शिमला: हिमाचल की राजधानी शिमला के समीप राष्ट्रपति निवास रिट्रीट के आसपास का वातावरण और भी खुशनुमा होने वाला है. राष्ट्रपति निवास रिट्रीट की संपत्तियों में शामिल बागीचे में सेब की पारंपरिक किस्में तो पहले से ही फल-फूल रही हैं, अब यहां विदेशी वैरायटी के सेब भी लगाए जाएंगे. रिट्रीट के आसपास की जलवायु सेब की बागवानी के लिए अनुकूल है. यहां के उपवन में देशी और विदेशी किस्मों के फूल भी खिले हुए हैं.
इस बगिया की रखवाली और देखभाल के लिए प्रशिक्षित माली तैनात हैं. वर्ष 2015 में जब पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी शिमला आए थे, उस वक्त राष्ट्रपति निवास के बागीचे में रोपे गए सेब के पौधों ने फल देना शुरू कर दिया था. पिछली बार जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद रिट्रीट में ठहरे थे तो उन्होंने बागीचे और फूलों की बगिया को लेकर स्टाफ को कई निर्देश दिए थे. उसी दौरान यहां सेब की नई किस्मों को रोपने पर भी विचार किया गया था. अब यहां फूलों की और भी नई किस्में लगाई जा रही हैं. साथ ही सेब व अन्य फलों के पौधे भी रोपे जाने की तैयारी है.
शिमला के छराबड़ा स्थित राष्ट्रपति के ग्रीष्मकालीन निवास रिट्रीट में सेब के 80 से अधिक पौधे हैं. उल्लेखनीय है कि पूर्व राष्ट्रपति स्व. प्रणब मुखर्जी तो रिट्रीट के बागीचे और लॉन से बेहद लगाव रखते थे. वर्ष 2015 में जब प्रणब मुखर्जी शिमला प्रवास पर थे तो उन्होंने लॉन में सैर करते हुए अपनी कई फोटोग्राफ सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर की थी.
दिलचस्प बात यह है कि देश में दिल्ली का रायसीना हिल्स स्थित राष्ट्रपति भवन के अलावा शिमला में रिट्रीट में राष्ट्रपति का ग्रीष्मकालीन आवास है और फिर तेलंगाना के सिकंदराबाद में भी एक राष्ट्रपति निवास अलग से है. प्रणब मुखर्जी की तरह ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी प्रकृति के नजारों को पसंद करते हैं. अपने हालिया शिमला प्रवास के दौरान उन्होंने हिमाचल से अपने साढ़े चार दशक पुराने जुड़ाव को भी याद किया था.
शिमला से चंद किलोमीटर दूर पर स्थित है छराबड़ा. यहां ब्रिटिश काल के दौरान बनी इमारत राष्ट्रपति का ग्रीष्मकालीन आवास है. यह इमारत 1850 में बनी. आजादी के बाद शिमला स्थित वायसरीगल लॉज को राष्ट्रपति निवास बनाया गया. जिस समय देश के राष्ट्रपति और शिक्षाविद सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने वायसरीगल लॉज यानी राष्ट्रपति निवास को भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान बनाने का फैसला किया, वहां से राष्ट्रपति निवास स्थानांतरित होकर छराबड़ा के रिट्रीट में आया.
यह वर्ष 1964 की बात है. रिट्रीट का सारा ढांचा परंपरागत शैली में लकड़ी से निर्मित है. यहां की दीवारें पहाड़ी निर्माण कला के तहत धज्जी शैली की हैं. धज्जी शैली में बनी दीवारों में मिट्टी व लकड़ी का प्रयोग किया जाता है. ये काफी पक्की मानी जाती हैं और इन्हें भूकंप की दृष्टि से सुरक्षित भी कहा जाता है.
यह पहाड़ी शैली का निर्माण है. रिट्रीट के स्टाफ के अनुसार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सेब बागीचे और फूलों की बगिया को और विकसित करने के निर्देश दिए हैं. यहां बगिया में विभिन्न किस्मों के फूल खिले हैं अब औद्यानिकी विभाग के साथ संपर्क कर यहां की जलवायु के अनुसार और भी विभिन्न रंगों के फूलों की किस्में खिलाई जाएंगी. राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने भी राष्ट्रपति की इच्छा को देखते हुए बागीचे और बगिया को निखारने की कवायद शुरू कर दी है.
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