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आगर दास को मिला उसकी मेहनत का फल, रोहड़ू मंडी में जेरोमाइन सेब को मिले अच्छे दाम

रोहड़ू के भूठ गांव के बागवान आगर दास करीब तीन वर्ष पहले उद्यान विभाग से सेवा निवृत्त हुए थे. उनके पास रॉयल डिलिसियस का पुराना बगीचा था जिसमें सेब सितंबर महीने में तैयार होता था. सेब की फसल देर से तैयार होने की वजह से उनको उनकी मेहनत के सही दाम नहीं मिल पाते थे.

jeromine apples
रोहड़ू मंडी में जेरोमाइन सेब
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Published : Aug 16, 2020, 5:41 PM IST

शिमला: रोहड़ू के भूठ गांव के बागवान आगर दास का तैयार किया गया सेब रोहड़ू मंडी मे 10 किलोग्राम का आधा बॉक्स 200 रू किलो बिका. वहीं, सेब की 20 किलोग्राम की पेटी 4 हजार रुपये में बिकी है.

रोहड़ू मंडी की अब तक की ये सबसे ऊंची कीमत है. रोहड़ू के भूठ गांव के बागवान आगर दास करीब तीन वर्ष पहले उद्यान विभाग से सेवानिवृत्त हुए थे. उनके पास रॉयल डिलीशियस का पुराना बगीचा था जिसमें सेब सितंबर महीने में तैयार होता था. सेब की फसल देर से तैयार होने की वजह से उनको उनकी मेहनत के सही दाम नहीं मिल पाते थे.

वीडियो रिपोर्ट

इसके बाद बागवान आगर दास ने निर्णय लिया कि इस पुराने बगीचे को विदेशी प्रजातियों में तबदील किया जाए जिससे उनको उनकी मेहनत का सही फल मिलेगा. आगर दास ने अपने पुराने रॉयल डिलीशियस के बगीचों को ग्राफटिंग करके जेरोमाइन विदेशी किस्म में चरणबद्ध तरीके से बदला. आज उनका पुराना बगीचा नई किस्म के विदेशी वैरायटी जैरोमाईन में बदल गया है. इस साल उनके बगीचे के फल मंडी में पहुंच गए हैं.

आगर दास के सेब को खरीदने के लिए रोहड़ू मंडी में आढ़तियों की भीड़ लग गई. उनके सेब 2 हजार प्रति बॉक्स में बिक गए. वहीं, आढ़तियों का मानना है कि अगर बागवान सही माल लाएंगे व जल्दबाजी में नहीं लाएंगे तो उनको फल के उचित दाम मिलेंगे.

ये भी पढ़ें: नाहन आयुर्वेदिक अस्पताल की पहली मंजिल कोविड-19 को समर्पित, छत पर होगी प्राकृतिक मड थैरेपी

ये भी पढ़ें: यूं ही हिमाचल को दूसरा घर नहीं कहते थे अटल, 1967 से देवभूमि आते रहे अटल बिहारी वाजपेयी

शिमला: रोहड़ू के भूठ गांव के बागवान आगर दास का तैयार किया गया सेब रोहड़ू मंडी मे 10 किलोग्राम का आधा बॉक्स 200 रू किलो बिका. वहीं, सेब की 20 किलोग्राम की पेटी 4 हजार रुपये में बिकी है.

रोहड़ू मंडी की अब तक की ये सबसे ऊंची कीमत है. रोहड़ू के भूठ गांव के बागवान आगर दास करीब तीन वर्ष पहले उद्यान विभाग से सेवानिवृत्त हुए थे. उनके पास रॉयल डिलीशियस का पुराना बगीचा था जिसमें सेब सितंबर महीने में तैयार होता था. सेब की फसल देर से तैयार होने की वजह से उनको उनकी मेहनत के सही दाम नहीं मिल पाते थे.

वीडियो रिपोर्ट

इसके बाद बागवान आगर दास ने निर्णय लिया कि इस पुराने बगीचे को विदेशी प्रजातियों में तबदील किया जाए जिससे उनको उनकी मेहनत का सही फल मिलेगा. आगर दास ने अपने पुराने रॉयल डिलीशियस के बगीचों को ग्राफटिंग करके जेरोमाइन विदेशी किस्म में चरणबद्ध तरीके से बदला. आज उनका पुराना बगीचा नई किस्म के विदेशी वैरायटी जैरोमाईन में बदल गया है. इस साल उनके बगीचे के फल मंडी में पहुंच गए हैं.

आगर दास के सेब को खरीदने के लिए रोहड़ू मंडी में आढ़तियों की भीड़ लग गई. उनके सेब 2 हजार प्रति बॉक्स में बिक गए. वहीं, आढ़तियों का मानना है कि अगर बागवान सही माल लाएंगे व जल्दबाजी में नहीं लाएंगे तो उनको फल के उचित दाम मिलेंगे.

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