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108 एंबुलेस सेवा पर लापरवाही का आरोप, शिमला में महिला को आया था पैरालिसिस अटैक

निजी वाहन से महिला को कराया गया आईजीएमसी में भर्ती. कॉल सेंटर पर तैनात कर्मी पहले तो टाल मटोल करते रहे, इसके बाद में उन्होंने कहा कि चालक नहीं है.

108 एंबुलेंस पर लापरवाही बरतने का आरोप.
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Published : Apr 3, 2019, 11:44 AM IST

शिमला: जिले में 108 एंबुलेंस की लापरवाही का मामला सामने आया है. दरअसल शहर के लालपानी में रहने वाली एक महिला को पैरालिसिस का अटैक आया था. परिजनों का आरोप है कि महिला को अस्पताल पहुंचाने के लिए 108 को फोन किया गया लेकिन एंबुलेस नहीं आयी. इसके बाद परिजनों ने मरीज को प्राइवेट गाड़ी से आईजीएमसी भर्ती कराया.

जानकारी के मुताबिक लालपानी में रहने वाली 52 वर्षीय उर्मिला शर्मा को पैरालिसिस का अटैक आया था. इस दौरान परिजनों ने 108 एंबुलेंस सेवा में एंबुलेंस के लिए फोन किया. आरोप है कि 108 वाले तो पहले टाल मटोल करते रहे, बाद में ड्राइवर नहीं होने की बात कही. इसके बाद परिजनों ने खुद एंबुलेंस के चालक से बात की तो उसने आधे घंटे में पहुंचने की बात कही. बाद में परिजनों ने महिला को प्राइवेट वाहन के जरिए आईजीएमसी पहुंचाना पड़ा. जहां महिला का उपचार चल रहा है.

108 एंबुलेंस पर लापरवाही बरतने का आरोप.

क्या कहते हैं परिजन
उर्मिला की बहन गीता शर्मा ने कहा कि उनकी बहन को जैसे ही पैरालिसिस का अटैक आया तो फौरन उन्होंने 108 एंबुलेंस सेवा को फोन किया. कॉल सेंटर पर तैनात कर्मी पहले तो टाल मटोल करते रहे, इसके बाद में उन्होंने कहा कि चालक नहीं है. बाद में जब चालक के नंबर पर बात की गई तो चालक ने कहा कि वह शोघी में है आने में आधा घंटा लग जाएगा. 108 एंबुलेंस सेवा जब इमरजेंसी में उनके काम नहीं आ सकती तो उसका क्या फायदा. निजी वाहन से बहन को आईजीएमसी ले जाया गया.

लापरवाही पड़ सकती थी भारी
108 एंबुलेंस सेवा की लापरवाही मरीज को भारी पड़ सकती थी. पैरालिसिस का अटैक आने पर चार घंटे के भीतर ही इंजेक्शन लगाना जरूरी होता है. देरी हो जाने पर मरीज के ठीक होने के चांस कम हो जाते हैं. आपको बता दें कि लालपानी से आईजीएमसी पहुंचने में 20 से 25 मिनट मुश्किल से लगते हैं.

वहीं, इस संबंध में जब 108 एंबुलेंस के शिमला इंचार्ज आकाशदीप से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लायी जाएगी.

शिमला: जिले में 108 एंबुलेंस की लापरवाही का मामला सामने आया है. दरअसल शहर के लालपानी में रहने वाली एक महिला को पैरालिसिस का अटैक आया था. परिजनों का आरोप है कि महिला को अस्पताल पहुंचाने के लिए 108 को फोन किया गया लेकिन एंबुलेस नहीं आयी. इसके बाद परिजनों ने मरीज को प्राइवेट गाड़ी से आईजीएमसी भर्ती कराया.

जानकारी के मुताबिक लालपानी में रहने वाली 52 वर्षीय उर्मिला शर्मा को पैरालिसिस का अटैक आया था. इस दौरान परिजनों ने 108 एंबुलेंस सेवा में एंबुलेंस के लिए फोन किया. आरोप है कि 108 वाले तो पहले टाल मटोल करते रहे, बाद में ड्राइवर नहीं होने की बात कही. इसके बाद परिजनों ने खुद एंबुलेंस के चालक से बात की तो उसने आधे घंटे में पहुंचने की बात कही. बाद में परिजनों ने महिला को प्राइवेट वाहन के जरिए आईजीएमसी पहुंचाना पड़ा. जहां महिला का उपचार चल रहा है.

108 एंबुलेंस पर लापरवाही बरतने का आरोप.

