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शिक्षा विभाग ने जारी की SOP, स्कूल प्रबंधन को मानने होंगे ये आदेश

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Published : Nov 9, 2021, 1:48 PM IST

उच्च शिक्षा निदेशक (director of higher education) ने सभी स्कूलों के प्रिंसिपलों को विद्यार्थियों की क्षमता और कमरों की संख्या के अनुसार माइक्रो प्लान बनाने को कहा है. शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को एसओपी जारी कर दी है. कक्षाओं में एक बेंच पर एक ही विद्यार्थी को बैठाया जाएगा.

Education Department issued SOP
SOP regarding opening of schoo

शिमला: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक (cabinet meeting) में फैसला लिया गया कि प्रदेश में तीसरी से सातवीं कक्षा तक स्कूल 10 नवंबर से खुलेंगे. वहीं, पहली कक्षा और दूसरी कक्षा के बच्चों के लिए 15 नवंबर से स्कूल खुलेंगे. ऐसे में अब छोटे बच्चों का कोरोना से किस तरह बचाव किया जाएगा इसके लिए शिक्षा विभाग ने एसओपी जारी कर दी है.

शिक्षा विभाग के आदेशों के अनुसार स्कूल के कमरे की क्षमता अनुसार पचास फीसदी विद्यार्थियों (50% students) को ही एक कक्षा में बिठाया जाएगा. शेष विद्यार्थियों की क्लास दूसरे कमरे में लगाई जाएगी. प्रार्थना सभा, खेलकूद सहित एकत्र होने वाली अन्य गतिविधियों पर रोक रहेगी. लंच-ब्रेक और आने-जाने का समय कक्षावार अलग-अलग होगा. कक्षाओं में एक बेंच पर एक ही विद्यार्थी को बैठाया जाएगा.

उच्च शिक्षा निदेशक ने सभी स्कूलों के प्रिंसिपलों को विद्यार्थियों की क्षमता और कमरों की संख्या के अनुसार माइक्रो प्लान बनाने को कहा है. शिक्षकों और विद्यार्थियों को फेस मास्क पहनना अनिवार्य रहेगा. थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही स्कूल परिसरों में प्रवेश दिया जाएगा. हैंड सैनिटाइजर और साबुन की भी स्कूलों में पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी. जब 8 वीं से 12 वीं तक कि कक्षाएं शुरू हुई थी तब भी शिक्षा विभाग ने एसओपी जारी कर निर्देश दिए थे. अब छोटे बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी शिक्षा विभाग अलर्ट हो गया है.

गौरतलब है कि न तो बच्चों की वैक्सीनेशन हुई है और न ही अभी कोरोना का खतरा टला है, लेकिन हिमाचल सरकार ने छोटे बच्चों को भी स्कूल बुलाने का फैसला ले लिया है. ऐसे में सरकार के फैसले के बाद अभिभावकों को भी चिंता सता रही है कि क्या उनके बच्चे स्कूल जाकर सुरक्षित हैं या नहीं. खैर सरकार ने तो फैसला ले लिया है, लेकिन अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन के सामने एक बड़ी चुनौती है कि बच्चों को कोरोना से कैसे बचाया जाए.

ये भी पढ़ें: इस दिन से शुरू हो रही हैं HP BOARD की टर्म एक परीक्षाएं, CCTV से रखी जाएगी नजर

शिमला: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक (cabinet meeting) में फैसला लिया गया कि प्रदेश में तीसरी से सातवीं कक्षा तक स्कूल 10 नवंबर से खुलेंगे. वहीं, पहली कक्षा और दूसरी कक्षा के बच्चों के लिए 15 नवंबर से स्कूल खुलेंगे. ऐसे में अब छोटे बच्चों का कोरोना से किस तरह बचाव किया जाएगा इसके लिए शिक्षा विभाग ने एसओपी जारी कर दी है.

शिक्षा विभाग के आदेशों के अनुसार स्कूल के कमरे की क्षमता अनुसार पचास फीसदी विद्यार्थियों (50% students) को ही एक कक्षा में बिठाया जाएगा. शेष विद्यार्थियों की क्लास दूसरे कमरे में लगाई जाएगी. प्रार्थना सभा, खेलकूद सहित एकत्र होने वाली अन्य गतिविधियों पर रोक रहेगी. लंच-ब्रेक और आने-जाने का समय कक्षावार अलग-अलग होगा. कक्षाओं में एक बेंच पर एक ही विद्यार्थी को बैठाया जाएगा.

उच्च शिक्षा निदेशक ने सभी स्कूलों के प्रिंसिपलों को विद्यार्थियों की क्षमता और कमरों की संख्या के अनुसार माइक्रो प्लान बनाने को कहा है. शिक्षकों और विद्यार्थियों को फेस मास्क पहनना अनिवार्य रहेगा. थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही स्कूल परिसरों में प्रवेश दिया जाएगा. हैंड सैनिटाइजर और साबुन की भी स्कूलों में पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी. जब 8 वीं से 12 वीं तक कि कक्षाएं शुरू हुई थी तब भी शिक्षा विभाग ने एसओपी जारी कर निर्देश दिए थे. अब छोटे बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी शिक्षा विभाग अलर्ट हो गया है.

गौरतलब है कि न तो बच्चों की वैक्सीनेशन हुई है और न ही अभी कोरोना का खतरा टला है, लेकिन हिमाचल सरकार ने छोटे बच्चों को भी स्कूल बुलाने का फैसला ले लिया है. ऐसे में सरकार के फैसले के बाद अभिभावकों को भी चिंता सता रही है कि क्या उनके बच्चे स्कूल जाकर सुरक्षित हैं या नहीं. खैर सरकार ने तो फैसला ले लिया है, लेकिन अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन के सामने एक बड़ी चुनौती है कि बच्चों को कोरोना से कैसे बचाया जाए.

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