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सत्ता का सेमी फाइनल: जयराम की होगी जय या हाथ को मिलेगा जनता का साथ, कितनी चलेगी चेतन की 'चाल' - Pratibha Singh

हिमाचल में एक लोकसभा और तीन विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे मंगलवार को घोषित होंगे. यह परिणाम सत्ता का सेमी फाइनल माना जा रहा है. कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही सियासी पार्टियां चारों सीटें जीतने का दावा करती नजर आ रही हैं. इस उपचुनाव में सीएम जयराम ठाकुर की प्रतिष्ठा दांव पर है. यह परिणाम मुख्यमंत्री के राजनीतिक भविष्य को भी दिशा देगा.

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Published : Nov 1, 2021, 8:00 PM IST

शिमला: अगले साल चुनावी वर्ष में प्रवेश कर रहे हिमाचल भाजपा के लिए मंगलवार का दिन परीक्षा का दिन है. मंडी लोकसभा सीट सहित तीन विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव का परिणाम मंगलवार 11 बजे तक जीत हार के संकेत दे देगा. यह परिणाम सत्ता के सेमी फाइनल का परिणाम होंगे. क्या मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और उनकी टीम की जय होगी. या फिर कांग्रेस के हाथ को जनता का साथ मिलेगा, इसकी तस्वीर कल साफ हो जाएगी. यह परिणाम मुख्यमंत्री के राजनीतिक भविष्य को भी दिशा देगा.

भाजपा ने तमाम स्थितियों का आकलन करने के बाद अपना अधिकांश जोर मंडी लोकसभा क्षेत्र पर लगाया है. यहां ना केवल भाजपा बल्कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की प्रतिष्ठा भी दांव पर है. भाजपा के लिहाज से यह उपचुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हिमाचल से हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की युवा पसंद अनुराग ठाकुर भी हिमाचल से संबंध रखते हैं. खुद नरेंद्र मोदी का भावनात्मक लगाव मंडी सीट से है. दिवंगत सांसद राम स्वरूप खुद को पीएम मोदी का सबसे करीबी मानते थे.

पीएम मोदी रामस्वरूप के चुनाव प्रचार के लिए मंडी आए थे. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंडी जिले से और भाजपा ने मंडी की सभी सीटें अपनी झोली में डाली. ऐसे में मंडी सीट पर ना केवल पार्टी बल्कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की साख भी दांव पर है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मंडी सीट पर चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी अपने विश्वस्त नेता महेंद्र सिंह ठाकुर के हाथों रखी. महेंद्र सिंह ठाकुर के नाम एक रिकॉर्ड कि जिस भी चुनाव का प्रबंधन उन्होंने अपने हाथ में लिया भाजपा ने वह बाइ इलेक्शन जीता है.

यह बात अलग है कि सत्ता में रहने के बावजूद इस बार मंडी सीट पर भाजपा को कड़ी चुनौती मिली है. कांग्रेस के पक्ष में सहानुभूति लहर तो है ही, विक्रमादित्य ने भी काफी मेहनत की है. अगर कांग्रेस के चुनाव प्रचार से ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर और कारगिल युद्ध पर की गई टिप्पणियों को अलग कर दिया जाए तो कांग्रेस ने भाजपा को नाकों चने चबवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. भाजपा की मजबूती पर नजर डालें तो सत्ता का साथ, अपनी मंडी का इमोशनल कार्ड मुख्यमंत्री का मंडी से होना मंडी की अस्मिता, खुशाल ठाकुर की लोकप्रियता, सेना के प्रति आम जनता का सम्मान, कारगिल हीरो की छवि सहित अनेक फैक्टर हैं.

भाजपा को महंगाई और पैट्रो पदार्थों के बढ़ते दामों ने चिंता में डाला है. एंटी इनकंबेंसी का फैक्टर भी प्रभावी रहा है. मंडी से अलग अर्की की बात की जाए तो यह सीट कांग्रेस के पास थी और फतेहपुर भी कांग्रेस की झोली में थी. अर्की से वीरभद्र सिंह और फतेहपुर से सुजान सिंह पठानिया जीत कर आए थे. अर्की में कांग्रेस की स्थिति भी खास मजबूत नहीं है. कारण यह है कि किचन कैबिनेट प्रत्याशी की छवि संजय अवस्थी की मानी जाती है.

