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हिमाचल पर 60 हजार करोड़ का कर्ज, फिर भी सचिवालय की मरम्मत पर खर्च कर दिए करोड़ों रुपये

हिमाचल सचिवालय की मरम्मत और साज-सज्जा पर सात करोड़ रुपये से अधिक का खर्च किया गया है. ये जानकारी हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र में सामने आई है. हिमाचल सरकार ने सचिवालय की मरम्मत पर 7 करोड़, 81 लाख, 71 हजार 381 रुपये खर्च कर दिए हैं.

हिमाचल सचिवालय
हिमाचल सचिवालय
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Published : Aug 8, 2021, 5:31 PM IST

Updated : Aug 8, 2021, 5:40 PM IST

शिमला: आर्थिक संसाधनों की कमी झेल रहा हिमाचल पहले से ही 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज में डूबा है, लेकिन सरकार एक-एक पैसे की अहमियत समझने को तैयार नहीं है. इसका उदाहरण सचिवालय की मरम्मत पर हो रहे खर्च से मिलता है.

सचिवालय की मरम्मत और साज-सज्जा पर सात करोड़ रुपये से अधिक का खर्च किया गया है. ये जानकारी हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र में सामने आई है. हिमाचल सरकार ने सचिवालय की मरम्मत पर 7 करोड़, 81 लाख, 71 हजार 381 रुपये खर्च कर दिए हैं. यही नहीं, मंत्रियों व अफसरों के कमरों के पर्दों पर ही छह लाख रुपये से अधिक की रकम खर्च कर दी गई. ये सब कोरोना काल में हुआ है.

दरअसल, भाजपा के वरिष्ठ विधायक और राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला ने सदन में इससे जुड़ा सवाल किया था. रमेश धवाला ने सचिवालय की इमारत की मरम्मत और अन्य मदों पर खर्च की गई राशि का ब्यौरा मांगा था. इस सवाल के लिखित जवाब में सरकार ने सदन में जानकारी दी कि दो साल में 30 जून 2021 तक सचिवालय प्रशासन ने एलर्जली व आर्म्जडेल बिल्डिंग पर सात करोड़ रुपये से अधिक की रकम खर्च की गई है. यह मरम्मत व निर्माण कार्य विभिन्न-विभिन्न फर्मों व एजेंसियों से करवाए गए हैं. इसके लिए सरकार ने 150 से अधिक एजेंसियों व फर्मों को काम सौंपा था.

यहां बता दें कि मौका मिलने पर भाजपा के विधायक रमेश धवाला अपनी ही सरकार की खिंचाई करने से नहीं चूकते हैं. फिलहाल, धवाला के प्रश्न के लिखित जवाब में जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार सरकार ने मंत्रियों व अफसरों के ऑफिस के पर्दे खरीदने में ही छह लाख रुपये से अधिक की रकम खर्च की है. पर्दे खरीदने के लिए कुल 6 लाख, 83 हजार 894 रुपये खर्च किए गए है. सात करोड़ से अधिक के इस पूरे खर्च में सचिवालय पुस्तकालय के लिए 3 सेंटर टेबल, 4 सोफा सेट व 45 चेयर भी खरीदी गई है. लिखित जवाब में बताया गया है कि सचिवालय के पुस्तकालय के लिए पहले 1993 में फर्नीचर खरीदा गया था, अब इसकी जगह नई खरीद हुई है.

खरीद पड़ोसी राज्यों की एजेंसी से भी हुई है. पर्दों की खरीद शिमला स्थित हरियाणा, पंजाब हैंडलूम व अन्य फर्मों से हुई है. यहां बता दें कि इससे पहले बजट सत्र में भी सरकार से सचिवालय की इमारत में खिड़कियों को बदलने में हुए खर्च की जानकारी मांगी गई थी. मार्च महीने में बजट सत्र में किए गए एक सवाल के जवाब में बताया गया था कि राज्य सचिवालय की आर्म्सडेल बिल्डिंग की खिड़कियों को बदलने के लिए 1.43 करोड़ रुपये से अधिक का ठेका दिया गया है.

सचिवालय की इस इमारत की ये खिड़कियां 38 साल से नहीं बदली गई थी. तब कांग्रेस विधायक इंद्रदत्त लखनपाल के इस सवाल पर सरकार ने लोक निर्माण विभाग को इस कार्य के लिए टेंडर आमंत्रित किए थे. टेंडर एक करोड़, 43 लाख, 80 हजार 972 रुपये में अवार्ड हुआ है. जवाब में बताया गया कि 38 साल पुरानी खिड़कियां बारिश के पानी से जंग लगने के कारण खराब हो रही थीं. खिड़कियां लगाने का कार्य सोलर पैसिव डिजाइन से हो रहा है. इससे प्रकाश की उचित व्यवस्था होगी.

