ETV Bharat / city

सरकारी योजनाओं में ऑडिट व्यवस्था मजबूत न होने से पनप रहा भ्रष्टाचार, ऑडिटर नियुक्ति पर भी सवाल

author img

By

Published : Aug 25, 2020, 7:14 PM IST

Updated : Aug 25, 2020, 7:45 PM IST

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की हिमाचल ब्रांच पूर्व चेयरमैन योगेश ने कहा कि सरकारी स्कीमों में ऑडिटरों की नियुक्ति के लिए सरकार को स्वतंत्र प्राधिकरण गठित करने पर भी विचार करना चाहिए. उन्होंने मांग की है कि सरकारी स्कीमों में ऑडिटर नियुक्त करने का अधिकार कैग या इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया को दिया जाना चाहिए.

corruption arising in the audit of government schemes of himachal pradesh
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की हिमाचल ब्रांच पूर्व चेयरमैन योगेश .

शिमलाः सरकारी योजनाओं में ऑडिट की व्यवस्था मजबूत न होने से भ्रष्टाचार पनप रहा है. साथ ही कई घोटाले सामने आ रहे हैं. इन योजनाओं के वैधानिक ऑडिट के लिए स्वतंत्र ऑडिटर नियुक्त किया जाना चाहिए. इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की हिमाचल ब्रांच के पूर्व चेयरमैन योगेश वर्मा और वरिष्ठ चार्टड अकाउंटेंट राजेश सक्सेना ने यह बात कही है.

वीडियो रिपोर्ट

उन्होंने बताया कि कल्याणकारी सरकारी योजनाओं के ऑडिट के लिए ऑडिटर चुनने का अधिकार संबंधित विभागों को ही प्राप्त है, जिससे कि भ्रष्टाचार को बल मिल रहा है. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में सरकारी योजनाओं के खर्चे का ऑडिट करने की व्यवस्था ऐसी है कि जिस विभाग, प्राधिकरण, विश्वविद्यालय, कॉलेज, स्कूल इत्यादि को खर्च करने के लिए राशि भेजी जाती है. साथ ही वे जो खर्च करते हैं. उन खर्चों के ऑडिट के लिए ऑडिटर भी वे खुद ही नियुक्त करते हैं.

इसके अलावा ऑडिटर को नियंत्रित कर अपनी इच्छानुसार ऑडिट संबंधी प्रमाण पत्र तैयार कर लेते हैं. इस व्यवस्था से सरकारी स्कीमों में भ्रष्टाचार पनप रहा है. वर्तमान व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि कल्पना कर सकते हैं कि किसी परीक्षार्थी को ही अपने लिए परीक्षक नियुक्त करने का अधिकार दे दिया जाए.

उन्होंने मांग की है कि सरकारी स्कीमों में ऑडिटर नियुक्त करने का अधिकार कैग या इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया को दिया जाना चाहिए. इससे योजनाओं के क्रियान्वयन में किए जाने वाले खर्चों का जहां स्वतंत्र ऑडिट होगा. वहीं, भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगेगी.

वहीं, पूर्व चेयरमैन योगेश ने कहा कि सरकारी स्कीमों में ऑडिटरों की नियुक्ति के लिए सरकार को स्वतंत्र प्राधिकरण गठित करने पर भी विचार करना चाहिए. उन्होंने आशंका जताई कि अगर ऑडिटर नियुक्ति की मौजूदा व्यवस्था जारी रही तो सरकारी विभागों व प्राधिकरणों के प्रबंधकों और चयनित ऑडिटर के बीच सांठगांठ हो सकती है. जब तक राशि व्यय करने वाले विभागों के पास ऑडिटरों की नियुक्ति का अधिकार रहेगा, तब तक निष्पक्ष ऑडिट की उम्मीद नहीं लगाई जा सकती है.

ये भी पढ़ेंः चार्ली पैंग के दो 'जासूस' पूछताछ के लिए तलब, दलाई लामा की कर रहे थे मुखबिरी

शिमलाः सरकारी योजनाओं में ऑडिट की व्यवस्था मजबूत न होने से भ्रष्टाचार पनप रहा है. साथ ही कई घोटाले सामने आ रहे हैं. इन योजनाओं के वैधानिक ऑडिट के लिए स्वतंत्र ऑडिटर नियुक्त किया जाना चाहिए. इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की हिमाचल ब्रांच के पूर्व चेयरमैन योगेश वर्मा और वरिष्ठ चार्टड अकाउंटेंट राजेश सक्सेना ने यह बात कही है.

वीडियो रिपोर्ट

उन्होंने बताया कि कल्याणकारी सरकारी योजनाओं के ऑडिट के लिए ऑडिटर चुनने का अधिकार संबंधित विभागों को ही प्राप्त है, जिससे कि भ्रष्टाचार को बल मिल रहा है. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में सरकारी योजनाओं के खर्चे का ऑडिट करने की व्यवस्था ऐसी है कि जिस विभाग, प्राधिकरण, विश्वविद्यालय, कॉलेज, स्कूल इत्यादि को खर्च करने के लिए राशि भेजी जाती है. साथ ही वे जो खर्च करते हैं. उन खर्चों के ऑडिट के लिए ऑडिटर भी वे खुद ही नियुक्त करते हैं.

इसके अलावा ऑडिटर को नियंत्रित कर अपनी इच्छानुसार ऑडिट संबंधी प्रमाण पत्र तैयार कर लेते हैं. इस व्यवस्था से सरकारी स्कीमों में भ्रष्टाचार पनप रहा है. वर्तमान व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि कल्पना कर सकते हैं कि किसी परीक्षार्थी को ही अपने लिए परीक्षक नियुक्त करने का अधिकार दे दिया जाए.

उन्होंने मांग की है कि सरकारी स्कीमों में ऑडिटर नियुक्त करने का अधिकार कैग या इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया को दिया जाना चाहिए. इससे योजनाओं के क्रियान्वयन में किए जाने वाले खर्चों का जहां स्वतंत्र ऑडिट होगा. वहीं, भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगेगी.

वहीं, पूर्व चेयरमैन योगेश ने कहा कि सरकारी स्कीमों में ऑडिटरों की नियुक्ति के लिए सरकार को स्वतंत्र प्राधिकरण गठित करने पर भी विचार करना चाहिए. उन्होंने आशंका जताई कि अगर ऑडिटर नियुक्ति की मौजूदा व्यवस्था जारी रही तो सरकारी विभागों व प्राधिकरणों के प्रबंधकों और चयनित ऑडिटर के बीच सांठगांठ हो सकती है. जब तक राशि व्यय करने वाले विभागों के पास ऑडिटरों की नियुक्ति का अधिकार रहेगा, तब तक निष्पक्ष ऑडिट की उम्मीद नहीं लगाई जा सकती है.

ये भी पढ़ेंः चार्ली पैंग के दो 'जासूस' पूछताछ के लिए तलब, दलाई लामा की कर रहे थे मुखबिरी

Last Updated : Aug 25, 2020, 7:45 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.