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कैग रिपोर्ट में खुलासा: पवन हंस को पहुंचाया अनुचित लाभ, फिजूल लुटाए 18.39 करोड़

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Published : Aug 13, 2021, 7:14 PM IST

हिमाचल में हेलीकॉप्टर सेवा देने वाली पवन हंस लिमिटेड को करोड़ों का अनुचित लाभ पहुंचाया गया. कैग रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में बताया गया है कि पवन हंस कंपनी का सुरक्षा संबंधी रिकॉर्ड खराब होने के बावजूद सरकार ने उस पर कई मेहरबानियां की.

कैग रिपोर्ट में खुलासा
कैग रिपोर्ट में खुलासा

शिमला: हिमाचल में हेलीकॉप्टर सेवा देने वाली पवन हंस लिमिटेड को करोड़ों का अनुचित लाभ पहुंचाया गया. कैग रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. मानसून सत्र के अंतिम दिन विधानसभा के पटल पर रखी गई कैग रिपोर्ट में यह पता चला है कि राज्य सरकार ने पवन हंस कंपनी को कई तरह के अनुचित लाभ दिए. 18.39 करोड़ खर्च ऐसा हुआ, जिसे बचाया जा सकता था. यही नहीं अनुबंध की अवधि खत्म करने के बजाय सालाना आधार पर फ्लाइंग अवर्ज का समायोजन करने से 6.97 करोड़ रुपए फिजूल खर्च किए गए. सरकार चाहती तो 25 करोड़ से अधिक की रकम बचा सकती थी.

रिपोर्ट में बताया गया है कि पवन हंस कंपनी का सुरक्षा संबंधी रिकॉर्ड खराब होने के बावजूद सरकार ने उस पर कई मेहरबानियां की. उदाहरण के तौर पर पवन हंस कंपनी को अनुचित सेवा विस्तार दिया. साथ ही मनमाने तरीके से 10 प्रतिशत सालाना किराए में वृद्धि की गई. इस तरह 18.39 करोड़ का फिजुल खर्च हुआ. जिसे बचाया सकता था. यही नहीं अन्य बोली दाताओं को दौड़ से बाहर करने के लिए कुछ ऐसी शर्तें शामिल की गई, जिससे पवन हंस कंपनी को लाभ हुआ.

कैग रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि शिक्षा विभाग में छात्रों को प्रदान करने के मामले में भी प्रक्रियाओं को सरल करने के बजाए जटिल किया गया. विद्यार्थियों को दी जाने वाली वर्दी के कपड़े के परीक्षण पर ही फिजूल में ही 1.62 करोड़ रुपये खर्च किये गए. किस तरह परीक्षण करने वाले प्रयोगशाला को करोड़ों का अनुचित लाभ दिया गया. इस प्रक्रिया में वित्तीय नियमों का भी उल्लंघन किया गया.

साथ ही जांच का काम एक ही प्रयोगशाला को सौंपा गया. इसके अलावा शिक्षा विभाग में निगरानी की कमी के कारण कर्मचारियों के आवास में सुविधाएं नहीं दी गई. 49 महीने तक यह सारा काम न होने से 2.27 करोड़ का खर्च फिजूल में हुआ. रिपोर्ट में उद्योग विभाग में ही ग्रांट इन एड का सदुपयोग नहीं किया गया. इससे 1.29 करोड़ का नुकसान हुआ.

कामगार कल्याण बोर्ड के माध्यम से कौशल विकास केंद्र की स्थापना पर खर्च की गई. 24.15 करोड़ की रकम पर भी सवाल उठाए गए हैं. इतना खर्च करने के बावजूद कौशल विकास केंद्र संस्थान का उपयोग नहीं किया गया. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में प्रशासन ने बैंक खातों का रोजाना मिलान नहीं किया. इससे 1.13 करोड रुपए का गबन सामने आया पॉलिटेक्निक भवन का निर्माण को लेकर प्रक्रियाओं का पालन किए बिना देरी की गई. जिससे करीब-करीब एक करोड़ रुपए का खर्च फिजूल गया और सात करोड़ के फंड में बाधा आई.

पॉलिटेक्निक भवन का 9 साल से अधिक समय तक निर्माण ही नहीं हुआ. हिमाचल प्रदेश बिवरेजिज लिमिटेड में लाइसेंस धारियों द्वारा जमा की गई राशि के मिलान के लिए कोई मैकेनिज्म नहीं था. जिस कारण 9.69 करोड़ की वसूली नहीं हो पाई. वहीं, एचआरटीसी में तेल कंपनियों द्वारा दी जा रही वास्तविक छूट की निगरानी में मैनेजमेंट की लापरवाही के कारण 1.39 का अतिरिक खर्च हुआ.

