शिमला: पुलिस ने लेटर बम मामले में बड़ी कार्रवाई की है. पुलिस ने परवाणु के दो लोगों से लैपटाप व कंप्यूटर की हार्ड डिस्क जब्त की है. साथ ही इनके मोबाइल भी जब्त कर लिए गए हैं. संदेह जताया जा रहा है कि ये दोनों भाजपा समर्थक हैं और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल के विरोधी रहे हैं.
जांच के लिए जुन्गा लैब भेजा
इन दोनों पर शक की अंगुली उठने के बाद इनसे ये उपकरण जब्त किए गए हैं. इन उपकरणों के जब्त होने के बाद पुलिस इस चिट्ठी के कर्ताधर्ताओं के नजदीक पहुंच गई है. इन उपकरणों को पुलिस ने आगामी जांच के लिए फॉरेंसिक प्रयोगशाला जुन्गा भेज दिया है. वहां से रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
दरअसल बीते दिनों सोशल मीडिया में एक चिट्ठी वायरल हुई थी, जिसे किसी पवन नाम के शख्स ने लिखा था. इस चिट्ठी में लिखा गया था कि स्वास्थ्य मंत्री नाम के ही मंत्री हैं और विभाग में भ्रष्टाचार चल रहा है. हालांकि सैजल की ओर से भ्रष्टाचार करने के इल्जाम को लेकर किसी को भरोसा नहीं हो रहा था. साफ लग रहा था कि किसी ने पुरानी रंजिश के चलते इस तरह की चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में मुख्यमंत्री को भी लपेटा गया था. चिट्ठी में लिखा गया था की उन्हें सब कुछ पता है लेकिन वह चुप्पी साधे हुए हैं.
सीएम ने दी थी प्रतिक्रिया
चिट्ठी के वायरल होने के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने ऐलान किया था कि वह इसके लेखक को ढूंढ निकालेंगे. इसके बाद मामला साइबर पुलिस के जिम्मे कर दिया गया था. पुलिस ने इस मामले में शक के आधार दो लोगों से ये उपकरण अपने कब्जे में लिए हैं. अगर फॉरेसिंक प्रयोगशाला जुन्गा में इन हार्ड डिस्कों में कुछ ठोस सबूत मिल गया तो इस चिट्ठी के पीछे का सूत्रधार कौन है, इसका भी पता चल जाएगा. अगर ये सूत्रधार कहीं भाजपा का ही हुआ तो साफ है कि पार्टी के चाल, चरित्र और चेहरे की कलई खुल जाएगी.
पुलिस अधिकारी ने की पुष्टि
पुलिस अधिकारी ने दो लोगों से लैपटाप व कंप्यूटर की हार्ड डिस्क और मोबाइल फोन जब्त करने की पुष्टि की है. जुन्गा से रिपोर्ट आने के बाद ही आगामी कार्रवाई की जाएगी. जिन लोगों से ये उपकरण जब्त किए गए हैं वो भाजपा समर्थक हैं, इस बावत उन्होंने कहा कि इसकी कोई जानकारी नहीं है. अगर जयराम सरकार चिट्ठी के लेखकों को पकड़ने मे कामयाब हो गई तो यह बड़ी कामयाबी होगी.
पहले भी आ चुके हैं इस तरह के मामले सामने
भाजपा में बेनामी चिट्ठियां लिखकर एक दूसरे पर इल्जाम लगाने के कई कारनामे हो चुके हैं. इससे पहले पीपीई किट खरीद मामले में घोटाले को लेकर भी एक चिट्ठी लिखी गई थी. सरकार ने उसके लेखक को भी दबोच लिया था. इसके अलावा भी चिट्ठियां लिखी जाती रही हैं लेकिन सबके लेखक दबोचे नहीं गए हैं. अच्छा होता अगर सरकार बेनामी चिट्ठियां लिखने वाले सभी लेखकों को बेनकाब कर पाती. लेखक ही नहीं इन चिट्ठियों के पीछे के असली सूत्रधारों का पकड़ा जाना बेहद जरूरी है.
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