शिमला: प्रदेश उच्च न्यायालय ने सचिवालय परिसर में निर्माण को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिकाओं को खारिज कर (High Court dismissed the petitions) दिया. राज्य सरकार ने एनजीटी के उन आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी ,जिसके तहत सचिवालय भवन के एलर्सली भवन में शारीरिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों के लिए लिफ्ट और रैंप के निर्माण सहित मुख्य भवन, मुख्यमंत्री कार्यालय में आगंतुक प्रतीक्षालय और कार पार्किंग और बहुमंजिला पार्किंग और कार्यालय का विस्तार करने की अनुमति के आवेदन को खारिज कर दिया था.
मामले पर फैसला न्यायाधीश सबीना व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने सुनाया. राज्य सरकार की दलील थी कि एनजीटी के पास भवन निर्माण को नियंत्रित करने के आदेश पारित करने का अधिकार क्षेत्र नहीं , क्योंकि ऐसे मामले वन,पानी व पर्यावरण संरक्षण अधिनियमों के दायरे में नहीं आते हैं. प्रदेश उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि याचिकाओं में एनजीटी द्वारा सरकार के आवेदनों में पारित आदेशों को चुनोती दी ,जबकि राज्य सरकार द्वारा संबंधित मामले में एनजीटी के अंतिम निर्णय के खिलाफ दायर अपील पहले ही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है.
कोर्ट ने कहा कि ट्रिब्यूनल द्वारा आवेदनों पर आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है. उन पर विचार किया जा सकता और अपील के साथ फैसला किया जा सकता है. कोर्ट ने आगे कहा कि यह समझ में नहीं आता कि क्यों इस न्यायालय के समक्ष ये याचिकाएं दायर की गई. विशेषतया जब मामला पहले से ही 16 सितंबर,2017 को एनजीटी द्वारा पारित आदेश के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है.
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