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SHIMLA: पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होगा शिमला का ऐतिहासिक Bantony Castle

शिमला की मशहूर ऐतिहासिक इमारत बैंटनी कैसल जल्द ही पर्यटकों के आकर्षण का नया केंद्र बनने वाली है. शिमला आने वाले सैलानियों के लिए यहां संग्रहालय, रेस्टोरेंट्स और पार्क के साथ लाइट एंड साउंड शो भी होगा. ऐतिहासिक इमारत के पुनरूद्धार का काम 31 दिसंबर, 2021 तक पूरा होने की उम्मीद है.

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ऐतिहासिक इमारत बैंटनी कैसल
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Published : Aug 19, 2021, 6:40 PM IST

शिमलाः ब्रिटिश हुकूमत के समय की ऐतिहासिक इमारत बैंटनी कैसल (Bantony Castle Shimla) जल्द ही शिमला के नए पर्यटन की पहचान बनने वाली है. देश-विदेश से से शिमला आने वाले पर्यटक पहाड़ों के दीदार के साथ हिमाचल प्रदेश की संस्कृति से भी रूबरू हो सकेंगे. करीब 141 साल पुरानी यह इमारत एंग्लो-गोथिक शैली (Anglo-Gothic Style) का बेहतरीन नमूना है.

बैंटनी कैसल करीब 18 हजार वर्ग मीटर में फैला हुआ है. शिमला की इस ऐतिहासिक बैंटनी कैसल (Historic Bantony Castle) में सैलानियों के मनोरंजन के लिए म्यूजियम, पार्क और कैफे बनाया जा रहा है. इसके अलावा लाइट एंड साउंड शो के जरिए सैलानियों को हिमाचल प्रदेश की संस्कृति और विरासत (Himachali Culture and Inheritance) से भी रूबरू करवाया जाएगा. 19 सितंबर, 2017 को बैंटनी कैसल की ऐतिहासिक इमारत में प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी.

शिमला में सीजनल पर्यटकों के अलावा वीकेंड पर रोजाना 15 से 20 हजार सैलानी आते हैं. शिमला के साथ लगते क्षेत्रों में सैलानियों का औसतन स्टे तीन दिन का होता है. आम दिनों में वीकेंड पर इतनी ज्यादा भीड़ हो जाती है कि होटल में रहने और रेस्टोरेंट में खाने तक की जगह नहीं मिलती.

ऐसे में शिमला के बीचोंबीच बने बैंटनी कैसल में सैलानियों के घूमने और खाने-पीने की सुविधा मुहैया हो सकेगी. इसके जरिए पर्यटन निगम सैलानियों के स्टे को बढ़ाने का भी प्रयास करेगा. हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक अमित कश्यप (Himachal Tourism MD Amit Kashyap) का कहना है कि 31 दिसंबर, 2021 तक बैंटनी कैसल का पुनरूद्धार (Restoration of Bantony Castle) होने की उम्मीद है.

भारत पर शासन के दौरान ब्रिटिश हुक्मरानों (British Rule in India) ने कई इमारतों का निर्माण कराया. इन्हीं में बैंटनी कैसल भी शामिल है. करीब 141 साल पुरानी यह इमारत दो राज परिवारों से होते हुए निजी संपत्ति बनी और फिर हिमाचल प्रदेश सरकार ने साल 1968, साल 1975 और साल 2004 की नाकाम कोशिश के बाद साल 2017 में इस ऐतिहासिक इमारत का अधिग्रहण (Acquisition of Bantony Castle) कर लिया.

ब्रिटिश शासन काल के दौरान साल 1880 में बैंटनी कैसल इमारत को कैप्टन ए. गॉर्डन (Captain A.Gordon) ने तत्कालीन सिरमौर रियासत के राजा अमर प्रकाश बहादुर को बेच दिया था. इसके बाद यह इमारत बिहार के दरभंगा के महाराजा की भी संपत्ति रही. दरभंगा रियासत के शासकों के वारिसों के बाद यह इमारत शिमला में कारोबार कर रहे इसके मालिक से खरीदी गई.

सरकार ने इस संपत्ति का अधिग्रहण 27 करोड़ रुपए से अधिक राशि चुकाकर किया है. करीब 18 हजार वर्ग मीटर में फैली यह ऐतिहासिक इमारत शिमला की प्राइम लोकेशन पर स्थित है. इसके एक तरफ शिमला का मशहूर होटल ग्रैंड Hotel Grand Shimla) और दूसरी तरफ सेंट्रल टेलीग्राफ ऑफिस (CTO Shimla) की ऐतिहासिक इमारत है. बैंटनी कैसल से सामने नजर दौड़ाते ही मनोरम पहाड़ नजर आते हैं, जो किसी का भी मन मोह ले.