वहीं, भाजपा में पंडित गोविंद राम की नाराजगी का फैक्टर है. ऐसे में गुटबाजी से जूझ रहे दोनों दलों के चांस फिफ्टी-फिफ्टी हैं. जुब्बल-कोटखाई में भाजपा को चेतन बरागटा फैक्टर जबरदस्त नुकसान पहुंचा रहा है. फतेहपुर में कांग्रेस के पक्ष में सहानुभूति फैक्टर है. प्रदेश भाजपा की कमान सुरेश कश्यप के पास है उनकी अगुवाई में यह पहली बड़ी परीक्षा है यदि उपचुनाव का परिणाम उलटफेर वाला आता है तो मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप के पास एंटी इनकंबेंसी टिकट वितरण जैसे सजे सजाए बहाने हैं.

ये भी पढ़ें: मंडी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 नवंबर को करेंगे बाबा भूतनाथ के वर्चुअली दर्शन

जीतने की स्थिति में सरकार का कामकाज मुख्यमंत्री की छवि, संगठन की मजबूती, प्रचार में सक्रियता जैसे तर्क खुद व खुद उभर आएंगे. साथ ही, यह तर्क भी दिया जाएगा कि जनता ने सरकार के चार साल के कार्यकाल पर मुहर लगाई है. वैसे हिमाचल भाजपा को उलटफेर की स्थिति में अपने बचाव में तर्क देने से पहले हाईकमान की नाराजगी भी झेलनी पड़ सकती है.

हिमाचल के चुनाव कई मायनों में अलग होते हैं. यहां विधानसभा चुनावों में लोकल फैक्टर काम करते हैं. भाजपा को संगठन में अपने ही लोगों की नाराजगी भी झेलनी पड़ रही है. निष्ठावान कार्यकर्ता अंदरखाते अपनी उपेक्षा से नाराज हैं. वैसे जुब्बल-कोटखाई में चेतन बरागटा जीतते हैं तो बीच का रास्ता निकालकर उनकी पार्टी में वापसी भी हो सकती है. चेतन ने चुनाव से पहले ही संकेत दिए हैं कि उनकी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कैबिनेट मंत्री सुरेश भारद्वाज, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से कोई नाराजगी नहीं है.

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वहीं, अर्की में राजीव बिंदल की राजनीतिक कुशलता और चुनावी प्रबंधन को भी कम नहीं आंका जा सकता. जुब्बल-कोटखाई में रोहित ठाकुर कांग्रेस के मजबूत प्रत्याशी हैं. यदि भाजपा के कार्यकर्ता और नेता जनता के मन में यह बात बिठाने में सफल रहे होंगे कि अब विधानसभा चुनावों को समय ही कितना बाकी बचा है और ऐसे में जनता को सत्ता के साथ चलना चाहिए तो कांग्रेस की राह मुश्किल होगी. अगर कांग्रेस जनता की नाराजगी और एंटी इनकंबेंसी को भुना लेती है तो भाजपा के लिए सेमीफाइनल कठिन हो जाएगा.

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप राठौर ने उपचुनाव में चारों सीटों पर जीत का दावा किया है. कुलदीप राठौर ने कहा कि कांग्रेस भारी बहुमत से जीत दर्ज करेगी. चुनाव प्रचार के दौरान लोगों का काफी समर्थन कांग्रेस को मिला है. बीजेपी अपनी हार देखकर बौखला गई है. राठौर ने आरोप लगाते हुए कहा कि सीएम ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए अब इन चुनावों को प्रभावित करने की पूरी कोशिश की है. कई जगहों पर शराब बांटी गई और अधिकारियों को धमकाया गया है. सरकार के एक मंत्री द्वारा खुलेआम ठेकेदारों को धमकाया गया है. कुलदीप राठौर ने कहा कि इस तरह की हरकतों से बीजेपी चुनाव जीतने वाली नहीं है.

