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न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं, लागत के आधार पर सुनिश्चित किया जाए लाभकारी मूल्य: भारतीय किसान संघ - Bharatiya Kisan Sangh protest in shimla

भारतीय किसान संघ ने उपायुक्त कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया. किसान संघ ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि किसान को उसकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं, लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य दिया जाए. संघ ने चेताया है कि,अगर दस दिन के भीतर सरकार कोई संज्ञान नहीं लेती है तो मजबूरन उन्हें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा.

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Published : Sep 8, 2021, 4:02 PM IST

शिमला: अपनी विभिन्न मांगों को लेकर भारतीय किसान संघ ने जिला स्तर पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया. यह प्रदर्शन कालीबाड़ी मन्दिर से जिलाधीश कार्यालय तक किया गया. प्रदर्शन में जिले के सभी खंडों के महिला और पुरुष कार्यकर्ताओं ने भाग लिया. प्रदर्शन में उपस्थित प्रदेश महामन्त्री सुरेश ठाकुर, प्रचार प्रमुख जय सिंह, प्रदेश युवा प्रमुख अजीत सकलानी, जिलाध्यक्ष केदार ठाकुर, जिला मंत्री भूपेन्द्र राणा, जवाहर शर्मा एवं खंड अध्यक्षों ने जिलाधीश के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा.



प्रदेश महामंत्री सुरेश ठाकुर ने मांग करते हुए कहा कि किसान को उसकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं, लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य दिया जाए. कृषि उत्पादों के मूल्यों को हमेशा नियंत्रित रखा गया है, जिससे स्वतंत्र बाजार व्यवस्था विकसित नहीं हो सकी है. कृषि आदान तो महंगे होते जा रहे हैं, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य पीछे छूट गया है. न्यूनतम समर्थन मूल्य तय होने पर भी मंडियों में किसानों की उपज उससे कम मूल्य में बिकती है.

वीडियो.

केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही है, लेकिन मुख्य विषय जो किसानों में अशांति का कारण बना हुआ है वह किसानों को उनकी उपज का लागत आधारित मूल्य नहीं मिलना है. भारतीय किसान संघ का मत है कि किसान को आदान पूर्तिकर्ता, उसकी उपज का व्यापार करने वाले और उद्योग चलाने वाले, सभी तो फल फूल रहे हैं, सम्पन्न हो रहे हैं. फिर स्वयं किसान क्यों कर्जदार और गरीब से और गरीब होता जा रहा है?

बाजार भाव एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी सेकड़ों रुपये का अंतर है. सुरेश ठाकुर ने कहा कि किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं, लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य देना होगा. एक बार घोषित मूल्य के बाद उसके आदानों में होने वाली महंगाई के भुगतान के समय समायोजन करते हुए, महंगाई के अनुपात में वास्तविक मूल्य चुकाना होगा. घोषित मूल्य पर किसान की उपज बेची जानी चाहिए, फिर चाहे मंडी में, चाहे बाहर और चाहे सरकार खरीदे, लेकिन घोषित मूल्य से कम पर विक्रय को अपराध मानना होगा और यह सब केवल और केवल तब ही संभव है. जब इस बाबत कठोर कानून बने, भारत का किसान अपने राष्ट्रीय दायित्व को भी भली-भांति समझता है.

उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि, किसानों के हित को देखते हुए साकारात्मक कदम उठाया जाए या स्पष्ट किया जाए कि हमारी मांग कैसे अनुचित हैं और अगर दस दिन के भीतर सरकार की ओर से कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई तो भारतीय किसान संघ अगले कदम की ओर बढ़ेगा.

ये भी पढ़ें: ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट का दूसरा ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह, PM मोदी को बुलाने की तैयारी में हिमाचल सरकार

शिमला: अपनी विभिन्न मांगों को लेकर भारतीय किसान संघ ने जिला स्तर पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया. यह प्रदर्शन कालीबाड़ी मन्दिर से जिलाधीश कार्यालय तक किया गया. प्रदर्शन में जिले के सभी खंडों के महिला और पुरुष कार्यकर्ताओं ने भाग लिया. प्रदर्शन में उपस्थित प्रदेश महामन्त्री सुरेश ठाकुर, प्रचार प्रमुख जय सिंह, प्रदेश युवा प्रमुख अजीत सकलानी, जिलाध्यक्ष केदार ठाकुर, जिला मंत्री भूपेन्द्र राणा, जवाहर शर्मा एवं खंड अध्यक्षों ने जिलाधीश के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा.



प्रदेश महामंत्री सुरेश ठाकुर ने मांग करते हुए कहा कि किसान को उसकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं, लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य दिया जाए. कृषि उत्पादों के मूल्यों को हमेशा नियंत्रित रखा गया है, जिससे स्वतंत्र बाजार व्यवस्था विकसित नहीं हो सकी है. कृषि आदान तो महंगे होते जा रहे हैं, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य पीछे छूट गया है. न्यूनतम समर्थन मूल्य तय होने पर भी मंडियों में किसानों की उपज उससे कम मूल्य में बिकती है.

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केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही है, लेकिन मुख्य विषय जो किसानों में अशांति का कारण बना हुआ है वह किसानों को उनकी उपज का लागत आधारित मूल्य नहीं मिलना है. भारतीय किसान संघ का मत है कि किसान को आदान पूर्तिकर्ता, उसकी उपज का व्यापार करने वाले और उद्योग चलाने वाले, सभी तो फल फूल रहे हैं, सम्पन्न हो रहे हैं. फिर स्वयं किसान क्यों कर्जदार और गरीब से और गरीब होता जा रहा है?

बाजार भाव एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी सेकड़ों रुपये का अंतर है. सुरेश ठाकुर ने कहा कि किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं, लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य देना होगा. एक बार घोषित मूल्य के बाद उसके आदानों में होने वाली महंगाई के भुगतान के समय समायोजन करते हुए, महंगाई के अनुपात में वास्तविक मूल्य चुकाना होगा. घोषित मूल्य पर किसान की उपज बेची जानी चाहिए, फिर चाहे मंडी में, चाहे बाहर और चाहे सरकार खरीदे, लेकिन घोषित मूल्य से कम पर विक्रय को अपराध मानना होगा और यह सब केवल और केवल तब ही संभव है. जब इस बाबत कठोर कानून बने, भारत का किसान अपने राष्ट्रीय दायित्व को भी भली-भांति समझता है.

उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि, किसानों के हित को देखते हुए साकारात्मक कदम उठाया जाए या स्पष्ट किया जाए कि हमारी मांग कैसे अनुचित हैं और अगर दस दिन के भीतर सरकार की ओर से कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई तो भारतीय किसान संघ अगले कदम की ओर बढ़ेगा.

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