस कदर मजबूत बनाएं कि अदालत में आरोप साबित हो सके. जिससे तस्करों को 25 साल तक की कैद की सजा सुनाई जा सके. हाईकोर्ट ने यह भी कहा है कि जांच अधिकारी के पास दिए गए बयानों की वीडियो रकॉर्डिंग होनी चाहिए. हिमाचल हाईकोर्ट ने 9 ड्रग तस्करों को 15 से 25 साल तक की सजा सुनाई है. इसमें एक दोषी तो 70 साल का बुजुर्ग भी है.
हिमाचल प्रदेश में 2009 से 2019 की अवधि में 6261 मामले दर्ज किए गए. तुलनात्मक अध्ययन करने पर पता चला है कि इनमें हर साल इजाफा ही हो रहा है. तस्करी में भारतीयों के अलावा विदेशी मूल के नागरिक भी पहाड़ी राज्य में बड़ी तादाद में सक्रिय हैं. एक दशक के भीतर तस्करी के आरोप में 6175 भारतीय और 124 विदेशी पकड़े गए. कुल दर्ज मामलों में से 35 में पुलिस ने कैंसलेशन रिपोर्ट तैयार की.
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वहीं, 347 मामले ऐसे रहे, जिनमें पेंडिंग इंवेस्टीगेशन रही. 5563 केस अदालतों में भेजे गए. इनमें आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की गई. 744 केसों में आरोपितों को सजा हुई. इनमें पुलिस के पास पुख्ता सुबूत रहे. इन केसों में पकड़े गए आरोपितों को कोर्ट ने दोषी पाया. इन्हें सजा भी हुई. वहीं, 1762 केस कोर्ट में साबित नहीं हो पाए. ऐसा सुबूतों के अभाव में हुआ. इनमें आरोपित दोषमुक्त हो गए. तीन मामले सरकार ने वापस लिए. इन सभी मामलों में सजा की औसत दर 29.68 फीसद रही.
एनडीपीएस एक्ट से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण करें तो 2008 में सजा की दर 32.6 फीस रही. वहीं 2009 में 31.3 फीसद, 2010 में 26.1, 2011 में 25.2, 2012 में 30.5, 2013 में 24.4, 2014 में 26.4, 2015 में 42.1, 2016 में 58.3, 2017 में 60 फीसद रही. देश में नशा खासकर हेरोइन और चिट्टा तीन प्रमुख देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान से आ रहा है. वहां से क्रॉस बार्डर, दुबई, नेपाल के रास्ते देश में आ रहा है. इससे हिमाचल काफी प्रभावित हो रहा है.
बॉलीवुड में ड्रग्स तस्करों पर एनसीबी की नकेल के बीच हिमाचल प्रदेश पुलिस भी बड़े तस्करों की आर्थिकी पर और कड़ा प्रहार करेगी. अब खाकी का जोर मादक द्रव्य पदार्थों के मामलों की वित्तीय जांच पर होगा. इसमें वित्त मंत्रालय की मदद से तस्करों की काली कमाई से अर्जित की गई संपत्ति को अटैच करने पर है. इकोनॉमिक इंटेलिजेंस एजेंसी से लेकर प्रवर्तन निदेशालय तक का जांच में सहयोग लिया गया है.
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