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कॉलेजों के पास HPU से स्थायी मान्यता के लिए बजट नहीं, शिक्षा विभाग सरकार से लगाएगा गुहार

कॉलेजों के पास हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की ओर से परमानेंट एफिलेशन नहीं मिलती है तब तक नैक की टीम इन संस्थानों का निरीक्षण कर उन्हें मान्यता नहीं देती है. शिक्षा विभाग सभी जिलों से उन कॉलेजों की रिपोर्ट मंगाई है जिनके पास एचपीयू से एफफिलेशन नहीं हैं. इस रिपोर्ट को सरकार के समक्ष रखकर बजट जारी करने की मांग करेगा.

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Published : May 2, 2019, 12:04 AM IST

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय.

शिमला: प्रदेश में सभी कॉलेजों को राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत मिलने वाली ग्रांट का लाभ मिल सके इसके लिए शिक्षा विभाग प्रयास करने का दावा कर रही है. लेकिन प्रदेश के 5 कॉलेजों के पास हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला की स्थायी मान्यता नहीं हैं. ऐसे में इन कॉलेजों को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद(नैक) से मान्यता नहीं मिल सकती है.

प्रदेश में जिन कॉलेजों के पास एचपीयू से मान्यता के लिए बजट नहीं है. वे कॉलेज शिक्षा विभाग से बजट मुहैया करवाने की अपील कर रहे हैं. प्रदेश के 5 नए कॉलेज भी इस सूची में शामिल हैं जिन्होंने बजट की कमी के चलते एचपीयू से एफिलेशन लेने में असमर्थता जताई है.

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अब शिक्षा विभाग भी ऐसे कॉलेजों के लिए विकल्प तलाशने में जुट गया है कि किस तरह से इन कॉलेजों को एचपीयू से एफिलेशन लेने के लिए बजट मुहैया करवाया जाए. एक कॉलेज की परमानेंट एफिलेशन के लिए लाखों के बजट की आवश्यकता विभाग को है.

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शिक्षा विभाग का कहना है कि सरकार ने पहले भी एचपीयू को पत्र जारी कर यह निर्देश दिए थे कि जो ग्रांट एचपीयू को सरकार की ओर से मिल रही है उसी में प्रदेश के कॉलेजों को एफिलेशन दे. लेकिन एचपीयू ने अपनी वित्तीय तंगहाली का हवाला दे कर जारी होने वाले बजट में ही कॉलेजों को एफिलेशन देने में असमर्थता जाहिर की थी. यही वजह है कि अभी तक कॉलेजों को एफिलेशन नहीं मिल पाई है.

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शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ.अमरजीत शर्मा का कहना है कि प्रदेश के नए कॉलेजों के पास एचपीयू से एफिलेशन लेने के लिए बजट ही नहीं है. विभाग ने फैसला लिया है कि इस मुद्दे को एक बार फिर सरकार के समक्ष उठाया जाएगा. अभी सभी जिलों से उन कॉलेजों की रिपोर्ट मांगी गई है जिनके पास एचपीयू से एफफिलेशन नहीं हैं. इस रिपोर्ट को सरकार के समक्ष रखेगा ओर सरकार से बजट जारी करने या फिर मामले को एचपीयू के समक्ष रखने की बात की जाएगी.

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आपको बता दें कि रूसा की ग्रांट के लिए एमएचआरडी की ओर से कॉलेजों को नैक की मान्यता लेना अनिवार्य किया गया है. लेकिन जब तक कॉलेजों के पास हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की ओर से परमानेंट एफिलेशन नहीं मिलती है तब तक नैक की टीम इन संस्थानों का निरीक्षण कर उन्हें मान्यता नहीं देती है. कॉलेजों के पास एचपीयू को एफिलेशन नहीं होने के कारण उन्हें रूसा के तहत मिलने वाली डेवलपमेंट ग्रांट भी नहीं मिल रही है.

शिमला: प्रदेश में सभी कॉलेजों को राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत मिलने वाली ग्रांट का लाभ मिल सके इसके लिए शिक्षा विभाग प्रयास करने का दावा कर रही है. लेकिन प्रदेश के 5 कॉलेजों के पास हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला की स्थायी मान्यता नहीं हैं. ऐसे में इन कॉलेजों को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद(नैक) से मान्यता नहीं मिल सकती है.

प्रदेश में जिन कॉलेजों के पास एचपीयू से मान्यता के लिए बजट नहीं है. वे कॉलेज शिक्षा विभाग से बजट मुहैया करवाने की अपील कर रहे हैं. प्रदेश के 5 नए कॉलेज भी इस सूची में शामिल हैं जिन्होंने बजट की कमी के चलते एचपीयू से एफिलेशन लेने में असमर्थता जताई है.

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अब शिक्षा विभाग भी ऐसे कॉलेजों के लिए विकल्प तलाशने में जुट गया है कि किस तरह से इन कॉलेजों को एचपीयू से एफिलेशन लेने के लिए बजट मुहैया करवाया जाए. एक कॉलेज की परमानेंट एफिलेशन के लिए लाखों के बजट की आवश्यकता विभाग को है.

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शिक्षा विभाग का कहना है कि सरकार ने पहले भी एचपीयू को पत्र जारी कर यह निर्देश दिए थे कि जो ग्रांट एचपीयू को सरकार की ओर से मिल रही है उसी में प्रदेश के कॉलेजों को एफिलेशन दे. लेकिन एचपीयू ने अपनी वित्तीय तंगहाली का हवाला दे कर जारी होने वाले बजट में ही कॉलेजों को एफिलेशन देने में असमर्थता जाहिर की थी. यही वजह है कि अभी तक कॉलेजों को एफिलेशन नहीं मिल पाई है.

