ETV Bharat / city

हिमाचल के दागी अफसरों पर हाईकोर्ट ने दो हफ्ते में मांगा शपथ पत्र, ACS प्रबोध सक्सेना की बढ़ सकती है मुश्किलें

हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने राज्य सरकार को दागी अधिकारियों के संबंध में तमाम जानकारी बाबत नया शपथ पत्र दो सप्ताह के भीतर दाखिल करने के आदेश दिए है. कोर्ट के इस आदेश के बाद ACS प्रबोध सक्सेना की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. पढ़ें पूरी खबर...

ACS प्रबोध सक्सेना
ACS प्रबोध सक्सेना
author img

By

Published : Sep 7, 2022, 7:32 PM IST

Updated : Sep 7, 2022, 7:52 PM IST

शिमला: हिमाचल सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. दरअसल बुधवार को हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट (Himachal High Court) ने राज्य सरकार को दागी अधिकारियों के संबंध में तमाम जानकारी को लेकर नया शपथ पत्र दाखिल करने को कहा (Himachal High Court on the corrupt officers) है. सरकार को दो हफ्ते का वक्त दिया गया है. मुख्य न्यायाधीश अमजद एहतेशाम सईद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले को दो सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया है.

हिमाचल हाइकोर्ट ने यह आदेश एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया है. जिसमें कोर्ट ने सरकार में संवेदनशील पदों पर काम कर रहे दागी अधिकारियों के मुद्दे पर संज्ञान लिया है. उल्लेखनीय है कि जनहित याचिका में प्रार्थी बलदेव शर्मा द्वारा अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर कर आरोप लगाया गया था कि मुख्य सचिव ने शपथ पत्र के माध्यम से हाईकोर्ट के समक्ष दी गयी सूची में अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त, योजना, कार्मिक, पर्यावरण) प्रबोध सक्सेना (ACS Prabodh Saxena) का नाम जानबूझकर छिपाया है. प्रबोध सक्सेना हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष भी है.

आवेदन में यह आरोप लगाया गया है कि सीबीआई ने भारत सरकार द्वारा अभियोजन स्वीकृति जारी करने के बाद सितंबर, 2019 में प्रबोध सक्सेना और अन्य के खिलाफ सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें संज्ञान लेने के बाद सीबीआई कोर्ट द्वारा प्रबोध सक्सेना को चार्जशीट समन जारी किया गया था. वर्तमान में वह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आईएनएक्स मीडिया मामले (INX Media case) में फरवरी, 2020 से जमानत पर हैं. आवेदन में आगे आरोप लगाया गया कि इस तथ्य की जानकारी के बावजूद मुख्य सचिव ने जानबूझकर उक्त अधिकारी का नाम दागी छवि वाले अधिकारियों की सूची से छिपाया.

दरअसल अदालत ने अपने पिछले आदेशों में मुख्य सचिव को निर्देश दिए थे कि वह सभी दागी छवि वाले अधिकारियों के खिलाफ शुरू की गई विभागीय कार्यवाही की स्थिति का खुलासा करते हुए शपथपत्र दाखिल करें. कोर्ट ने उन्हें एक सारणीबद्ध रूप में एक चार्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया था, जिसमें अधिकारियों के नाम का खुलासा किया गया हो. उसमें दागियों की वर्तमान स्थिति और उनके खिलाफ कार्यवाही के चरण के साथ-साथ उस पर अंतिम कार्रवाई का हवाला दिया जाना जरूरी था. कोर्ट ने अपने पिछले आदेश में यह भी निर्देश दिया था कि सरकार शपथपत्र के माध्यम से बताए कि क्या ऐसे दागी छवि वाले अधिकारी किसी संवेदनशील पद पर हैं.

ये भी पढ़ें: समय पर नहीं पहुंचे बीजेपी के नेता तो कांग्रेस विधायक ने कर दिया उद्घाटन, पढ़ें पूरा मामला

शिमला: हिमाचल सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. दरअसल बुधवार को हिमाचल प्रदेश हाइकोर्ट (Himachal High Court) ने राज्य सरकार को दागी अधिकारियों के संबंध में तमाम जानकारी को लेकर नया शपथ पत्र दाखिल करने को कहा (Himachal High Court on the corrupt officers) है. सरकार को दो हफ्ते का वक्त दिया गया है. मुख्य न्यायाधीश अमजद एहतेशाम सईद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने मामले को दो सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया है.

हिमाचल हाइकोर्ट ने यह आदेश एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया है. जिसमें कोर्ट ने सरकार में संवेदनशील पदों पर काम कर रहे दागी अधिकारियों के मुद्दे पर संज्ञान लिया है. उल्लेखनीय है कि जनहित याचिका में प्रार्थी बलदेव शर्मा द्वारा अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर कर आरोप लगाया गया था कि मुख्य सचिव ने शपथ पत्र के माध्यम से हाईकोर्ट के समक्ष दी गयी सूची में अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त, योजना, कार्मिक, पर्यावरण) प्रबोध सक्सेना (ACS Prabodh Saxena) का नाम जानबूझकर छिपाया है. प्रबोध सक्सेना हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष भी है.

आवेदन में यह आरोप लगाया गया है कि सीबीआई ने भारत सरकार द्वारा अभियोजन स्वीकृति जारी करने के बाद सितंबर, 2019 में प्रबोध सक्सेना और अन्य के खिलाफ सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें संज्ञान लेने के बाद सीबीआई कोर्ट द्वारा प्रबोध सक्सेना को चार्जशीट समन जारी किया गया था. वर्तमान में वह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आईएनएक्स मीडिया मामले (INX Media case) में फरवरी, 2020 से जमानत पर हैं. आवेदन में आगे आरोप लगाया गया कि इस तथ्य की जानकारी के बावजूद मुख्य सचिव ने जानबूझकर उक्त अधिकारी का नाम दागी छवि वाले अधिकारियों की सूची से छिपाया.

दरअसल अदालत ने अपने पिछले आदेशों में मुख्य सचिव को निर्देश दिए थे कि वह सभी दागी छवि वाले अधिकारियों के खिलाफ शुरू की गई विभागीय कार्यवाही की स्थिति का खुलासा करते हुए शपथपत्र दाखिल करें. कोर्ट ने उन्हें एक सारणीबद्ध रूप में एक चार्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया था, जिसमें अधिकारियों के नाम का खुलासा किया गया हो. उसमें दागियों की वर्तमान स्थिति और उनके खिलाफ कार्यवाही के चरण के साथ-साथ उस पर अंतिम कार्रवाई का हवाला दिया जाना जरूरी था. कोर्ट ने अपने पिछले आदेश में यह भी निर्देश दिया था कि सरकार शपथपत्र के माध्यम से बताए कि क्या ऐसे दागी छवि वाले अधिकारी किसी संवेदनशील पद पर हैं.

ये भी पढ़ें: समय पर नहीं पहुंचे बीजेपी के नेता तो कांग्रेस विधायक ने कर दिया उद्घाटन, पढ़ें पूरा मामला

Last Updated : Sep 7, 2022, 7:52 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.