शिमला: दलित शाेषण मुक्ति मंच की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद सुभाषणी अली (Subhashini Ali, National Vice President of Dalit shoshan Mukti manch) ने कहा कि देश में जो संविधान पर हमले हो रहे हैं उससे हिमाचल प्रदेश भी अछूता नहीं है. आज देश में भाजपा मनुवाद के विचार को लेकर आगे बढ़ रही है, जिसके लिए सरकार आज संविधान को दरकिनार कर रही है. वह कालीबाड़ी हॉल में दलित शोषण मुक्ति मंच के राज्य स्तरीय सेमिनार भारतीय संविधान और मनुस्मृति की चुनौतियों (Seminar on Challenges of Indian Constitution and Manusmriti) के विषय पर माैजूद लाेगाें काे संबाेधित कर रही थीं.
सुभाषिनी अली ने कहा कि एक तरफ आरक्षण को खत्म करने और एट्रोसिटी एक्ट को खत्म करने की बात हो रही है, वहीं देशभर में किसी की हत्या हो जाती है तो सबसे पहले मरने वालों और मारने वालों की जाति पूछी जाती है और उसके आधार पर कानून व्यवस्था काम करती है. उन्होंने संविधान के मूल्यों की रक्षा करने, संविधान की प्रस्तावना को सभी कार्यालयों में स्थापित करने, दलितों पर बढ़ते हमलों को रोकने, अनुसूचित जाति, जनजाति उत्पीड़न रोकथाम कानून को सख्ती से लागू करने, निजी क्षेत्र में आरक्षण व्यवस्था लागू करने, सरकारी नौकरियों में नियमित भर्तियां करने व आरक्षण व्यवस्था लागू करने, दलितों के रिक्त पदों को तुरंत भरने तथा अनुसूचित जाति, जनजाति उप योजना के बजट को दलितों के विकास के लिए खर्च करने व इसके दुरुपयोग को रोकने आदि मुद्दों पर बात रखी.
सुभाषिनी अली (Subhashini Ali on bjp government) ने केंद्र व प्रदेश सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि आज संविधान को चुनौती देते हुए एक तबका सरेआम आरक्षण व अनुसूचित जाति, जनजाति उत्पीड़न रोकथाम कानून की शवयात्रा निकाल रहा है व सरकार द्वारा इसकी इजाजत देकर संविधान की हत्या कर रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षों में देश व प्रदेश में दलितों का उत्पीड़न बढ़ा है और उन पर शारीरिक हमले बढ़े हैं. उनकी हत्याएं तक हुई हैं. प्रदेश सरकार इन हमलों व उत्पीड़न पर खामोश रही है. हिमाचल प्रदेश के अंदर जंहा आज जाति के नाम पर ध्रुवीकरण किया जा रहा है उसके लिए हिमाचल सरकार जिम्मेदार है क्योंकि या तो सरकार स्थिति को संभाल नहीं पा रही है या फिर अपनी नाकामियां छुपाने के लिए ये सब कर रही हैं.
सेमिनार में दलित शोषण मुक्ति मंच के राज्य संयोजक जगत राम एवं सह संयोजक आशीष कुमार ने संबोधित करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश दलित उत्पीड़न का केंद्र बना हुआ है. दलित वर्ग कानून में प्रावधनों को लागू करवाने के लिए भी सड़कों पर उतर रहा है. जगत राम एवं आशीष कुमार ने बताया कि आने वाले तीन महीनों में घर घर जा कर अभियान चलाया जाएगा और सामाजिक एकता को कायम रखते हुए सबको शिक्षा और रोजगार की मांग की जाएगी.
सेमिनार में शिमला शहरी संयोजक विवेक कश्यप, जिला सह संयोजक सुरेंद्र तनवर, कश्मीर चंद, नरेंद्र विरुद्ध, अर्जुन सिंह, प्रताप चंद, रविकांत, अमरचंद गजपति, किशोरी लाल, नैन सिंह, राजकुमार, ओंकार शाद, कुलदीप तनवर, संजय चौहान, प्रेम गौतम, विजेंद्र मेहरा, फालमा चौहान, राकेश कुमार, बालक राम, अमित ठाकुर सहित हिमाचल प्रदेश के 11 जिलों से 300 के करीब लोगों ने भाग लिया.
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