शिमला: जिले में 108 एंबुलेंस की लापरवाही का मामला सामने आया है. दरअसल शहर के लालपानी में रहने वाली एक महिला को पैरालिसिस का अटैक आया था. परिजनों का आरोप है कि महिला को अस्पताल पहुंचाने के लिए 108 को फोन किया गया लेकिन एंबुलेस नहीं आयी. इसके बाद परिजनों ने मरीज को प्राइवेट गाड़ी से आईजीएमसी भर्ती कराया.
जानकारी के मुताबिक लालपानी में रहने वाली 52 वर्षीय उर्मिला शर्मा को पैरालिसिस का अटैक आया था. इस दौरान परिजनों ने 108 एंबुलेंस सेवा में एंबुलेंस के लिए फोन किया. आरोप है कि 108 वाले तो पहले टाल मटोल करते रहे, बाद में ड्राइवर नहीं होने की बात कही. इसके बाद परिजनों ने खुद एंबुलेंस के चालक से बात की तो उसने आधे घंटे में पहुंचने की बात कही. बाद में परिजनों ने महिला को प्राइवेट वाहन के जरिए आईजीएमसी पहुंचाना पड़ा. जहां महिला का उपचार चल रहा है.
क्या कहते हैं परिजन
उर्मिला की बहन गीता शर्मा ने कहा कि उनकी बहन को जैसे ही पैरालिसिस का अटैक आया तो फौरन उन्होंने 108 एंबुलेंस सेवा को फोन किया. कॉल सेंटर पर तैनात कर्मी पहले तो टाल मटोल करते रहे, इसके बाद में उन्होंने कहा कि चालक नहीं है. बाद में जब चालक के नंबर पर बात की गई तो चालक ने कहा कि वह शोघी में है आने में आधा घंटा लग जाएगा. 108 एंबुलेंस सेवा जब इमरजेंसी में उनके काम नहीं आ सकती तो उसका क्या फायदा. निजी वाहन से बहन को आईजीएमसी ले जाया गया.
लापरवाही पड़ सकती थी भारी
108 एंबुलेंस सेवा की लापरवाही मरीज को भारी पड़ सकती थी. पैरालिसिस का अटैक आने पर चार घंटे के भीतर ही इंजेक्शन लगाना जरूरी होता है. देरी हो जाने पर मरीज के ठीक होने के चांस कम हो जाते हैं. आपको बता दें कि लालपानी से आईजीएमसी पहुंचने में 20 से 25 मिनट मुश्किल से लगते हैं.
वहीं, इस संबंध में जब 108 एंबुलेंस के शिमला इंचार्ज आकाशदीप से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लायी जाएगी.