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BJP ने जुब्बल-कोटखाई मंडल अध्यक्ष की कमान उमेश शर्मा को सौंपी, 15 दिनों में करना होगा ये काम

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Published : Nov 9, 2021, 10:05 PM IST

जुब्बल -कोटखाई में बड़ी हार के बाद भाजपा ने मंडल अध्यक्ष उमेश शर्मा को नियुक्त कर दिया. उन्हें 15 दिनों के भीतर कार्यकारिणी गठित करनी होगी. वहीं, पार्टी ने जिला अध्‍यक्ष और जिला प्रभारी का सहयोग लेने का भी निर्देश दिया.

BJP appointed Umesh Sharma as a president of Jubbal-Kotkhai Mandal
उमेश शर्मा अध्यक्ष तैनात

शिमला: उपचुनावों में एक तरफा हार के बाद भाजपा को खड़ा करने के लिए भाजपा ने जुब्बल -कोटखाई मंडल का अध्‍यक्ष उमेश शर्मा को तैनात किया है. उमेश शर्मा को भाजपा के संगठन मंत्री पवन राणा की पसंद बताया जा रहा है. भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष सुरेश कश्‍यप ने आज उमेश शर्मा की मंडलाध्‍यक्ष के पद पर ताजपोशी कर दी. उन्‍हें पंद्रह दिनों के भीतर अपनी कार्यकारिणी गठित करनी होगी

इसमे जिला अध्‍यक्ष और जिला प्रभारी का सहयोग लेने के भी निर्देश दिए गया है.बता दें कि उमेश शर्मा पूर्व भाजपा विधायक नरेंद्र बरागटा के करीबी थे, लेकिन उपचुनावों से पहले जब बरागटा के पुत्र चेतन बरागटा ने विद्रोह कर दिया तो उमेश शर्मा उन गिने चुने भाजपाइयों में एक थे जिन्‍हानें पार्टी के प्रत्‍याशी के खिलाफ विद्रोह नहीं किया. जुब्‍बल कोटखाई में पूरी भाजपा बागी चेतन बरागटा के साथ चली गई थी. पार्टी के इस फैसले से लग रहा है कि वह चेतन बरागटा व बागी हो चुके भजपाइयों को वापस लेने के मुड़ में नहीं है. अगर ऐसा है तो यह पार्टी के लिए आत्‍मघाती कदम माना जा रहा है.

हालांकि, उमेश शर्मा का कद इतना बड़ा नहीं कि वह जुब्‍बल -कोटखााई जैसे इलाके में नई भााजपा को खड़ा कर सके. जुब्‍बल -कोटखाई में भाजपा बरागटा परिवार की वजह से ही थी और अब भी है, यह उपचुनावों में भी साफ हो गया. यही नहीं उपचुनावों में हारने के बाद भी बरागटा के समर्थकों ने एक बडी बैठक की और बरागटा को भरोसा दिलाया कि वह डटे रहे तमाम लोग उनके साथ हमेशा रहेंगे. इसके अलावा बरागटा परिवार के साथ धूमल परिवार है.

शिमला: उपचुनावों में एक तरफा हार के बाद भाजपा को खड़ा करने के लिए भाजपा ने जुब्बल -कोटखाई मंडल का अध्‍यक्ष उमेश शर्मा को तैनात किया है. उमेश शर्मा को भाजपा के संगठन मंत्री पवन राणा की पसंद बताया जा रहा है. भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष सुरेश कश्‍यप ने आज उमेश शर्मा की मंडलाध्‍यक्ष के पद पर ताजपोशी कर दी. उन्‍हें पंद्रह दिनों के भीतर अपनी कार्यकारिणी गठित करनी होगी

इसमे जिला अध्‍यक्ष और जिला प्रभारी का सहयोग लेने के भी निर्देश दिए गया है.बता दें कि उमेश शर्मा पूर्व भाजपा विधायक नरेंद्र बरागटा के करीबी थे, लेकिन उपचुनावों से पहले जब बरागटा के पुत्र चेतन बरागटा ने विद्रोह कर दिया तो उमेश शर्मा उन गिने चुने भाजपाइयों में एक थे जिन्‍हानें पार्टी के प्रत्‍याशी के खिलाफ विद्रोह नहीं किया. जुब्‍बल कोटखाई में पूरी भाजपा बागी चेतन बरागटा के साथ चली गई थी. पार्टी के इस फैसले से लग रहा है कि वह चेतन बरागटा व बागी हो चुके भजपाइयों को वापस लेने के मुड़ में नहीं है. अगर ऐसा है तो यह पार्टी के लिए आत्‍मघाती कदम माना जा रहा है.

हालांकि, उमेश शर्मा का कद इतना बड़ा नहीं कि वह जुब्‍बल -कोटखााई जैसे इलाके में नई भााजपा को खड़ा कर सके. जुब्‍बल -कोटखाई में भाजपा बरागटा परिवार की वजह से ही थी और अब भी है, यह उपचुनावों में भी साफ हो गया. यही नहीं उपचुनावों में हारने के बाद भी बरागटा के समर्थकों ने एक बडी बैठक की और बरागटा को भरोसा दिलाया कि वह डटे रहे तमाम लोग उनके साथ हमेशा रहेंगे. इसके अलावा बरागटा परिवार के साथ धूमल परिवार है.

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