शिमला: विधानसभा के मानसून सत्र( monsoon session) के दौरान बुधवार को दिलचस्प नजारा देखने को मिला. अमूमन सत्ता पक्ष की तरफ से कही गई बातों पर विपक्ष शोर-शराबा करता है, लेकिन सत्र के तीसरे दिन उल्टा हुआ. भाजपा के वरिष्ठ विधायक रमेश धवाला(MLA Ramesh Dhwala) अपनी ही सरकार से नाराज दिखाई दिए. धवाला ने नियम-62 के तहत कांगड़ा(Kangra) जिले के कुछ स्टोन क्रशर के बंद होने का मामला उठाया. धवाला भावनाओं में इस कदर बह गए कि जाने-अनजाने अपनी ही सरकार को घेर बैठे.
अपनी बात रखते हुए रमेश धवाला ने जब ये कहा कि अफसरशाही हावी हो जाएगी तो डेमोक्रेसी(democracy) का क्या होगा, तो कांग्रेस के विधायकों ने खूब मेज थपथपाई. यही नहीं, धवाला ने कहा कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ पहले भी थे, आज भी हैं और आगे भी रहेंगे, तब भी कांग्रेस के सदस्यों ने खुश होकर मेज थपथपाई.
दरअसल, रमेश धवाला स्टोन क्रशर(stone crusher) बंद होने के मामले में भावुक हो गए थे. उसके लिए कहीं न कहीं अपनी ही सरकार के उद्योग विभाग की कार्यप्रणाली को दोष दिया. यही नहीं, उन्होंने उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर(Industries Minister Bikram Singh Thakur) को अपना छोटा भाई बताते हुए उन्हें कई नसीहतें दीं. नसीहतें देते हुए मंत्री बिक्रम सिंह की तरफ इशारा कर धवाला ने कहा- 'आई ट्रीट यू लाइक एज माय यंगर ब्रदर'.
नियम-62 के तहत मामला उठाते हुए धवाला ने कहा कि कोरोना काल में रोजगार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. स्टोन क्रशर मालिकों के साथ कई लोगों का रोजगार जुड़ा होता है. एक क्रशर मालिक कम से कम दस लोगों को रोजगार देता है. लोगों ने बैंक से लोन लेकर ट्रक डालें हैं, लेकिन उनके पास किश्तें चुकाने को पैसा नहीं है.
धवाला ने कहा कि प्रदेश में विकास कार्यों में खनन की अहम भूमिका है. सरकार लोगों को विभिन्न आवास योजनाओं के तहत 1.65 लाख रुपए तक मकान बनाने के लिए देती है, लेकिन पचास-साठ हजार का सीमेंट, बजरी ही आता है. वहीं, मनरेगा के काम भी बिना बजरी, रेत के प्रभावित हो रहे हैं. ऐसे में कांगड़ा जिले में कुछ स्टोन क्रशर बंद होने से इससे जुड़े रोजगार वाले हताश हैं.
उद्योग विभाग(industry department) को उनकी समस्या के बारे में सोचना चाहिए. जिन स्टोन क्रशर मालिकों ने क्रशर बंद किए हैं, उनका कहना है कि कोरोना काल होने के कारण उन्हें श्रमिक नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में उन्हें जेसीबी व अन्य मशीनों से खनन की अनुमति दी जाए. क्रशर मालिकों का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(pollution control board) के नियम ऐसे हैं कि उन्हें अपना क्रशर चलाने में परेशानी आ रही है. नियमों में ढील मिलनी चाहिए.
यही नहीं, रमेश धवाला का दर्द छलका तो उन्होंने कहा कि खनन के काम से जुड़े लोगों के पीछे पुलिस व मीडिया वाले भी बुरी तरह से पड़े हैं. यहां तक कि माइनिंग इंस्पेक्टर(mining inspector) भी विधायक से बात करने के लिए राजी नहीं है. उन्होंने एक घटना का जिक्र किया और कहा कि माइनिंग वालों ने उनसे बात करने के लिए मना कर दिया और कहा कि आई डोंट टॉक टू एमएलए. धवाला ने सदन से पुलिस वालों को भी लिबरल एटीट्यूड रखने की नसीहत दी.
धवाला ने कहा कि उनके ही बेटे का ओवरलोड का पांच हजार रुपए का चालान काट दिया. धवाला के तेवरों से उद्योग मंत्री व सत्ता पक्ष भी असहज दिखा. जब उद्योग मंत्री जवाब देने के लिए उठे तो कहा कि वह भी ईमानदार हैं और 23 साल से राजनीति(Politics) में हैं. जब रमेश धवाला अपनी ही सरकार को घेर रहे थे ,तो सत्ता पक्ष की तरफ से कुछ सदस्यों ने चुटकी ली कि इससे कांग्रेस को ही लाभ होगा. तब रमेश धवाला ने कहा कि यह भी अपने ही मित्र हैं और इन्होंने अपने समय में जो किया है वो मुझे सब मालूम है.
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