शिमला: चुनावी वर्ष में हिमाचल सरकार राज्य के सबसे बड़े वोट बैंक कर्मचारी वर्ग को साधने में जुट गई है. कर्मचारियों को नए वेतन आयोग का लाभ देने के साथ ही आउटसोर्स पर नियुक्त विभिन्न विभागों के कर्मियों को भी सरकार राहत देने की तैयारी में है.
हिमाचल में आउसोर्स के आधार पर तैनात कर्मचारी लंबे समय से अपनी मांगों को सरकार के समक्ष उठा रहे हैं. आउटसोर्स कर्मचारी अपने लिए नीति की मांग कर रहे हैं. पिछले वर्ष सरकार ने पहल करते हुए इनके मुद्दों पर कैबिनेट सब-कमेटी का गठन किया. उसके बाद आउटसोर्स कर्मचारियों को राहत की उम्मीद बंधी है.
हाल ही में सरकार ने सभी विभागों में आउटसोर्स (Himachal Outsourced Personnel List) कर्मियों की सूची मंगवाई है. अब गुरुवार को कैबिनेट (Himachal cabinet meeting) सब कमेटी की फिर से बैठक प्रस्तावित है. पहले यह पाया गया था (outsource workers in himachal) कि हिमाचल में 30 हजार के करीब आउटसोर्स कर्मचारी हैं. लेकिन जिस तरह से सरकार के पास आंकड़ा पहुंच रहा है उससे यह संख्या कहीं अधिक हो सकती है.
जनवरी महीने के आखिरी दिन कैबिनेट सब कमेटी की बैठक हुई थी जिसमें कमेटी के अध्यक्ष महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा था कि आउटसोर्स कर्मियों के मसले को हल करने के लिए बनाई गई कैबिनेट सब कमेटी 3 फरवरी को फिर से बैठक करेगी और बैठक में आउटसोर्स कर्मियों की सही संख्या का भी फैसला हो जाएगा इसके बाद सब कमेटी के निर्णय को कैबिनेट में रखा जाएगा और कैबिनेट की मंजूरी के बाद आउटसोर्स कर्मियों की समस्या का समाधान होगा.
जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने बैठक के बाद कहा था कि कैबिनेट सब कमेटी अपना कार्य तेजी से कर रही है अभी तक सभी विभागों के आंकड़े नहीं पहुंच आ पाए हैं. महेंद्र सिंह ने कहा कि बैठक में सभी अधिकारियों को आदेश दिए गए हैं कि 3 फरवरी तक सभी विभाग अपने यहां कार्य कर रहे हैं और उसकी पूरी जानकारी दें ताकि कैबिनेट सब कमेटी में आंकड़ा आ सके और उस अनुसार उचित निर्णय भी लिया जा सके.
महेंद्र सिंह ने कहा कि कई दशकों से प्रदेश सरकार के आधार पर कर्मचारियों से आउटसोर्स आधार पर सेवाएं ले रही है यह बड़ा पेचीदा मामला है कुछ आउट सोर्स कर्मी कंपनियों से और कुछ अन्य माध्यमों से रखे गए हैं ऐसे में सब को किस प्रकार इकट्ठा लाभ पहुंचाया जा सके कैबिनेट सब कमेटी पर कार्य कर रही है.
जनवरी महीने के आखिरी दिन हुई बैठक में उप-समिति के अध्यक्ष एवं जल शक्ति, राजस्व, बागवानी व सैनिक कल्याण मंत्री महेन्द्र सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित की गई, जिसमें सभी विभागाध्यक्षों ने भाग लिया. बैठक में उप-समिति के सदस्य एवं ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी मौजूद रहे. यह उप-समिति सभी विषयों पर विचार करके अपनी रिपोर्ट कैबिनेट में प्रस्तुत करेगी. जिसके बाद कैबिनेट इस रिपोर्ट पर अंतिम फैसला लेगी.
कमेटी के अध्यक्ष महेन्द्र सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न विभागों, निगमों और बोर्डों में हजारों युवा आउटसोर्स आधार पर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं. विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से इन युवाओं की सेवाएं ली जा रही हैं. प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के दूरदर्शी नेतृत्व में आउटसोर्स कर्मियों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और इन्हें किसी भी प्रकार के शोषण से बचाने के लिए मंत्री परिषद की इस उप-समिति का गठन किया है.
उप-समिति ने इन एजेंसियों के साथ सम्पर्क स्थापित करते हुए उनसे विभिन्न बिन्दुओं पर आउटसोर्स कर्मचारियों के बारे में जानकारी मांगी है. इसी कड़ी में आज सभी विभागाध्यक्षों के साथ भी विभिन्न पहलुओं पर चर्चा के लिए यह बैठक आयोजित की गई है.
उन्होंने विभागाध्यक्षों को यह भी निर्देश दिए कि वे आउटसोर्स एजेंसियों द्वारा जीएसटी, ईपीएफ, ईएसआईसी के समयबद्ध भुगतान से संबंधित ब्यौरे की निगरानी के लिए एक तंत्र विकसित करें. विभागाध्यक्ष अपने विभागों के माध्यम से चयनित एजेंसियों के साथ बैठक कर इसका पुर्न-मिलान भी करें.
इसके अतिरिक्त, उन्होंने जीएसटी, ईपीएफ, ईएसआईसी अंशदान के समयबद्ध भुगतान की निगरानी के लिए एक समरूप प्रणाली विकसित करने के लिए सभी विभागों से सुझाव भी आमंत्रित किए. उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों, निगमों व बोर्डों में कर्मचारियों की सेवाएं उपलब्ध करवा रही एजेंसियों के सर्विस चार्ज में भी समरूपता लाई जानी चाहिए.
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