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बेतरतीब निर्माण पर हाईकोर्ट ने मांगा था मुख्य सचिव से जवाब, अंधाधुंध निर्माण के खिलाफ अदालत ने दिए सख्त निर्देश - अंधाधुंध निर्माण के खिलाफ हिमाचल हाईकोर्ट सख्त

धाधुंध और बेतरतीब निर्माण को लेकर हाईकोर्ट सख्त है. अदालत ने मुख्य सचिव को इस बारे में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए थे. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद सईद व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने पहाड़ों को काटकर बेतरतीब निर्माण पर सख्त नाराजगी जताई और इसे गंभीर मामला बताया है. (Himachal High Court strict against indiscriminate construction)

अदालत ने दिए सख्त निर्देश
अदालत ने दिए सख्त निर्देश
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Published : Sep 28, 2022, 10:16 AM IST

शिमला पहाड़ी क्षेत्र में अंधाधुंध और बेतरतीब निर्माण को लेकर हाईकोर्ट सख्त है. अदालत ने मुख्य सचिव को इस बारे में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए थे. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद सईद व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने पहाड़ों को काटकर बेतरतीब निर्माण पर सख्त नाराजगी जताई और इसे गंभीर मामला बताया है. (Himachal High Court strict against indiscriminate construction)

मंगलवार को सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष सरकार ने बताया कि सोलन जिले में कुमारहट्टी के पास बहुमंजिला इमारतों के निर्माण की जांच के लिए संयुक्त कमेटी का गठन किया गया है. कमेटी की अध्यक्षता एडीसी सोलन कर रहे हैं. इस कमेटी में लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता, जिला वन अधिकारी और टाउन एंड कंट्री प्लानर को सदस्य बनाया गया है. अदालत को बताया गया कि कमेटी का गठन 20 सितंबर को किया गया था.

सरकार ने खंडपीठ के समक्ष तथ्य रखते हुए कहा कि कुमारहट्टी क्षेत्र को नजदीकी प्लानिंग एरिया में मिलाए जाने पर विचार किया जा रहा है. हालांकि, इस बारे में कैबिनेट की ओर से अंतिम निर्णय लिया जाएगा. बड़ोग क्षेत्र नजदीक होने के कारण कुमारहट्टी का स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी साडा बड़ोग में विलय करने की संभावना भी तलाशी जा रही है.

उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने पहाड़ियों पर बेतरतीब व अवैध निर्माण के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव को जवाबी शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश दिए थे. मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली खंडपीठ ने पहाड़ों पर अवैध निर्माणों के मुद्दे को गंभीर बताया. हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिए थे कि वह अपने जवाबी शपथपत्र में यह भी स्पष्ट करे कि प्रदेश की कौन सी अथॉरिटी ने सोलन जिले के गांव खील झालसी से कोरों गांव को मिलाकर कैंथरी गांव तक के 6 किलोमीटर की सड़क के दोनों तरफ बहुमंजिला इमारतों को बनाने की अनुमति प्रदान की है.

कोर्ट ने प्रथम दृष्टया पाया था कि ऐसे बेतरतीब और अंधाधुंध निर्माणों को रोकने के लिए कोई निर्धारित नियम नहीं है. कोर्ट का मानना था कि पर्यावरण के नजरिए से संवेदनशील इलाके में यह इमारतें पहाड़ों को काटकर बनाई गई प्रतीत होती है. प्रार्थी कुसुम बाली ने हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा था कि यह निर्माण गैरकानूनी है इससे पर्यावरण पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकते हैं. कोर्ट ने मुख्य सचिव को इसके अलावा प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी पहाड़ों को काटकर अंधाधुंध और बेतरतीब निर्माणों को रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों से अवगत करवाने के आदेश भी जारी किए हुए हैं.

शिमला पहाड़ी क्षेत्र में अंधाधुंध और बेतरतीब निर्माण को लेकर हाईकोर्ट सख्त है. अदालत ने मुख्य सचिव को इस बारे में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए थे. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद सईद व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने पहाड़ों को काटकर बेतरतीब निर्माण पर सख्त नाराजगी जताई और इसे गंभीर मामला बताया है. (Himachal High Court strict against indiscriminate construction)

मंगलवार को सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष सरकार ने बताया कि सोलन जिले में कुमारहट्टी के पास बहुमंजिला इमारतों के निर्माण की जांच के लिए संयुक्त कमेटी का गठन किया गया है. कमेटी की अध्यक्षता एडीसी सोलन कर रहे हैं. इस कमेटी में लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता, जिला वन अधिकारी और टाउन एंड कंट्री प्लानर को सदस्य बनाया गया है. अदालत को बताया गया कि कमेटी का गठन 20 सितंबर को किया गया था.

सरकार ने खंडपीठ के समक्ष तथ्य रखते हुए कहा कि कुमारहट्टी क्षेत्र को नजदीकी प्लानिंग एरिया में मिलाए जाने पर विचार किया जा रहा है. हालांकि, इस बारे में कैबिनेट की ओर से अंतिम निर्णय लिया जाएगा. बड़ोग क्षेत्र नजदीक होने के कारण कुमारहट्टी का स्पेशल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी साडा बड़ोग में विलय करने की संभावना भी तलाशी जा रही है.

उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने पहाड़ियों पर बेतरतीब व अवैध निर्माण के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव को जवाबी शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश दिए थे. मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली खंडपीठ ने पहाड़ों पर अवैध निर्माणों के मुद्दे को गंभीर बताया. हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिए थे कि वह अपने जवाबी शपथपत्र में यह भी स्पष्ट करे कि प्रदेश की कौन सी अथॉरिटी ने सोलन जिले के गांव खील झालसी से कोरों गांव को मिलाकर कैंथरी गांव तक के 6 किलोमीटर की सड़क के दोनों तरफ बहुमंजिला इमारतों को बनाने की अनुमति प्रदान की है.

कोर्ट ने प्रथम दृष्टया पाया था कि ऐसे बेतरतीब और अंधाधुंध निर्माणों को रोकने के लिए कोई निर्धारित नियम नहीं है. कोर्ट का मानना था कि पर्यावरण के नजरिए से संवेदनशील इलाके में यह इमारतें पहाड़ों को काटकर बनाई गई प्रतीत होती है. प्रार्थी कुसुम बाली ने हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा था कि यह निर्माण गैरकानूनी है इससे पर्यावरण पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकते हैं. कोर्ट ने मुख्य सचिव को इसके अलावा प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी पहाड़ों को काटकर अंधाधुंध और बेतरतीब निर्माणों को रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों से अवगत करवाने के आदेश भी जारी किए हुए हैं.

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