शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. अदालत ने राज्य सरकार को आदेश जारी किए हैं कि लंबाई के आधार पर कांस्टेबल भर्ती से बाहर किए गए दो पूर्व सैनिकों को तुरंत प्रभाव से नियुक्ति दी जाए. यही नहीं, हाईकोर्ट ने ये भी कहा है कि पूर्व सैनिकों को उसी दिन से नियुक्ति के साथ-साथ सीनियोरिटी का लाभ दिया जाए, जिस दिन अन्य अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई.
उल्लेखनीय है कि भारतीय सेना में हवलदार रहे राजीव शर्मा व मनीष कुमार ने इस संदर्भ में हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. पूर्व सैनिकों की याचिका को स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद एहतेशाम सईद व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार को उक्त आदेश जारी किए.
कोर्ट ने नियुक्ति से संबंधित सभी सेवा लाभ भी प्रार्थी पूर्व सैनिकों (Himachal High Court big decision) को जारी करने के आदेश दिए हैं. मामले के अनुसार प्रार्थियों ने पूर्व सैनिक कोटे से कॉन्स्टेबल भर्ती के लिए आवेदन किया था. भर्ती के दौरान उनकी लंबाई 5 फीट 6 इंच पाई गई और उन्हें भर्ती से बाहर कर दिया गया. प्रार्थी पूर्व सैनिकों का कहना था कि उनकी डिस्चार्ज बुक में लंबाई 5 फीट 6.53 इंच दर्शाई गई है और इसलिए उन्हें लंबाई के आधार पर भर्ती से बाहर करना सही नहीं है.
हाई कोर्ट ने मामलों की सुनवाई के दौरान पाया कि सेना बल में भर्ती की प्रक्रिया अन्य बलों की तुलना में कड़ी से कड़ी होती है, इसलिए पूर्व सैनिकों की लंबाई के बारे में सेना के दस्तावेजों पर उंगली नहीं उठाई जा सकती. यदि ऐसा होता तो दोनों प्रार्थी सेना में भी भर्ती नहीं हो पाते. ऐसे में अब राज्य सरकार को दोनों पूर्व सैनिकों को तुरंत तैनाती देनी होगी. साथ ही सभी लाभ भी पूर्व की तिथि से जारी करने होंगे.
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