ये भी पढ़ें- 21 अगस्त को 16 हजार से ज्यादा अभ्यर्थी देंगे B.ed प्रवेश परीक्षा, इन अभ्यर्थियों के परीक्षा केंद्र में हुआ बदलाव

शिमलाः ब्रिटिश हुकूमत के समय की ऐतिहासिक इमारत बैंटनी कैसल (Bantony Castle Shimla) जल्द ही शिमला के नए पर्यटन की पहचान बनने वाली है. देश-विदेश से से शिमला आने वाले पर्यटक पहाड़ों के दीदार के साथ हिमाचल प्रदेश की संस्कृति से भी रूबरू हो सकेंगे. करीब 141 साल पुरानी यह इमारत एंग्लो-गोथिक शैली (Anglo-Gothic Style) का बेहतरीन नमूना है.

बैंटनी कैसल करीब 18 हजार वर्ग मीटर में फैला हुआ है. शिमला की इस ऐतिहासिक बैंटनी कैसल (Historic Bantony Castle) में सैलानियों के मनोरंजन के लिए म्यूजियम, पार्क और कैफे बनाया जा रहा है. इसके अलावा लाइट एंड साउंड शो के जरिए सैलानियों को हिमाचल प्रदेश की संस्कृति और विरासत (Himachali Culture and Inheritance) से भी रूबरू करवाया जाएगा. 19 सितंबर, 2017 को बैंटनी कैसल की ऐतिहासिक इमारत में प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी.

शिमला में सीजनल पर्यटकों के अलावा वीकेंड पर रोजाना 15 से 20 हजार सैलानी आते हैं. शिमला के साथ लगते क्षेत्रों में सैलानियों का औसतन स्टे तीन दिन का होता है. आम दिनों में वीकेंड पर इतनी ज्यादा भीड़ हो जाती है कि होटल में रहने और रेस्टोरेंट में खाने तक की जगह नहीं मिलती.

ऐसे में शिमला के बीचोंबीच बने बैंटनी कैसल में सैलानियों के घूमने और खाने-पीने की सुविधा मुहैया हो सकेगी. इसके जरिए पर्यटन निगम सैलानियों के स्टे को बढ़ाने का भी प्रयास करेगा. हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक अमित कश्यप (Himachal Tourism MD Amit Kashyap) का कहना है कि 31 दिसंबर, 2021 तक बैंटनी कैसल का पुनरूद्धार (Restoration of Bantony Castle) होने की उम्मीद है.

भारत पर शासन के दौरान ब्रिटिश हुक्मरानों (British Rule in India) ने कई इमारतों का निर्माण कराया. इन्हीं में बैंटनी कैसल भी शामिल है. करीब 141 साल पुरानी यह इमारत दो राज परिवारों से होते हुए निजी संपत्ति बनी और फिर हिमाचल प्रदेश सरकार ने साल 1968, साल 1975 और साल 2004 की नाकाम कोशिश के बाद साल 2017 में इस ऐतिहासिक इमारत का अधिग्रहण (Acquisition of Bantony Castle) कर लिया.

ब्रिटिश शासन काल के दौरान साल 1880 में बैंटनी कैसल इमारत को कैप्टन ए. गॉर्डन (Captain A.Gordon) ने तत्कालीन सिरमौर रियासत के राजा अमर प्रकाश बहादुर को बेच दिया था. इसके बाद यह इमारत बिहार के दरभंगा के महाराजा की भी संपत्ति रही. दरभंगा रियासत के शासकों के वारिसों के बाद यह इमारत शिमला में कारोबार कर रहे इसके मालिक से खरीदी गई.

सरकार ने इस संपत्ति का अधिग्रहण 27 करोड़ रुपए से अधिक राशि चुकाकर किया है. करीब 18 हजार वर्ग मीटर में फैली यह ऐतिहासिक इमारत शिमला की प्राइम लोकेशन पर स्थित है. इसके एक तरफ शिमला का मशहूर होटल ग्रैंड Hotel Grand Shimla) और दूसरी तरफ सेंट्रल टेलीग्राफ ऑफिस (CTO Shimla) की ऐतिहासिक इमारत है. बैंटनी कैसल से सामने नजर दौड़ाते ही मनोरम पहाड़ नजर आते हैं, जो किसी का भी मन मोह ले.

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