ETV Bharat / city

प्राकृतिक खेती किसानों के लिए लाभदायक, भूमि की भी बढ़ती है उर्वरक क्षमता: राज्यपाल - Himachal Raj Bhavan News

राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा कि प्राकृतिक खेती किसानों के लिए बेहद लाभदायक है. राज्यपाल ने राजभवन में प्राकृतिक कृषि खुशहाल किसान योजना के अन्तर्गत राज्य परियोजना क्रियान्वयन इकाई की बैठक में बोलते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती के परिणाम धरातल पर देखने को मिले.

राज्यपाल
राज्यपाल
author img

By

Published : Sep 2, 2021, 9:17 PM IST

शिमला: राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा कि प्राकृतिक खेती किसानों के लिए बेहद लाभदायक है. प्राकृतिक खेती द्वारा भूमि से साल भर अलग-अलग फसलें ली जा सकती हैं. इस कृषि पद्धति में पहाड़ी गाय का महत्व समझाया गया है. प्राकृतिक खेती में भूमि की उर्वरता बढ़ाने की क्षमता और इस प्रकार उत्पादित उत्पाद स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होंगे. राज्यपाल ने राजभवन में प्राकृतिक कृषि खुशहाल किसान योजना के अन्तर्गत राज्य परियोजना क्रियान्वयन इकाई की बैठक में बोलते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती के परिणाम धरातल पर देखने को मिले और इसका लाभ अब हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों के किसानों को दिखाई दे रहा है. परिणामस्वरूप लगभग 1 लाख 30 हजार किसान इस खेती से जुड़े हैं.



अर्लेकर ने कहा कि वे किसान नहीं, लेकिन वे इस कृषि प्रणाली को लंबे समय से बढ़ावा दे रहे हैं. उन्होंने सुभाष पालेकर से भी मुलाकात की थी और उनसे खेती के इस तरीके की जानकारी भी ली. उन्होंने कहा कि इसे अपनाने से किसान साल भर एक ही समय में एक ही जमीन से अलग-अलग फसलें प्राप्त कर सकते हैं और इस तरह वह पूरे वर्ष व्यस्त रह सकते हैं. उन्होंने कहा कि देशी गाय की रक्षा के लिए भी यह कृषि पद्धति बहुत महत्वपूर्ण है.

इस कृषि पद्धति में पहाड़ी गाय का महत्व समझाया गया और इसे बढ़ावा देने से गायों का संरक्षण भी संभव होगा. उन्होंने कहा कि हिमाचल में भूमि जोत बहुत कम और खेती की इस पद्धति को अपनाने से किसानों को अधिक उपज मिलेगी और लागत भी कम होगी. उन्होंने कहा कि वर्तमान संदर्भ में, प्राकृतिक खेती में भूमि की उर्वरता बढ़ाने की क्षमता और इस प्रकार उत्पादित उत्पाद स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होंगे.

ये भी पढ़ें : हिमाचल में 18+ के सभी लोगों को लगी वैक्सीन की पहली डोज: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय

शिमला: राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा कि प्राकृतिक खेती किसानों के लिए बेहद लाभदायक है. प्राकृतिक खेती द्वारा भूमि से साल भर अलग-अलग फसलें ली जा सकती हैं. इस कृषि पद्धति में पहाड़ी गाय का महत्व समझाया गया है. प्राकृतिक खेती में भूमि की उर्वरता बढ़ाने की क्षमता और इस प्रकार उत्पादित उत्पाद स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होंगे. राज्यपाल ने राजभवन में प्राकृतिक कृषि खुशहाल किसान योजना के अन्तर्गत राज्य परियोजना क्रियान्वयन इकाई की बैठक में बोलते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती के परिणाम धरातल पर देखने को मिले और इसका लाभ अब हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों के किसानों को दिखाई दे रहा है. परिणामस्वरूप लगभग 1 लाख 30 हजार किसान इस खेती से जुड़े हैं.



अर्लेकर ने कहा कि वे किसान नहीं, लेकिन वे इस कृषि प्रणाली को लंबे समय से बढ़ावा दे रहे हैं. उन्होंने सुभाष पालेकर से भी मुलाकात की थी और उनसे खेती के इस तरीके की जानकारी भी ली. उन्होंने कहा कि इसे अपनाने से किसान साल भर एक ही समय में एक ही जमीन से अलग-अलग फसलें प्राप्त कर सकते हैं और इस तरह वह पूरे वर्ष व्यस्त रह सकते हैं. उन्होंने कहा कि देशी गाय की रक्षा के लिए भी यह कृषि पद्धति बहुत महत्वपूर्ण है.

इस कृषि पद्धति में पहाड़ी गाय का महत्व समझाया गया और इसे बढ़ावा देने से गायों का संरक्षण भी संभव होगा. उन्होंने कहा कि हिमाचल में भूमि जोत बहुत कम और खेती की इस पद्धति को अपनाने से किसानों को अधिक उपज मिलेगी और लागत भी कम होगी. उन्होंने कहा कि वर्तमान संदर्भ में, प्राकृतिक खेती में भूमि की उर्वरता बढ़ाने की क्षमता और इस प्रकार उत्पादित उत्पाद स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होंगे.

ये भी पढ़ें : हिमाचल में 18+ के सभी लोगों को लगी वैक्सीन की पहली डोज: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.