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महिलाओं को बस किराए में पचास फीसदी छूट का मामला, हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

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Published : Sep 1, 2022, 8:49 PM IST

हिमाचल सरकार द्वारा महिलाओं को बसों किराए में पचास फीसदी छूट के फैसले के खिलाफ (50 percent concession in HRTC Buses) दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया (Reservation for women in HRTC Bus fare) है. याचिका पर सुनवाई न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की अगुवाई वाली खंडपीठ में हो रही है. शुक्रवार को न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति चंद्र भूषण बारोवालिया की खंडपीठ ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. पढ़ें पूरी खबर...

बस किराए में पचास फीसदी छूट का मामला
बस किराए में पचास फीसदी छूट का मामला

शिमला: हिमाचल सरकार ने महिलाओं को सरकारी बसों में किराए में पचास फीसदी की छूट दी (50 percent concession in HRTC Buses) है. इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. इस याचिका पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया (Reservation for women in HRTC Bus fare) है. याचिका पर सुनवाई न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की अगुवाई वाली खंडपीठ में हो रही है. शुक्रवार को न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति चंद्र भूषण बारोवालिया की खंडपीठ ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.

खंडपीठ ने निजी बस ऑपरेटर संघ की याचिका पर सभी पक्षकारों की ओर से पेश की गई दलीलों को सुना. उसके बाद अदालत ने निर्णय को सुरक्षित कर लिया. पिछली सुनवाई के दौरान प्रधान सचिव व निदेशक परिवहन ने कोर्ट को शपथ पत्र के माध्यम से बताया था कि सरकार से इस फैसले से हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम को लगभग 60 करोड़ रुपए सालाना का घाटा उठाना पड़ेगा. कोर्ट को यह भी जानकारी दी गई थी कि परिवहन निगम ने 31 मार्च 2022 तक 221 करोड़ रुपए का रोड टैक्स अदा नहीं किया है.

न्यायालय को बताया गया था कि महिलाओं को किराए में छूट देने का निर्णय कैबिनेट का है. पहले ये छूट पच्चीस फीसदी थी जिसे बाद में एक निर्णय लेकर बढ़ाया गया और 50 प्रतिशत कर दिया गया. महिलाओं को बस किराए में छूट देने बारे प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया था. जिसे राज्य सरकार ने कैबिनेट के समक्ष रखा और उसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी. निजी बस ऑपरेटर संघ ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार द्वारा 7 जून 2022 को जारी की गई यह अधिसूचना कानून के सिद्धांतों के विपरीत है.

संघ के अनुसार महिलाओं व पुरुषों के लिए किराया बराबर होना चाहिए. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम द्वारा यात्रियों को किराए में छूट को लेकर ग्रीन कार्ड जारी करने पर भी प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई (Himachal high court) है. इस विषय में यह दलील दी गई है कि पथ परिवहन निगम द्वारा ग्रीन कार्ड जैसी सुविधाएं देने की वजह से उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है.

ये भी पढ़ें: कांग्रेस की गारंटी पर सुरेश भारद्वाज का तंज, कहा: क्या प्रतिभा सिंह भी लेंगी 1500 रुपये प्रति महीना

शिमला: हिमाचल सरकार ने महिलाओं को सरकारी बसों में किराए में पचास फीसदी की छूट दी (50 percent concession in HRTC Buses) है. इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. इस याचिका पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया (Reservation for women in HRTC Bus fare) है. याचिका पर सुनवाई न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान की अगुवाई वाली खंडपीठ में हो रही है. शुक्रवार को न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति चंद्र भूषण बारोवालिया की खंडपीठ ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.

खंडपीठ ने निजी बस ऑपरेटर संघ की याचिका पर सभी पक्षकारों की ओर से पेश की गई दलीलों को सुना. उसके बाद अदालत ने निर्णय को सुरक्षित कर लिया. पिछली सुनवाई के दौरान प्रधान सचिव व निदेशक परिवहन ने कोर्ट को शपथ पत्र के माध्यम से बताया था कि सरकार से इस फैसले से हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम को लगभग 60 करोड़ रुपए सालाना का घाटा उठाना पड़ेगा. कोर्ट को यह भी जानकारी दी गई थी कि परिवहन निगम ने 31 मार्च 2022 तक 221 करोड़ रुपए का रोड टैक्स अदा नहीं किया है.

न्यायालय को बताया गया था कि महिलाओं को किराए में छूट देने का निर्णय कैबिनेट का है. पहले ये छूट पच्चीस फीसदी थी जिसे बाद में एक निर्णय लेकर बढ़ाया गया और 50 प्रतिशत कर दिया गया. महिलाओं को बस किराए में छूट देने बारे प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया था. जिसे राज्य सरकार ने कैबिनेट के समक्ष रखा और उसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी. निजी बस ऑपरेटर संघ ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार द्वारा 7 जून 2022 को जारी की गई यह अधिसूचना कानून के सिद्धांतों के विपरीत है.

संघ के अनुसार महिलाओं व पुरुषों के लिए किराया बराबर होना चाहिए. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम द्वारा यात्रियों को किराए में छूट को लेकर ग्रीन कार्ड जारी करने पर भी प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई (Himachal high court) है. इस विषय में यह दलील दी गई है कि पथ परिवहन निगम द्वारा ग्रीन कार्ड जैसी सुविधाएं देने की वजह से उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है.

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