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बेवजह नौकरी से गैरहाजिर रहने पर पुलिसकर्मी को जबरन रिटायर करने के आदेश की याचिका खारिज - हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय (Himachal Pradesh High Court) ने बेवजह नौकरी से गैरहाजिर रहने पर पुलिसकर्मी को जबरन रिटायर करने के आदेश को कानून सम्मत मानते हुए कर्मचारी की याचिका को खारिज कर दिया.

Himachal Pradesh High Court
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय
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Published : Apr 25, 2022, 9:36 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय (Himachal Pradesh High Court) ने बेवजह नौकरी से गैरहाजिर रहने पर पुलिसकर्मी को जबरन रिटायर करने के आदेश को कानून सम्मत मानते हुए कर्मचारी की याचिका को खारिज कर दिया. न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान ने याचिका को खारिज करते हुए व्यवस्था दी. पुलिस विभाग में सभी कर्मियों को अनुशासन में रहते हुए कार्य करना है. यदि कोई कर्मी बिना कारण बताए अपनी नौकरी से 599 दिनों तक गैरहाजिर रहे तो वह कर्मी अनुशासनहीनता के दायरे में आता है और यदि उस कर्मी को जबरन सेवानिवृत्त कर दिया जाए तो तो यह गैरकानूनी नहीं है.

अदालत ने अपने निर्णय में आगे कहा की प्रार्थी को (Himachal Pradesh High Court) विभाग ने समय-समय पर अपनी सेवाएं बेहतर करने का मौका दिया. लेकिन प्रार्थी ने अपने व्यवहार में कोई सुधार नहीं लाया. विभाग ने प्रार्थी के परिवार और बच्चों के भविष्य को मध्य नजर रखते हुए उसे नौकरी से बर्खास्त नहीं किया और जबरन सेवानिवृत्ति के आदेश जारी किए ताकि वह सेवानिवृत्ति के पश्चात सेवा लाभों का हकदार बन सके.

शिमला: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय (Himachal Pradesh High Court) ने बेवजह नौकरी से गैरहाजिर रहने पर पुलिसकर्मी को जबरन रिटायर करने के आदेश को कानून सम्मत मानते हुए कर्मचारी की याचिका को खारिज कर दिया. न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान ने याचिका को खारिज करते हुए व्यवस्था दी. पुलिस विभाग में सभी कर्मियों को अनुशासन में रहते हुए कार्य करना है. यदि कोई कर्मी बिना कारण बताए अपनी नौकरी से 599 दिनों तक गैरहाजिर रहे तो वह कर्मी अनुशासनहीनता के दायरे में आता है और यदि उस कर्मी को जबरन सेवानिवृत्त कर दिया जाए तो तो यह गैरकानूनी नहीं है.

अदालत ने अपने निर्णय में आगे कहा की प्रार्थी को (Himachal Pradesh High Court) विभाग ने समय-समय पर अपनी सेवाएं बेहतर करने का मौका दिया. लेकिन प्रार्थी ने अपने व्यवहार में कोई सुधार नहीं लाया. विभाग ने प्रार्थी के परिवार और बच्चों के भविष्य को मध्य नजर रखते हुए उसे नौकरी से बर्खास्त नहीं किया और जबरन सेवानिवृत्ति के आदेश जारी किए ताकि वह सेवानिवृत्ति के पश्चात सेवा लाभों का हकदार बन सके.

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