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दिग्गज नेताओं में खिंची तलवारें, क्या CIC चयन को लेकर पहले की तरह टलेंगी बैठकें

हिमाचल प्रदेश में मुख्य सूचना आयुक्त (Chief Information Commissioner) का पद खाली है. इसे भरने के लिए 25 जून को हाई पावर कमेटी की मीटिंग बुलाई (High Power Committee meeting) गई है, लेकिन जिस तरह से हिमाचल में शीर्ष नेताओं के बीच तल्खी पैदा हुई है, उससे बैठक को लेकर संशय है.

दिग्गज नेताओं में खिंची तलवारें
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Published : Jun 24, 2022, 10:15 AM IST

Updated : Jun 24, 2022, 11:09 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में मुख्य सूचना आयुक्त (Chief Information Commissioner) का पद खाली है. इसे भरने के लिए 25 जून को हाई पावर कमेटी की मीटिंग बुलाई (High Power Committee meeting) गई है, लेकिन जिस तरह से हिमाचल में शीर्ष नेताओं के बीच तल्खी पैदा हुई है, उससे बैठक को लेकर संशय है. इस समय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के बीच तीखी जुबानी जंग चल रही है. दोनों नेताओं के बीच कड़वाहट देखी जा रही है. ऐसे में संशय है कि मुकेश अग्निहोत्री बैठक में शामिल भी होंगे या नहीं.

एक सदस्य के शामिल नहीं होने से फैसला नहीं होता: बता दें कि हाई पावर कमेटी में CM के अलावा सीनियर कैबिनेट मंत्री और नेता प्रतिपक्ष शामिल होते हैं. सभी की सहमति के बाद ही CIC के पद पर किसी का नाम फाइनल होता है.यदि एक भी सदस्य मीटिंग में शामिल न हो तो प्रक्रिया पूरी न होने के कारण फैसला नहीं होता है. इससे पहले भी पूर्व में नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल कई बार बैठकों में शामिल नहीं हुए थे. तब CIC का चयन सवा साल तक नहीं हो पाया था. बाद में मामला हाईकोर्ट भी पहुंचा तब अदालत ने आदेश दिए थे कि जल्द इस पद को भरा जाए.


190 ने किया था आवेदन: इस समय हिमाचल प्रदेश में CIC का पद खाली है. नरेंद्र चौहान सेवानिवृत हो चुके हैं. विगत में भी सीआईसी के पद से भीमसेन जब सेवानिवृत हुए थे तो सवा साल तक पद नहीं भरा गया था. भीमसेन 23 मार्च 2016 को रिटायर हुए थे. उसके बाद जून 2017 को सीनियर आईएएस अफसर नरेंद्र चौहान का चयन CIC के पद पर हुआ था. उस दौरान, पहले कांग्रेस सरकार ने जिस नाम पर प्रेम कुमार धूमल की सहमति मांगी थी, उस पर वे राजी नहीं हुए थे. उस दौरान 190 से अधिक लोगों ने सीआईसी के लिए आवेदन किया था

शनिवार को होगी तस्वीर साफ: वर्तमान राजनीतिक माहौल ऐसा है कि निकट भविष्य में दोनों नेताओं कि आमने-सामने की मीटिंग मुश्किल लग रही. ऐसे में 25 जून को बुलाई गई बैठक हो सकती है या नहीं, यह उस दिन ही पता चलेगा. दरअसल सीआईसी की चयन कमेटी में मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर के अलावा नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री भी सदस्य हैं. बैठक में इन तीनों का होना जरूरी है. हिमाचल में परंपरा रही है कि नेता प्रतिपक्ष की सहमति के बिना मुख्य सूचना आयुक्त के नाम पर फैसला नहीं होता. इसलिए इस बार यह चयन हो पाएगा या नहीं यह 25 जून को ही पता चलेगा.

समय पर नियुक्ति को लेकर संशय: हिमाचल में सूचना मांगने के लिए जनता हर साल 60 हजार से अधिक आवेदन करती है. इस समय हिमाचल प्रदेश में मुख्य सूचना आयुक्त के पद को लेकर चर्चा जोरों पर है. सीआईसी नरेंद्र चौहान इस महीने रिटायर हो गए. नए सीआईसी के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 6 जून थी. इसी महीने चयन कमेटी की बैठक प्रस्तावित है. पूर्व में वीरभद्र सिंह सरकार के समय सीआईसी का पद सवा साल से भी अधिक समय तक खाली रहा था. ऐसे में देखना है कि जब हिमाचल की जनता सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रति इतनी जागरूक है तो इस पद को लेकर समय पर नियुक्ति होती या नहीं.

सूचना का अधिकार अधिनियम 2006 में शुरू हुआ: फिलहाल, यहां पर हिमाचल में सूचना के संसार की रोचक बातें जानना जरूरी है.हिमाचल प्रदेश में सूचना का अधिकार अधिनियम 2006 में शुरू हुआ.16 साल पहले जब ये अधिनियम लागू हुआ तो पहले साल केवल 2654 लोगों ने इस अधिकार का प्रयोग करते हुए सूचना मांगी. बाद में ये आंकड़ा साल दर साल बढ़ता रहा. अब हर साल 50 से 60 हजार आवेदन आते हैं. हिमाचल में आरटीआई कानून ने पूरी तरह से 2006-07 में काम करना शुरू किया. उस साल पूरे राज्य में सूचना हासिल करने के लिए कुल 2654 आवेदन आए.