क्या कहते हैं परिजन
उर्मिला की बहन गीता शर्मा ने कहा कि उनकी बहन को जैसे ही पैरालिसिस का अटैक आया तो फौरन उन्होंने 108 एंबुलेंस सेवा को फोन किया. कॉल सेंटर पर तैनात कर्मी पहले तो टाल मटोल करते रहे, इसके बाद में उन्होंने कहा कि चालक नहीं है. बाद में जब चालक के नंबर पर बात की गई तो चालक ने कहा कि वह शोघी में है आने में आधा घंटा लग जाएगा. 108 एंबुलेंस सेवा जब इमरजेंसी में उनके काम नहीं आ सकती तो उसका क्या फायदा. निजी वाहन से बहन को आईजीएमसी ले जाया गया.

लापरवाही पड़ सकती थी भारी
108 एंबुलेंस सेवा की लापरवाही मरीज को भारी पड़ सकती थी. पैरालिसिस का अटैक आने पर चार घंटे के भीतर ही इंजेक्शन लगाना जरूरी होता है. देरी हो जाने पर मरीज के ठीक होने के चांस कम हो जाते हैं. आपको बता दें कि लालपानी से आईजीएमसी पहुंचने में 20 से 25 मिनट मुश्किल से लगते हैं.

वहीं, इस संबंध में जब 108 एंबुलेंस के शिमला इंचार्ज आकाशदीप से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लायी जाएगी.


शिमला में हाम्फी 108 एम्बुलेन्स , पैरालाइसिस के  अटैक के।मरीज़ को लाने से किया मना
शिमला।

लालपानी की 52 वर्षीय उर्मिला शर्मा काे साेमवार रात करीब 9 बजे पैरालाइसिस का अटैक अाया। इस दाैरान परिजनाें ने तुरंत 108 एंबुलेंस सेवा में एंबुलेंस के लिए फाेन किया। 108 पर पहले ताे टाल मटाेल करते रहे, बाद में उन्हाेंने कहा कि उनके पास ड्राइवर नहीं है अाैर एंबुलेंस नहीं अाएगी। इस दाैरान परिजनाें ने खुद चालक से संपर्क किया ताे चालक ने कहा कि वह शाेघी में है अाैर वहां से अाने ले अाधा घंटा लगेगा। बाद में परिजनाें काे प्राइवेट गाड़ी करके अाईजीएमसी पहुंचना पड़ा। महिला अभी अाईजीएमसी में एडमिट है। 108 एंबुलेंस की अाेर से इमरजेंसी में सेवाएं देने से इंकार करने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी 108 एंबुलेंस प्रबंधन कई मरीजाें काे इमरजेंसी में इंकार कर चुकी है।

क्या कहते हैं परिजन
पेशेंट उर्मिला की बहन गीता शर्मा ने कहा कि उनकी बहन काे जैसे ही पैरालाइसिस का अटैक अाया ताे तुरंत उन्हाेंन 108 एंबुलेंस सेवा काे फाेन किया। उन्हाेंने कहा कि काॅल सेंटर पर तैनात कर्मी पहले ताे टाल मटाेल करते रहे, मगर बाद में उन्हाेंने कहा कि चालक नहीं है। उन्हाेंने कहा कि उनकी जब उन्हाेंने चालक का नंबर लेकर पता किया ताे चालक ने कहा कि वह शाेघी है, अाघा घंटा लग पाएगा। महिला ने अाराेप लगाया कि 108 एंबुलेंस सेवा जब इमरजेंसी में उनके काम नहीं अा सकती ताे उसका क्या फायदा। उन्हाेंने कहा कि उनकी बहन काे पैरालाइसिस का अटैक अाया था। एेसे में वह इमरजेंसी में निजी गाड़ी करके ही अाईजीएमसी ले गए। अभी भी उनकी बहन की हालत काफी नाजूक है। वह अाईसीयू में है। 

लापरवाही पड़ सकती थी भारी
108 एंबुलेंस सेवा की लापरवाही मरीज काे भारी पड़ सकती थी। पैरालाइसिस का अटैक अाने पर चार घंटे के भीतर ही इंजेक्शन लगाना जरूरी हाेता है। यदि इसके लिए देरी हाे जाए ताे मरीज के ठीक हाेने के चांस कम हाे जाते हैं। गनीमत रही कि लालपानी में अटैक अाने पर परिजन 108 के भराेस नहीं रहे अन्यथा कुछ भी हाे सकता था। हालांकि लालपानी से अाईजीएमसी पहुंचने में 20 से 25 मिनट भी नहीं लगते। यदि दूर का मामला हाेता ताे शायद 108 एंबुलेंस की वजह से मरीज परेशानी में अा सकता था।  
इस संबंध में 108एम्बुलेम्स शिमला के इंचार्ज आकाशदीप ने कहा कि मामले में जाँच की जायेगी

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