ये भी पढ़ें:जय हिंद! 12,270 फीट पर छात्रों ने एकजुट होकर गाया राष्ट्रगान, आप भी सुनें

शिमला: हिमाचल में हेलीकॉप्टर सेवा देने वाली पवन हंस लिमिटेड को करोड़ों का अनुचित लाभ पहुंचाया गया. कैग रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. मानसून सत्र के अंतिम दिन विधानसभा के पटल पर रखी गई कैग रिपोर्ट में यह पता चला है कि राज्य सरकार ने पवन हंस कंपनी को कई तरह के अनुचित लाभ दिए. 18.39 करोड़ खर्च ऐसा हुआ, जिसे बचाया जा सकता था. यही नहीं अनुबंध की अवधि खत्म करने के बजाय सालाना आधार पर फ्लाइंग अवर्ज का समायोजन करने से 6.97 करोड़ रुपए फिजूल खर्च किए गए. सरकार चाहती तो 25 करोड़ से अधिक की रकम बचा सकती थी.

रिपोर्ट में बताया गया है कि पवन हंस कंपनी का सुरक्षा संबंधी रिकॉर्ड खराब होने के बावजूद सरकार ने उस पर कई मेहरबानियां की. उदाहरण के तौर पर पवन हंस कंपनी को अनुचित सेवा विस्तार दिया. साथ ही मनमाने तरीके से 10 प्रतिशत सालाना किराए में वृद्धि की गई. इस तरह 18.39 करोड़ का फिजुल खर्च हुआ. जिसे बचाया सकता था. यही नहीं अन्य बोली दाताओं को दौड़ से बाहर करने के लिए कुछ ऐसी शर्तें शामिल की गई, जिससे पवन हंस कंपनी को लाभ हुआ.

कैग रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि शिक्षा विभाग में छात्रों को प्रदान करने के मामले में भी प्रक्रियाओं को सरल करने के बजाए जटिल किया गया. विद्यार्थियों को दी जाने वाली वर्दी के कपड़े के परीक्षण पर ही फिजूल में ही 1.62 करोड़ रुपये खर्च किये गए. किस तरह परीक्षण करने वाले प्रयोगशाला को करोड़ों का अनुचित लाभ दिया गया. इस प्रक्रिया में वित्तीय नियमों का भी उल्लंघन किया गया.

साथ ही जांच का काम एक ही प्रयोगशाला को सौंपा गया. इसके अलावा शिक्षा विभाग में निगरानी की कमी के कारण कर्मचारियों के आवास में सुविधाएं नहीं दी गई. 49 महीने तक यह सारा काम न होने से 2.27 करोड़ का खर्च फिजूल में हुआ. रिपोर्ट में उद्योग विभाग में ही ग्रांट इन एड का सदुपयोग नहीं किया गया. इससे 1.29 करोड़ का नुकसान हुआ.

कामगार कल्याण बोर्ड के माध्यम से कौशल विकास केंद्र की स्थापना पर खर्च की गई. 24.15 करोड़ की रकम पर भी सवाल उठाए गए हैं. इतना खर्च करने के बावजूद कौशल विकास केंद्र संस्थान का उपयोग नहीं किया गया. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में प्रशासन ने बैंक खातों का रोजाना मिलान नहीं किया. इससे 1.13 करोड रुपए का गबन सामने आया पॉलिटेक्निक भवन का निर्माण को लेकर प्रक्रियाओं का पालन किए बिना देरी की गई. जिससे करीब-करीब एक करोड़ रुपए का खर्च फिजूल गया और सात करोड़ के फंड में बाधा आई.

पॉलिटेक्निक भवन का 9 साल से अधिक समय तक निर्माण ही नहीं हुआ. हिमाचल प्रदेश बिवरेजिज लिमिटेड में लाइसेंस धारियों द्वारा जमा की गई राशि के मिलान के लिए कोई मैकेनिज्म नहीं था. जिस कारण 9.69 करोड़ की वसूली नहीं हो पाई. वहीं, एचआरटीसी में तेल कंपनियों द्वारा दी जा रही वास्तविक छूट की निगरानी में मैनेजमेंट की लापरवाही के कारण 1.39 का अतिरिक खर्च हुआ.

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