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High Court ने दिए सचिव के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश, ठियोग उपमंडल की इस पंचायत का मामला - Judge Tarlok Singh

हाईकोर्ट ने ठियोग उपमंडल की ग्राम पंचायत संधू की पंचायत सचिव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश जारी किए हैं. वहीं, न्यायालय ने पंचायती राज विभाग को इसके खिलाफ नियमित जांच करने के आदेश जारी किए. न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जांच जारी रहने तक वह निलम्बित रहेगी.

हाईकोर्ट
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Published : Sep 3, 2021, 7:58 PM IST

शिमला: आधिकारिक रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ करने के मामले में प्रदेश उच्च न्यायालय ने ठियोग उपमंडल की ग्राम पंचायत संधू की पंचायत सचिव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश जारी किए हैं. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने भलेच गांव के निवासियों द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान यह पाया किया कि पंचायत सचिव की संलिप्तता उक्त कृत्य के लिए प्रथम दृष्टया स्थापित होती है. इस कारण न्यायालय ने पंचायती राज विभाग को इसके खिलाफ नियमित जांच करने के आदेश जारी किए. न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जांच जारी रहने तक वह निलम्बित रहेगी.

पिछली सुनवाई के पश्चात प्रदेश उच्च न्यायालय ने उक्त मामले में अतिरिक्त निदेशक एवं सह सचिव पंचायती राज को आदेश जारी किए थे कि वह मामले की जांच करें और रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष दाखिल करें. अतिरिक्त निदेशक की रिपोर्ट के मुताबिक यह पाया गया कि जो सचिव के खिलाफ आरोप लगाए गए वह सत्य है. ग्राम पंचायत की सही जनसंख्या 2417 है, जबकि इसे 2996 दर्शाया गया. सभा के प्रस्ताव ए के मुताबिक पंचायत की जनसंख्या 2996 दर्शाई गई, जबकि प्रस्ताव बी के मुताबिक पंचायत की जनसंख्या 2417 दिखाई गई है.

रिपोर्ट में यह माना गया है कि दोनों प्रस्तावों पर प्रधान ग्राम पंचायत संधू ने अपने हस्ताक्षर किए हैं. रिपोर्ट में स्वीकार किया गया कि अनजाने से हुई त्रुटि के कारण अनुसूचित जाति के निवासियों की जनसंख्या कुल जनसंख्या में दो बार जोड़ी गई थी.

ये भी पढ़ें :पूर्व विधायक जगजीवन पाल के साथ मारपीट मामला: कुलदीप राठौर ने की आरोपियों को पकड़ने की मांग

शिमला: आधिकारिक रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ करने के मामले में प्रदेश उच्च न्यायालय ने ठियोग उपमंडल की ग्राम पंचायत संधू की पंचायत सचिव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश जारी किए हैं. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने भलेच गांव के निवासियों द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान यह पाया किया कि पंचायत सचिव की संलिप्तता उक्त कृत्य के लिए प्रथम दृष्टया स्थापित होती है. इस कारण न्यायालय ने पंचायती राज विभाग को इसके खिलाफ नियमित जांच करने के आदेश जारी किए. न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जांच जारी रहने तक वह निलम्बित रहेगी.

पिछली सुनवाई के पश्चात प्रदेश उच्च न्यायालय ने उक्त मामले में अतिरिक्त निदेशक एवं सह सचिव पंचायती राज को आदेश जारी किए थे कि वह मामले की जांच करें और रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष दाखिल करें. अतिरिक्त निदेशक की रिपोर्ट के मुताबिक यह पाया गया कि जो सचिव के खिलाफ आरोप लगाए गए वह सत्य है. ग्राम पंचायत की सही जनसंख्या 2417 है, जबकि इसे 2996 दर्शाया गया. सभा के प्रस्ताव ए के मुताबिक पंचायत की जनसंख्या 2996 दर्शाई गई, जबकि प्रस्ताव बी के मुताबिक पंचायत की जनसंख्या 2417 दिखाई गई है.

रिपोर्ट में यह माना गया है कि दोनों प्रस्तावों पर प्रधान ग्राम पंचायत संधू ने अपने हस्ताक्षर किए हैं. रिपोर्ट में स्वीकार किया गया कि अनजाने से हुई त्रुटि के कारण अनुसूचित जाति के निवासियों की जनसंख्या कुल जनसंख्या में दो बार जोड़ी गई थी.

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