शिमला: हिमाचल के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के उस बयान पर हैरानी जताई है. जिसमें उन्होंने लड़कियों के कोई भी पोशाक पहनने की हिमायत की है. गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों का एक अनुशासन होता है और उसे हर हाल में बरकरार रखना जरूरी है. शिक्षा मंत्री ने प्रियंका गांधी के बयान की निंदा की और कहा कि सरकारी शिक्षण संस्थानों सहित निजी शिक्षण संस्थानों का अपना-अपना ड्रेस कोड होता है. उसे फॉलो करना सभी की जिम्मेदारी है.
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि हिजाब (Govind Singh Thakur on Priyanka Gandhi) के मुद्दे को बेवजह तूल दिया जा रहा है. गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि हिमाचल में सरकारी शिक्षण संस्थानों में छात्र-छात्राओं की ड्रेस को लेकर स्थान विशेष के अनुसार नियम तय किए गए हैं. सभी को ड्रेस कोड और अनुशासन का पालन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी का वह बयान निंदनीय है. जिसमें उन्होंने कहा कि लड़कियां हिजाब, स्कर्ट या अन्य कोई भी पोशाक पहनने के लिए स्वतंत्र हैं.
अलबत्ता शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने संकोच वश 'बिकिनी' शब्द (Govind thakur statement on Priyanka Gandhi) का प्रयोग नहीं किया. उल्लेखनीय है कि प्रियंका गांधी ने (Priyanka Gandhi on Hijab Controversy) ट्वीट था कि महिलाओं को अपनी पंसद के कपड़े पहनने का पूरा हक है, चाहे वो बिकिनी हो, घूंघट हो या फिर जींस हो. प्रियंका गांधी ने कहा कि महिलाओं को प्रताड़ित करना बंद करें.
लड़कियां चाहे हिजाब पहने बिकिनी पहने या कुछ और यह उनकी मर्जी है. प्रियंका के इस बयान को सोशल मीडिया पर भी शैक्षणिक संस्थानों से जोड़ा गया. इसी का संदर्भ लेते हुए हिमाचल के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा की शैक्षणिक संस्थानों का एक निश्चित अनुशासन होता है. साथ ही संबंधित स्कूल अपनी-अपनी परिस्थितियों के अनुसार ड्रेस कोड करते हैं. स्कूल में अनुशासन के लिए सभी को इसे स्वीकार करना चाहिए.
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उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश के सरकारी संस्थानों में कोई तयशुदा ड्रेस कोड नहीं है. विंटर और समर वेकेशन वाले स्कूल अपने अपने हिसाब से वर्दी तय करते हैं. अमूमन हिमाचल के स्कूलों में लड़कियों के लिए सलवार कमीज और लड़कों के लिए पैंट शर्ट ड्रेस कोड के तौर पर है. यह अलग बात है कि कुछ निजी शिक्षण संस्थान अपने हिसाब से ड्रेस का कलर और परिधान तय करते हैं. कुछ निजी कॉलेज जो किसी धर्म विशेष की संस्था द्वारा संचालित होते हैं. वहां अलग से पोशाक होती है.
उल्लेखनीय है कि हिमाचल में मुस्लिम आबादी बहुत कम है. इसके अलावा अन्य अल्पसंख्यक भी बहुत कम है. लिहाजा हिमाचल में शैक्षणिक संस्थाओं में ड्रेस (Dress in educational institutions in Himachal) कभी भी विवाद का विषय नहीं बनी. जहां तक सवाल कॉलेज और यूनिवर्सिटी का है. वहां छात्र-छात्राएं अपने पसंद की ड्रेस पहन कर आते हैं. शिक्षा मंत्री ने कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं में अनुशासन बनाए रखने के लिए स्कूल और कॉलेज प्रबंधन के तय नियमों का पालन किया जाना चाहिए और ऐसे विवादों को बेवजह की तूल नहीं देना चाहिए.
कैसे शुरू हुआ हिजाब विवाद?: कर्नाटक के उडुपी के एक सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की कक्षा में हिजाब पहनकर आई छात्राओं को कॉलेज परिसर से बाहर चले जाने को कहा गया. इसके बाद इस मुद्दे ने तूल पकड़ लिया. हालात ये हैं कि यह मुद्दा अब राज्य के विभिन्न हिस्सों में भी फैल गया है. दक्षिणपंथी संगठनों की ओर से समर्थित युवा हिन्दू भगवा गमछा डालकर इस मामले में कूद पड़े. कई जगह हिंसा की घटना भी सामने आई हैं.
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