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शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ.अमरजीत शर्मा का कहना है कि प्रदेश के नए कॉलेजों के पास एचपीयू से एफिलेशन लेने के लिए बजट ही नहीं है. विभाग ने फैसला लिया है कि इस मुद्दे को एक बार फिर सरकार के समक्ष उठाया जाएगा. अभी सभी जिलों से उन कॉलेजों की रिपोर्ट मांगी गई है जिनके पास एचपीयू से एफफिलेशन नहीं हैं. इस रिपोर्ट को सरकार के समक्ष रखेगा ओर सरकार से बजट जारी करने या फिर मामले को एचपीयू के समक्ष रखने की बात की जाएगी.

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आपको बता दें कि रूसा की ग्रांट के लिए एमएचआरडी की ओर से कॉलेजों को नैक की मान्यता लेना अनिवार्य किया गया है. लेकिन जब तक कॉलेजों के पास हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की ओर से परमानेंट एफिलेशन नहीं मिलती है तब तक नैक की टीम इन संस्थानों का निरीक्षण कर उन्हें मान्यता नहीं देती है. कॉलेजों के पास एचपीयू को एफिलेशन नहीं होने के कारण उन्हें रूसा के तहत मिलने वाली डेवलपमेंट ग्रांट भी नहीं मिल रही है.

Intro:प्रदेश में सभी कॉलेजों को राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत मिलने वाली ग्रांट का लाभ मिल सके इसके लिए शिक्षा विभाग प्रयास कर रहा है। रूसा की ग्रांट के लिए एमएचआरडी की ओर से कॉलेजों को नैक की मान्यता लेना अनिवार्य किया गया है लेकिन जब तक कॉलेजों के पास हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की ओर से परमानेंट एफिलेशन नहीं मिलती है तब तक नैक की टीम इन संस्थानों का निरीक्षण कर उन्हें मान्यता नहीं देती है। ऐसे में प्रदेश के कई कॉलेज इस तरह के है जिनके पास एचपीयू से एफिलेशन ही नहीं है। कॉलेजों के पास एचपीयू को एफिलेशन फ़ीस देने के बजट ही नहीं है और यही वजह है कि यह कॉलेज रूसा के तहत मिलने वाली डेवलपमेंट ग्रांट भी प्राप्त नहीं कर पा रहे है।


Body:प्रदेश में जिन कॉलेजों के पास एफिलेशन लेने के लिए बजट नहीं है यह कॉलेज शिक्षा विभाग से बजट मुहैया करवाने की अपील कर रहे है। प्रदेश के 5 नए कॉलेज भी इस सूची में शामिल है जिन्होंने बजट की कमी के चलते एचपीयू से एफिलेशन लेने में असमर्थता जताई है। अब शिक्षा विभाग भी ऐसे कॉलेजों के लिए विकल्प तलाशने में जुट गया है कि किस तरह से इन कॉलेजों को एचपीयू से एफिलेशन लेने के लिए बजट मुहैया करवाया जाए। एक कॉलेज की परमानेंट एफिलेशन के लिए लाखों के बजट की आवश्यकता विभाग को है। हालांकि शिक्षा विभाग तो यहां तक भी कह रहा है कि सरकार ने पहले भी एचपीयू को पत्र जारी कर यह निर्देश दिए थे कि जो ग्रांट एचपीयू को सरकार की ओर से मिल रही है उसी में प्रदेश के कॉलेजों की एफिलेशन फीस को भी शामिल किया जाए यानी एचपीयू उसी ग्रांट से कॉलेजों को एफिलेशन दे लेकिन एचपीयू ने अपनी वितीय तंगहाली का हवाला दे कर जारी होने वाले बजट में ही कॉलेजों को एफिलेशन देने में असमर्थता जाहिर की थी। यही वजह है कि अभी तक कॉलेजों को एफिलेशन नहीं मिल पाई है।


Conclusion:अब जब कॉलेजों ने इस मसले को शिक्षा विभाग के समक्ष उठाया है तो शिक्षा विभाग भी मामले को एक ओर बार सरकार के समक्ष उठाने जा रही है। शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ.अमरजीत शर्मा का कहना है कि प्रदेश के नए कॉलेजों के पास एचपीयू से एफिलेशन लेने के लिए बजट ही नहीं है। एचपीयू को जो बजट सरकार की ओर से दिया जा रहा है उसी में ही कॉलेजों की एफिलेशन की फ़ीस को एडजस्ट करने के निर्देश एचपीयू को सरकार की ओर से दिए गए थे लेकिन वह भी नहीं हो पा रहा है।विभाग का प्रयास है कि रूसा के तहत मिलने वाली डेवलपमेंट ग्रांट को हर एक कॉलेज की मुहैया करवाया जाए लेकिन यह तभी संभव है जब कॉलेजों के पास एचपीयू से एफिलेशन हो ऐसे में विभाग ने फैसला किया है कि कॉलेजों की एफिलेशन के मुद्दे को एक ओर बार सरकार के समक्ष उठाया जाएगा। अभी सभी जिलों से उन कॉलेजों की रिपोर्ट मांगी गई है जिनके पास एचपीयू से एफफिलेशन अभी तक नहीं है यह रिपोर्ट आने के बाद विभाग इस रिपोर्ट को सरकार के समक्ष रखेगा ओर सरकार से बजट जारी करने या फिर मामले को एचपीयू के समक्ष रखने की बात की जाएगी ताकि कॉलेजों को एफिलेशन दिलवा कर उन्हें रूसा की ग्रांट जारी करवाई जा सके।
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