ये भी पढ़ें: राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड का नाम बदलने पर धूमल ने दी प्रतिक्रिया, कही ये बात

शिमला: आर्थिक संसाधनों की कमी झेल रहा हिमाचल पहले से ही 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज में डूबा है, लेकिन सरकार एक-एक पैसे की अहमियत समझने को तैयार नहीं है. इसका उदाहरण सचिवालय की मरम्मत पर हो रहे खर्च से मिलता है.

सचिवालय की मरम्मत और साज-सज्जा पर सात करोड़ रुपये से अधिक का खर्च किया गया है. ये जानकारी हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र में सामने आई है. हिमाचल सरकार ने सचिवालय की मरम्मत पर 7 करोड़, 81 लाख, 71 हजार 381 रुपये खर्च कर दिए हैं. यही नहीं, मंत्रियों व अफसरों के कमरों के पर्दों पर ही छह लाख रुपये से अधिक की रकम खर्च कर दी गई. ये सब कोरोना काल में हुआ है.

दरअसल, भाजपा के वरिष्ठ विधायक और राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला ने सदन में इससे जुड़ा सवाल किया था. रमेश धवाला ने सचिवालय की इमारत की मरम्मत और अन्य मदों पर खर्च की गई राशि का ब्यौरा मांगा था. इस सवाल के लिखित जवाब में सरकार ने सदन में जानकारी दी कि दो साल में 30 जून 2021 तक सचिवालय प्रशासन ने एलर्जली व आर्म्जडेल बिल्डिंग पर सात करोड़ रुपये से अधिक की रकम खर्च की गई है. यह मरम्मत व निर्माण कार्य विभिन्न-विभिन्न फर्मों व एजेंसियों से करवाए गए हैं. इसके लिए सरकार ने 150 से अधिक एजेंसियों व फर्मों को काम सौंपा था.

यहां बता दें कि मौका मिलने पर भाजपा के विधायक रमेश धवाला अपनी ही सरकार की खिंचाई करने से नहीं चूकते हैं. फिलहाल, धवाला के प्रश्न के लिखित जवाब में जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार सरकार ने मंत्रियों व अफसरों के ऑफिस के पर्दे खरीदने में ही छह लाख रुपये से अधिक की रकम खर्च की है. पर्दे खरीदने के लिए कुल 6 लाख, 83 हजार 894 रुपये खर्च किए गए है. सात करोड़ से अधिक के इस पूरे खर्च में सचिवालय पुस्तकालय के लिए 3 सेंटर टेबल, 4 सोफा सेट व 45 चेयर भी खरीदी गई है. लिखित जवाब में बताया गया है कि सचिवालय के पुस्तकालय के लिए पहले 1993 में फर्नीचर खरीदा गया था, अब इसकी जगह नई खरीद हुई है.

खरीद पड़ोसी राज्यों की एजेंसी से भी हुई है. पर्दों की खरीद शिमला स्थित हरियाणा, पंजाब हैंडलूम व अन्य फर्मों से हुई है. यहां बता दें कि इससे पहले बजट सत्र में भी सरकार से सचिवालय की इमारत में खिड़कियों को बदलने में हुए खर्च की जानकारी मांगी गई थी. मार्च महीने में बजट सत्र में किए गए एक सवाल के जवाब में बताया गया था कि राज्य सचिवालय की आर्म्सडेल बिल्डिंग की खिड़कियों को बदलने के लिए 1.43 करोड़ रुपये से अधिक का ठेका दिया गया है.

सचिवालय की इस इमारत की ये खिड़कियां 38 साल से नहीं बदली गई थी. तब कांग्रेस विधायक इंद्रदत्त लखनपाल के इस सवाल पर सरकार ने लोक निर्माण विभाग को इस कार्य के लिए टेंडर आमंत्रित किए थे. टेंडर एक करोड़, 43 लाख, 80 हजार 972 रुपये में अवार्ड हुआ है. जवाब में बताया गया कि 38 साल पुरानी खिड़कियां बारिश के पानी से जंग लगने के कारण खराब हो रही थीं. खिड़कियां लगाने का कार्य सोलर पैसिव डिजाइन से हो रहा है. इससे प्रकाश की उचित व्यवस्था होगी.

ये भी पढ़ें: राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड का नाम बदलने पर धूमल ने दी प्रतिक्रिया, कही ये बात

Last Updated : Aug 8, 2021, 5:40 PM IST
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