शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने कहा है कि राज्य वन विभाग के पास जंगलों में इतनी संपदा है कि वो सरकार तक को कर्ज दे सकता है. अदालत ने कहा कि वन विभाग को अपनी अमूल्य संपदा का संरक्षण (himachal Forest Department should protect property) और अधिक सजगता से करना चाहिए. हिमाचल प्रदेश की बहुमूल्य वन संपदा को बचाने और उसका संरक्षण करने के लिए हाईकोर्ट ने वन विभाग से सुझाव मांगे हैं.
वन संपदा को बचाने के लिए हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया (Himachal High Court orders Forest Department) है. अदालत ने वन विभाग के पीसीसीएफ यानी प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट और हिमाचल प्रदेश स्टेट फॉरेस्ट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक से सुझाव मांगे हैं. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने दोनों अधिकारियों को आदेश जारी किए हैं कि वह इस बारे में न्यायालय के समक्ष अपने सुझाव रखें. हाईकोर्ट ने कहा कि अफसर ये बताएं कि वन संपदा को सड़ने, चोरी होने और अवैध कटान से बचाने के लिए क्या तरीके अपनाए जा सकते हैं?
कोर्ट ने वन विभाग के कर्मी को उसके वित्तीय लाभों का समय पर भुगतान न करने से जुड़े मामले में दोनों अधिकारियों को कहा कि विभाग व वन निगम अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति का रोना रोते रहते हैं, जबकि वन विभाग के पास अथाह संपत्ति है जिसका ठीक प्रकार से दोहन नहीं किया जा रहा है. वन विभाग के पास इतनी संपत्ति है कि वह राज्य सरकार को कर्ज तक मुहैया करवा सकता है. प्रदेश उच्च न्यायालय ने इस बाबत 4 सप्ताह के भीतर शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश जारी किए हैं.
मामले पर सुनवाई 27 सितंबर को निर्धारित की गई है. प्रदेश उच्च न्यायालय को यह जानकारी दी गई थी कि जंगलों में काफी मात्रा में सूखे पेड़ बर्बाद हो रहे हैं. हिमाचल प्रदेश वन विभाग (himachal pradesh forest department) की ओर से इनको समय पर काटने व सुरक्षित जगह पर ले जाने के लिए किसी भी तरह का इंतजाम नहीं किया जा रहा है. कई बार तो जंगलों में आग लगने का कारण भी यही सूखे पेड़ बनते हैं. इन्हीं के कारण वन में आग लगने पर वन संपदा को अधिक नुकसान होता है.
करोड़ों रुपए की वन संपदा विभाग की अनदेखी के कारण यूं ही बर्बाद हो रही (himachal forest property) है. प्रदेश उच्च न्यायालय ने मामले से जुड़े इन तथ्यों को देखते हुए प्रधान मुख्य अरण्यपाल व हिमाचल प्रदेश राज्य वन विकास निगम के प्रबंधक निदेशक को आदेश जारी किए हैं कि वे 27 सितंबर तक अपना हलफनामा सुझाव सहित हाईकोर्ट के समक्ष दाखिल करें. हाईकोर्ट उस हल्फनामें का अध्ययन करेगा और फिर वन विभाग को उचित सुझाव और आदेश जारी किए जाएंगे.
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