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जजों के खिलाफ जज पहुंचे हाईकोर्ट, अदालत ने रजिस्ट्रार जनरल और 11 न्यायाधीशों को जारी किया नोटिस - न्यायाधीशों को नोटि

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल और 11 न्यायाधीशों को नोटिस जारी किया है. न्यायाधीशों की सीनियोरिटी से जुड़े एक मामले में हिमाचल हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल सहित 11 अन्य न्यायाधीशों को नोटिस जारी किया है.

Himachal Pradesh High Court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
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Published : Aug 25, 2022, 9:26 PM IST

शिमला: ऐसा बहुत कम देखने में आता है कि जनता को न्याय देने वाले जज अपने खिलाफ अन्याय होने पर उच्च अदालत का दरवाजा खटखटाएं. हिमाचल में ऐसा ही हुआ है. न्यायाधीशों की सीनियोरिटी से जुड़े एक मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल सहित 11 अन्य न्यायाधीशों को नोटिस जारी (High Court issues notice to Registrar ) किया है.

हाईकोर्ट की न्यायाधीश सबीना व न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश गौरव महाजन द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद प्रतिवादियों को 7 नवम्बर तक जवाब पेश करने के आदेश जारी किए. प्रार्थी ने उक्त मामले में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सचिन रघु, राजिंदर धीमान, हरीश शर्मा, प्रवीण चौहान, रणजीत सिंह, अविनाश चंद्र, प्रकाश चंद राणा, विवेक शर्मा, पंकज शर्मा, डॉक्टर अबीरा बासु व राजेश चौहान को निजी तौर पर प्रतिवादी बनाया है.

प्रार्थी के अनुसार 7 जून 2002 को प्रार्थी ने हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा को उत्तीर्ण करने के पश्चात बतौर अधीनस्थ जज ज्वाइन किया था. प्रार्थी को 23 सितंबर 2011 को सिविल जज सीनियर डिविजन के तौर पर पदोन्नत किया गया. 8 सितंबर 2014 को प्रार्थी की सेवाओं को नियमित किया गया व ग्रेडेशन लिस्ट जारी की गई, जिसमें प्रार्थी को उपरोक्त प्रतिवादियों से पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने की तारीख से वरिष्ठता देते हुए जूनियर दर्शाया गया.

जबकि प्रार्थी के अनुसार 28 नवंबर 2018 को कुछ अन्य न्यायिक अधिकारियों को सीनियर सिविल जज के पद पर पदोन्नत किया गया और उन्हें वरिष्ठता पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने की तारीख की बजाय सेवा में एंट्री ग्रेड से दी गई. प्रार्थी ने मांग की है कि उसे भी इन न्यायिक अधिकारियों की तरह पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने की तारीख की बजाय वरिष्ठता सेवा में एंट्री ग्रेड से दी जाए और निजी तौर पर बनाए गए प्रतिवादियों से वरिष्ठ दर्शाया जाए. मामले पर सुनवाई 7 नवंबर को होगी.

ये भी पढ़ें: जांगला स्कूल में नहीं बना विज्ञान भवन, हाईकोर्ट ने 14 सितंबर तक मांगा जवाब

शिमला: ऐसा बहुत कम देखने में आता है कि जनता को न्याय देने वाले जज अपने खिलाफ अन्याय होने पर उच्च अदालत का दरवाजा खटखटाएं. हिमाचल में ऐसा ही हुआ है. न्यायाधीशों की सीनियोरिटी से जुड़े एक मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल सहित 11 अन्य न्यायाधीशों को नोटिस जारी (High Court issues notice to Registrar ) किया है.

हाईकोर्ट की न्यायाधीश सबीना व न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश गौरव महाजन द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद प्रतिवादियों को 7 नवम्बर तक जवाब पेश करने के आदेश जारी किए. प्रार्थी ने उक्त मामले में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सचिन रघु, राजिंदर धीमान, हरीश शर्मा, प्रवीण चौहान, रणजीत सिंह, अविनाश चंद्र, प्रकाश चंद राणा, विवेक शर्मा, पंकज शर्मा, डॉक्टर अबीरा बासु व राजेश चौहान को निजी तौर पर प्रतिवादी बनाया है.

प्रार्थी के अनुसार 7 जून 2002 को प्रार्थी ने हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा को उत्तीर्ण करने के पश्चात बतौर अधीनस्थ जज ज्वाइन किया था. प्रार्थी को 23 सितंबर 2011 को सिविल जज सीनियर डिविजन के तौर पर पदोन्नत किया गया. 8 सितंबर 2014 को प्रार्थी की सेवाओं को नियमित किया गया व ग्रेडेशन लिस्ट जारी की गई, जिसमें प्रार्थी को उपरोक्त प्रतिवादियों से पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने की तारीख से वरिष्ठता देते हुए जूनियर दर्शाया गया.

जबकि प्रार्थी के अनुसार 28 नवंबर 2018 को कुछ अन्य न्यायिक अधिकारियों को सीनियर सिविल जज के पद पर पदोन्नत किया गया और उन्हें वरिष्ठता पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने की तारीख की बजाय सेवा में एंट्री ग्रेड से दी गई. प्रार्थी ने मांग की है कि उसे भी इन न्यायिक अधिकारियों की तरह पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने की तारीख की बजाय वरिष्ठता सेवा में एंट्री ग्रेड से दी जाए और निजी तौर पर बनाए गए प्रतिवादियों से वरिष्ठ दर्शाया जाए. मामले पर सुनवाई 7 नवंबर को होगी.

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