ये भी पढ़ें : हिमाचल-हरियाणा समेत सभी BJP शासित राज्यों के CM द्रौपदी मुर्मू के नामांकन में होंगे शामिल

शिमला: हिमाचल प्रदेश में मुख्य सूचना आयुक्त (Chief Information Commissioner) का पद खाली है. इसे भरने के लिए 25 जून को हाई पावर कमेटी की मीटिंग बुलाई (High Power Committee meeting) गई है, लेकिन जिस तरह से हिमाचल में शीर्ष नेताओं के बीच तल्खी पैदा हुई है, उससे बैठक को लेकर संशय है. इस समय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के बीच तीखी जुबानी जंग चल रही है. दोनों नेताओं के बीच कड़वाहट देखी जा रही है. ऐसे में संशय है कि मुकेश अग्निहोत्री बैठक में शामिल भी होंगे या नहीं.

एक सदस्य के शामिल नहीं होने से फैसला नहीं होता: बता दें कि हाई पावर कमेटी में CM के अलावा सीनियर कैबिनेट मंत्री और नेता प्रतिपक्ष शामिल होते हैं. सभी की सहमति के बाद ही CIC के पद पर किसी का नाम फाइनल होता है.यदि एक भी सदस्य मीटिंग में शामिल न हो तो प्रक्रिया पूरी न होने के कारण फैसला नहीं होता है. इससे पहले भी पूर्व में नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल कई बार बैठकों में शामिल नहीं हुए थे. तब CIC का चयन सवा साल तक नहीं हो पाया था. बाद में मामला हाईकोर्ट भी पहुंचा तब अदालत ने आदेश दिए थे कि जल्द इस पद को भरा जाए.


190 ने किया था आवेदन: इस समय हिमाचल प्रदेश में CIC का पद खाली है. नरेंद्र चौहान सेवानिवृत हो चुके हैं. विगत में भी सीआईसी के पद से भीमसेन जब सेवानिवृत हुए थे तो सवा साल तक पद नहीं भरा गया था. भीमसेन 23 मार्च 2016 को रिटायर हुए थे. उसके बाद जून 2017 को सीनियर आईएएस अफसर नरेंद्र चौहान का चयन CIC के पद पर हुआ था. उस दौरान, पहले कांग्रेस सरकार ने जिस नाम पर प्रेम कुमार धूमल की सहमति मांगी थी, उस पर वे राजी नहीं हुए थे. उस दौरान 190 से अधिक लोगों ने सीआईसी के लिए आवेदन किया था

शनिवार को होगी तस्वीर साफ: वर्तमान राजनीतिक माहौल ऐसा है कि निकट भविष्य में दोनों नेताओं कि आमने-सामने की मीटिंग मुश्किल लग रही. ऐसे में 25 जून को बुलाई गई बैठक हो सकती है या नहीं, यह उस दिन ही पता चलेगा. दरअसल सीआईसी की चयन कमेटी में मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर के अलावा नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री भी सदस्य हैं. बैठक में इन तीनों का होना जरूरी है. हिमाचल में परंपरा रही है कि नेता प्रतिपक्ष की सहमति के बिना मुख्य सूचना आयुक्त के नाम पर फैसला नहीं होता. इसलिए इस बार यह चयन हो पाएगा या नहीं यह 25 जून को ही पता चलेगा.

समय पर नियुक्ति को लेकर संशय: हिमाचल में सूचना मांगने के लिए जनता हर साल 60 हजार से अधिक आवेदन करती है. इस समय हिमाचल प्रदेश में मुख्य सूचना आयुक्त के पद को लेकर चर्चा जोरों पर है. सीआईसी नरेंद्र चौहान इस महीने रिटायर हो गए. नए सीआईसी के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 6 जून थी. इसी महीने चयन कमेटी की बैठक प्रस्तावित है. पूर्व में वीरभद्र सिंह सरकार के समय सीआईसी का पद सवा साल से भी अधिक समय तक खाली रहा था. ऐसे में देखना है कि जब हिमाचल की जनता सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रति इतनी जागरूक है तो इस पद को लेकर समय पर नियुक्ति होती या नहीं.

सूचना का अधिकार अधिनियम 2006 में शुरू हुआ: फिलहाल, यहां पर हिमाचल में सूचना के संसार की रोचक बातें जानना जरूरी है.हिमाचल प्रदेश में सूचना का अधिकार अधिनियम 2006 में शुरू हुआ.16 साल पहले जब ये अधिनियम लागू हुआ तो पहले साल केवल 2654 लोगों ने इस अधिकार का प्रयोग करते हुए सूचना मांगी. बाद में ये आंकड़ा साल दर साल बढ़ता रहा. अब हर साल 50 से 60 हजार आवेदन आते हैं. हिमाचल में आरटीआई कानून ने पूरी तरह से 2006-07 में काम करना शुरू किया. उस साल पूरे राज्य में सूचना हासिल करने के लिए कुल 2654 आवेदन आए.

ये भी पढ़ें : हिमाचल-हरियाणा समेत सभी BJP शासित राज्यों के CM द्रौपदी मुर्मू के नामांकन में होंगे शामिल

Last Updated : Jun 24, 2022, 11:09 AM IST
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