वहीं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप उपचुनावों में सभी सीटों पर भाजपा की जीत का दावा कर रहे हैं. उनका कहना है कि मतदान से पहले ही कांग्रेस हार मान चुकी है. उन्होंने कहा कि जयराम ठाकुर कर्मचारियों की हितैषी सरकार है. कर्मचारी प्रदेश की विकास की रीढ़ की हड्डी साबित हुए हैं. इसलिए भाजपा कर्मचारी हितों और कर्मचारियों की समस्याओं के प्रति हमेशा सकारात्मक रुख अपनाकर कार्य करती है. सुरेश कश्यप ने कहा कि भाजपा कर्मचारियों की पुरानी मांगें पूरा करने के लिए सदैव सजग रहती है. इसका फायदा चुनाव परिणाम में देखने को मिलेंगे.

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शिमला: अगले साल चुनावी वर्ष में प्रवेश कर रहे हिमाचल भाजपा के लिए मंगलवार का दिन परीक्षा का दिन है. मंडी लोकसभा सीट सहित तीन विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव का परिणाम मंगलवार 11 बजे तक जीत हार के संकेत दे देगा. यह परिणाम सत्ता के सेमी फाइनल का परिणाम होंगे. क्या मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और उनकी टीम की जय होगी. या फिर कांग्रेस के हाथ को जनता का साथ मिलेगा, इसकी तस्वीर कल साफ हो जाएगी. यह परिणाम मुख्यमंत्री के राजनीतिक भविष्य को भी दिशा देगा.

भाजपा ने तमाम स्थितियों का आकलन करने के बाद अपना अधिकांश जोर मंडी लोकसभा क्षेत्र पर लगाया है. यहां ना केवल भाजपा बल्कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की प्रतिष्ठा भी दांव पर है. भाजपा के लिहाज से यह उपचुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा हिमाचल से हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की युवा पसंद अनुराग ठाकुर भी हिमाचल से संबंध रखते हैं. खुद नरेंद्र मोदी का भावनात्मक लगाव मंडी सीट से है. दिवंगत सांसद राम स्वरूप खुद को पीएम मोदी का सबसे करीबी मानते थे.

पीएम मोदी रामस्वरूप के चुनाव प्रचार के लिए मंडी आए थे. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंडी जिले से और भाजपा ने मंडी की सभी सीटें अपनी झोली में डाली. ऐसे में मंडी सीट पर ना केवल पार्टी बल्कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की साख भी दांव पर है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मंडी सीट पर चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी अपने विश्वस्त नेता महेंद्र सिंह ठाकुर के हाथों रखी. महेंद्र सिंह ठाकुर के नाम एक रिकॉर्ड कि जिस भी चुनाव का प्रबंधन उन्होंने अपने हाथ में लिया भाजपा ने वह बाइ इलेक्शन जीता है.

यह बात अलग है कि सत्ता में रहने के बावजूद इस बार मंडी सीट पर भाजपा को कड़ी चुनौती मिली है. कांग्रेस के पक्ष में सहानुभूति लहर तो है ही, विक्रमादित्य ने भी काफी मेहनत की है. अगर कांग्रेस के चुनाव प्रचार से ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर और कारगिल युद्ध पर की गई टिप्पणियों को अलग कर दिया जाए तो कांग्रेस ने भाजपा को नाकों चने चबवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. भाजपा की मजबूती पर नजर डालें तो सत्ता का साथ, अपनी मंडी का इमोशनल कार्ड मुख्यमंत्री का मंडी से होना मंडी की अस्मिता, खुशाल ठाकुर की लोकप्रियता, सेना के प्रति आम जनता का सम्मान, कारगिल हीरो की छवि सहित अनेक फैक्टर हैं.

भाजपा को महंगाई और पैट्रो पदार्थों के बढ़ते दामों ने चिंता में डाला है. एंटी इनकंबेंसी का फैक्टर भी प्रभावी रहा है. मंडी से अलग अर्की की बात की जाए तो यह सीट कांग्रेस के पास थी और फतेहपुर भी कांग्रेस की झोली में थी. अर्की से वीरभद्र सिंह और फतेहपुर से सुजान सिंह पठानिया जीत कर आए थे. अर्की में कांग्रेस की स्थिति भी खास मजबूत नहीं है. कारण यह है कि किचन कैबिनेट प्रत्याशी की छवि संजय अवस्थी की मानी जाती है.

