शिमला: राजधानी शिमला पेयजल संकट मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court) शिमला जल प्रबंधन निगम के अधिकारियों की ओर से पेश किए गए आंकड़ों से संतुष्ट नहीं हुआ है. राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि 45 फीसदी पानी नगर निगम कार्यालय, सार्वजनिक शौचालय और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं के लिए लग जाता है. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने इस पर हैरानी जताते हुए शिमला जल प्रबंधन निगम को आदेश दिए कि वह अदालत के समक्ष विस्तृत आंकड़े पेश करे.
मामले की सुनवाई आगामी 22 जून को निर्धारित की गई है. शिमला जल प्रबंधन निगम आज भी अदालत की ओर से पूछे गए सवाल का जवाब देने में असमर्थ रहा. खंडपीठ ने पूछा था कि जब स्रोतों से 32 एमएलडी पानी उठाया जा रहा है तो उस स्थिति में वैकल्पिक दिन में पानी क्यों नहीं छोड़ा जा रहा है. अदालत ने शिमला जल प्रबंधन निगम के अधिकारियों से यह भी पूछा था कि यदि गर्मी के कारण केवल 32 एमएलडी पानी ही उठाया जा रहा है तो 8 एमएलडी कहां जा रहा है.
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