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हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा मिलने पर नया पेंच, हाईकोर्ट ने केंद्रीय मंत्रालय से मांगी जानकारी

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Published : Jul 28, 2022, 10:36 PM IST

हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा (Himachal high court on hati community) मिलने पर हिमाचल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के जनजातीय मामलों के मंत्रालय से जानकारी मांगी है. अनुसूचित जाति संरक्षण समिति जिला सिरमौर (Scheduled Caste Protection Society) ने यह आरोप लगाया है कि उनकी जनसंख्या लगभग 40 प्रतिशत है. इस मामले पर अगली सुनवाई 2 अगस्त को होगी. पढ़ें पूरी खबर...

Himachal high court on hati community
हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा मिलने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब.

शिमला: सिरमौर जिला के गिरिपार इलाके के हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा (Himachal high court on hati community) मिलने पर नया घटनाक्रम पेश आया है. हिमाचल हाईकोर्ट ने हाटी समुदाय के नाम पर जनजातीय क्षेत्र घोषित करने के विरोध में दायर याचिका पर केंद्र सरकार के जनजातीय मामलों के मंत्रालय से जानकारी मांगी है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अमजद एहतेशाम सईद व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किए.

अनुसूचित जाति संरक्षण समिति जिला सिरमौर (Scheduled Caste Protection Society) ने यह आरोप लगाया है कि उनकी जनसंख्या लगभग 40 प्रतिशत है. समिति ने कहा कि उन्होंने कभी भी अनुसूचित जनजाति क्षेत्र दर्जा दिए जाने के बारे में कोई भी दावा नहीं किया है. उन्हें सुनवाई का मौका दिए बिना ही ट्रांसगिरि क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने का सरकार ने किस तरह से निर्णय ले लिया? उपरोक्त कानून आने से संबंधित क्षेत्र में अनुसूचित जाति पर हो रहे अत्याचार को बढ़ावा मिलेगा. इससे ग्राम पंचायत से संबंधित निकायों में अनुसूचित जाति आधारित आरक्षण बिल्कुल खत्म हो जाएगा.

आरोप यह भी है कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने उस क्षेत्र के संपन्न लोगों के दबाव में आकर राजनीतिक लाभ हासिल करने के उद्देश्य से जनजातीय क्षेत्र घोषित करने का निर्णय लिया है. इससे छुआछूत जैसी समस्या को दूर करने से जुड़े भारतीय संविधान में बनाए गए अनुच्छेद 17 का उद्देश्य भी खत्म हो जाएगा. समिति ने कहा कि यह अपने आप में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 17 का उल्लंघन है. अब इस मामले पर अगली सुनवाई 2 अगस्त के लिए निर्धारित की गई है.

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय हाटी समिति गिरिपार इलाके को जनजातीय दर्जा (hati community of giripar sirmaur) दिए जाने को लेकर प्रदर्शन करती आई है. केंद्र सरकार इस मामले में सकारात्मक रुख अपना रही है. ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि केंद्रीय गृह मंत्रालय से फाइल ओके हो चुकी है, लेकिन अब हाईकोर्ट में याचिका दाखिल होने और अदालत की तरफ से केंद्रीय मंत्रालय से जानकारी मांगने पर नया घटनाक्रम पेश आया है.

ये भी पढ़ें: मुख्य सचिव की सिफारिश पर आवंटित किया था सरकारी आवास, हिमाचल हाईकोर्ट ने भाई भतीजावाद बताकर किया रद्द

शिमला: सिरमौर जिला के गिरिपार इलाके के हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा (Himachal high court on hati community) मिलने पर नया घटनाक्रम पेश आया है. हिमाचल हाईकोर्ट ने हाटी समुदाय के नाम पर जनजातीय क्षेत्र घोषित करने के विरोध में दायर याचिका पर केंद्र सरकार के जनजातीय मामलों के मंत्रालय से जानकारी मांगी है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अमजद एहतेशाम सईद व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किए.

अनुसूचित जाति संरक्षण समिति जिला सिरमौर (Scheduled Caste Protection Society) ने यह आरोप लगाया है कि उनकी जनसंख्या लगभग 40 प्रतिशत है. समिति ने कहा कि उन्होंने कभी भी अनुसूचित जनजाति क्षेत्र दर्जा दिए जाने के बारे में कोई भी दावा नहीं किया है. उन्हें सुनवाई का मौका दिए बिना ही ट्रांसगिरि क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने का सरकार ने किस तरह से निर्णय ले लिया? उपरोक्त कानून आने से संबंधित क्षेत्र में अनुसूचित जाति पर हो रहे अत्याचार को बढ़ावा मिलेगा. इससे ग्राम पंचायत से संबंधित निकायों में अनुसूचित जाति आधारित आरक्षण बिल्कुल खत्म हो जाएगा.

आरोप यह भी है कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने उस क्षेत्र के संपन्न लोगों के दबाव में आकर राजनीतिक लाभ हासिल करने के उद्देश्य से जनजातीय क्षेत्र घोषित करने का निर्णय लिया है. इससे छुआछूत जैसी समस्या को दूर करने से जुड़े भारतीय संविधान में बनाए गए अनुच्छेद 17 का उद्देश्य भी खत्म हो जाएगा. समिति ने कहा कि यह अपने आप में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 17 का उल्लंघन है. अब इस मामले पर अगली सुनवाई 2 अगस्त के लिए निर्धारित की गई है.

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय हाटी समिति गिरिपार इलाके को जनजातीय दर्जा (hati community of giripar sirmaur) दिए जाने को लेकर प्रदर्शन करती आई है. केंद्र सरकार इस मामले में सकारात्मक रुख अपना रही है. ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि केंद्रीय गृह मंत्रालय से फाइल ओके हो चुकी है, लेकिन अब हाईकोर्ट में याचिका दाखिल होने और अदालत की तरफ से केंद्रीय मंत्रालय से जानकारी मांगने पर नया घटनाक्रम पेश आया है.

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