वहीं, भाजपा में पंडित गोविंद राम की नाराजगी का फैक्टर है. ऐसे में गुटबाजी से जूझ रहे दोनों दलों के चांस फिफ्टी-फिफ्टी हैं. जुब्बल-कोटखाई में भाजपा को चेतन बरागटा फैक्टर जबरदस्त नुकसान पहुंचा रहा है. फतेहपुर में कांग्रेस के पक्ष में सहानुभूति फैक्टर है. प्रदेश भाजपा की कमान सुरेश कश्यप के पास है उनकी अगुवाई में यह पहली बड़ी परीक्षा है यदि उपचुनाव का परिणाम उलटफेर वाला आता है तो मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप के पास एंटी इनकंबेंसी टिकट वितरण जैसे सजे सजाए बहाने हैं.

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जीतने की स्थिति में सरकार का कामकाज मुख्यमंत्री की छवि, संगठन की मजबूती, प्रचार में सक्रियता जैसे तर्क खुद व खुद उभर आएंगे. साथ ही, यह तर्क भी दिया जाएगा कि जनता ने सरकार के चार साल के कार्यकाल पर मुहर लगाई है. वैसे हिमाचल भाजपा को उलटफेर की स्थिति में अपने बचाव में तर्क देने से पहले हाईकमान की नाराजगी भी झेलनी पड़ सकती है.

हिमाचल के चुनाव कई मायनों में अलग होते हैं. यहां विधानसभा चुनावों में लोकल फैक्टर काम करते हैं. भाजपा को संगठन में अपने ही लोगों की नाराजगी भी झेलनी पड़ रही है. निष्ठावान कार्यकर्ता अंदरखाते अपनी उपेक्षा से नाराज हैं. वैसे जुब्बल-कोटखाई में चेतन बरागटा जीतते हैं तो बीच का रास्ता निकालकर उनकी पार्टी में वापसी भी हो सकती है. चेतन ने चुनाव से पहले ही संकेत दिए हैं कि उनकी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर कैबिनेट मंत्री सुरेश भारद्वाज, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से कोई नाराजगी नहीं है.

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वहीं, अर्की में राजीव बिंदल की राजनीतिक कुशलता और चुनावी प्रबंधन को भी कम नहीं आंका जा सकता. जुब्बल-कोटखाई में रोहित ठाकुर कांग्रेस के मजबूत प्रत्याशी हैं. यदि भाजपा के कार्यकर्ता और नेता जनता के मन में यह बात बिठाने में सफल रहे होंगे कि अब विधानसभा चुनावों को समय ही कितना बाकी बचा है और ऐसे में जनता को सत्ता के साथ चलना चाहिए तो कांग्रेस की राह मुश्किल होगी. अगर कांग्रेस जनता की नाराजगी और एंटी इनकंबेंसी को भुना लेती है तो भाजपा के लिए सेमीफाइनल कठिन हो जाएगा.

हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप राठौर ने उपचुनाव में चारों सीटों पर जीत का दावा किया है. कुलदीप राठौर ने कहा कि कांग्रेस भारी बहुमत से जीत दर्ज करेगी. चुनाव प्रचार के दौरान लोगों का काफी समर्थन कांग्रेस को मिला है. बीजेपी अपनी हार देखकर बौखला गई है. राठौर ने आरोप लगाते हुए कहा कि सीएम ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए अब इन चुनावों को प्रभावित करने की पूरी कोशिश की है. कई जगहों पर शराब बांटी गई और अधिकारियों को धमकाया गया है. सरकार के एक मंत्री द्वारा खुलेआम ठेकेदारों को धमकाया गया है. कुलदीप राठौर ने कहा कि इस तरह की हरकतों से बीजेपी चुनाव जीतने वाली नहीं है.

वहीं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप उपचुनावों में सभी सीटों पर भाजपा की जीत का दावा कर रहे हैं. उनका कहना है कि मतदान से पहले ही कांग्रेस हार मान चुकी है. उन्होंने कहा कि जयराम ठाकुर कर्मचारियों की हितैषी सरकार है. कर्मचारी प्रदेश की विकास की रीढ़ की हड्डी साबित हुए हैं. इसलिए भाजपा कर्मचारी हितों और कर्मचारियों की समस्याओं के प्रति हमेशा सकारात्मक रुख अपनाकर कार्य करती है. सुरेश कश्यप ने कहा कि भाजपा कर्मचारियों की पुरानी मांगें पूरा करने के लिए सदैव सजग रहती है. इसका फायदा चुनाव परिणाम में देखने को मिलेंगे.

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