शिमला: देश में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते जा रहे हैं. एक तरफ कोरोना संकट हर किसी के लिए मुसीबत से कम नहीं है. वहीं, दूसरी तरफ किसानों पर मौसम भी कहर बरसा रहा है. रामपुर बुशहर के ननखड़ी में बीते दिनों हुई भारी ओलावृष्टि से किसानों और बागवानों की फसलें तबाह हो गई है.
ओलावृष्टि के कारण ननखड़ी क्षेत्र की 8 पंचायतों में फसलों को नुकसान पहुंचा है जिनमें खासकर 7 पंचायतों को भारी नुकसान हुआ है. इनमें न केवल किसानों की फसलें बर्बाद हुई है बल्कि लोगों के घरों को भी नुकसान पहुंचा है.
बागवानों की सेब, चेरी और नाशपाती की फसलें बर्बाद हो गई है. किसानों के पास न तो कोई नौकरी और ना ही कोई आमदनी. किसानों का पूरा गुजारा खेतीबाड़ी से ही होता है. ओलावृष्टि से उनकी फसलें तबाह हो गई है जिसकी वजह से उनको अब अपने गुजर-बसर की चिंता सता रही है. किसानों ने सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.
बागवानों का कहना है कि वह अपनी रोजी-रोटी के लिए पूर्ण रुप से सेब की फसलों पर निर्भर करते हैं और फसलें खराब होने के कारण उनको अपने गुजर बसर की चिंता सता रही है. बता दें कि रामपुर निचले क्षेत्रों में आता है जिसकी वजह से किसानों अभी के समय में अपनी सालाना आय कमा लेते है. इस वक्त किसानों की सारी नकदी फसलें जैसे फूल गोभी, बंद गोभी, बादाम आदि फसलें तैयार हो गई थी. रामपुर में हुई भारी ओलावृष्टि से किसानों की सभी फसलें खराब हो गई है.
फसलें बर्बाद होने की वजह से किसानों और उनके परिवारों को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो रही है. किसानों ने मांग की है कि इनके लिए बनी हुई केसीसी को माफ किया जाए. अन्यथा इन लोगों से तीन साल तक बयाज न लिया जाए. बता दें कि उद्यान विभाग की टीम ने ओला प्रभावित पंचायतों का दौरा कर नुकसान का आंकलन किया. टीम के सदस्यों ने सेब व चेरी की फसलों का बागवानों व तहसीलदार के साथ मिलकर जायजा लिया.
जानकारी देते हुए विषयवाद विशेषज्ञ उद्यान विभाग रामपुर बुशहर जेसी वर्मा ने बताया कि उनकी टीम ने ननखड़ी क्षेत्र में मौके पर जाकर सेब व चेरी की फसलों का जायजा लिया. इस दौरान 66 से 50 मीट्रिक टन सेब व चेरी की फसल के नुकसान का आंकलन किया गया है. कुल नुकसान 17 करोड़ 5 लाख रुपये का हुआ है.
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