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वित्तीय मोर्चे पर राहत, अब साल में 7000 करोड़ का लोन ले सकेगी हिमाचल सरकार

हिमाचल प्रदेश के लिए नए वित्तीय वर्ष में एक और राहत की खबर है. प्रदेश सरकार अब साल भर में 7000 करोड़ रुपए का लोन ले सकेगी. वित्तायोग की एक सिफारिश से ऐसा संभव हुआ है. इस बार कर्ज लेने की सीमा 1800 करोड़ रुपए बढ़ने से जयराम सरकार का कुछ बोझ जरूर हल्का होगा. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 15वें वित्तायोग की ओर से हिमाचल की आर्थिकी की चिंता करने के लिए आभार जताया है.

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Published : Feb 8, 2021, 2:09 PM IST

शिमलाः कर्ज के बोझ तले डूबे हिमाचल प्रदेश के लिए नए वित्तीय वर्ष में एक और राहत की खबर है. प्रदेश सरकार अब साल भर में 7000 करोड़ रुपए का लोन ले सकेगी. वित्तायोग की एक सिफारिश से ऐसा संभव हुआ है.

प्रदेश सरकार की कर्ज की लिमिट 7000 करोड़

पंद्रहवें वित्तायोग ने सिफारिश की है कि हिमाचल की कर्ज लेने की लिमिट एक फीसदी बढ़ा दी जाए. यानी तीन फीसदी से चार फीसदी कर दी जाए. ऐसे में प्रदेश सरकार की वित्तीय वर्ष में कर्ज की लिमिट इस बार सात हजार करोड़ रुपए बन सकती है.

सालाना कर्ज लिमिट तीन फीसदी

वहीं, पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले ये 1800 करोड़ रुपए ज्यादा होगी. पहले ये लिमिट 5200 करोड़ रुपए थी. प्रदेश सरकार अपनी जीडीपी का तीन फीसदी कर्ज ले सकती है. दूसरे शब्दों में कहें तो राज्य सरकार की सालाना कर्ज लिमिट अपनी जीडीपी की तीन फीसदी रहती है.

कर्ज लिमिट बढ़ाने पर रखी शर्त

अब वित्तायोग की सिफारिश से ये चार फीसदी हो सकेगी. बेशक पंद्रहवें वित्तायोग ने राज्य की कर्ज लिमिट को एक फीसदी बढ़ाने की सिफारिश की है, लेकिन एक शर्त भी रखी है. ये शर्त हालांकि, हिमाचल सरकार आसानी से पूरा कर सकती है.

पर्यटन सेक्टर को विकसित करने की शर्त

वित्तायोग ने शर्त रखी है कि हिमाचल को अपने पर्यटन सेक्टर को और विकसित करना होगा. इस समय हिमाचल में साल भर में पौने दो करोड़ सैलानी सैर को आते हैं. यदि नए पर्यटन क्षेत्र विकसित हों तो सैलानियों की आमद का आंकड़ा भी दो करोड़ पार कर जाएगा.

रेवेन्यू डेफेसिट ग्रांट को जारी रखना

हिमाचल के नए पर्यटन डेस्टीनेशन की ब्रांडिंग भी संभव होगी. फिलहाल, 15वें वित्तायोग ने हिमाचल को इस बार बहुत सी राहतें दी हैं. उनमें से बड़ी राहत तो रेवेन्यू डेफेसिट ग्रांट को जारी रखना था. इसके जारी रहने से प्रदेश सरकार को सालाना 900 करोड़ रुपए मिलेंगे.

कर्मचारियों के वेतन, पैंशन का खर्च 1200 करोड़

इसके अलावा वित्तायोग ने सिफारिश की है कि हिमाचल की कर्ज लेने की लिमिट को जीडीपी के तीन फीसदी से बढ़ाकर चार फीसदी कर दिया जाए. हिमाचल के हिसाब से देखा जाए तो यहां हर महीने कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्ज की पैंशन का ही खर्च 1200 करोड़ रुपए के करीब है.

विकास कार्यों के लिए धन की जरूरत

हालांकि, रेवेन्यू डेफेसिट ग्रांट जारी रहने से जयराम सरकार को वेतन व पेंशन की ज्याद चिंता नहीं रहेगी, लेकिन विकास कार्यों के लिए धन की जरूरत है. यही कारण है कि राज्य सरकार को वित्तीय वर्ष की हर तिमाही में लोन लेना पड़ता है.

15वें वित्तायोग मुख्यमंत्री ने जताया अभार

इस बार कर्ज लेने की सीमा 1800 करोड़ रुपए बढ़ने से जयराम सरकार का कुछ बोझ जरूर हल्का होगा. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 15वें वित्तायोग की ओर से हिमाचल की आर्थिकी की चिंता करने के लिए आभार जताया है.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में आपदा के बाद हिमाचल में बढ़ाई गई सतर्कता, ग्लेशियरों और कृत्रिम झील वाले जिलों में अलर्ट

शिमलाः कर्ज के बोझ तले डूबे हिमाचल प्रदेश के लिए नए वित्तीय वर्ष में एक और राहत की खबर है. प्रदेश सरकार अब साल भर में 7000 करोड़ रुपए का लोन ले सकेगी. वित्तायोग की एक सिफारिश से ऐसा संभव हुआ है.

प्रदेश सरकार की कर्ज की लिमिट 7000 करोड़

पंद्रहवें वित्तायोग ने सिफारिश की है कि हिमाचल की कर्ज लेने की लिमिट एक फीसदी बढ़ा दी जाए. यानी तीन फीसदी से चार फीसदी कर दी जाए. ऐसे में प्रदेश सरकार की वित्तीय वर्ष में कर्ज की लिमिट इस बार सात हजार करोड़ रुपए बन सकती है.

सालाना कर्ज लिमिट तीन फीसदी

वहीं, पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले ये 1800 करोड़ रुपए ज्यादा होगी. पहले ये लिमिट 5200 करोड़ रुपए थी. प्रदेश सरकार अपनी जीडीपी का तीन फीसदी कर्ज ले सकती है. दूसरे शब्दों में कहें तो राज्य सरकार की सालाना कर्ज लिमिट अपनी जीडीपी की तीन फीसदी रहती है.

कर्ज लिमिट बढ़ाने पर रखी शर्त

अब वित्तायोग की सिफारिश से ये चार फीसदी हो सकेगी. बेशक पंद्रहवें वित्तायोग ने राज्य की कर्ज लिमिट को एक फीसदी बढ़ाने की सिफारिश की है, लेकिन एक शर्त भी रखी है. ये शर्त हालांकि, हिमाचल सरकार आसानी से पूरा कर सकती है.

पर्यटन सेक्टर को विकसित करने की शर्त

वित्तायोग ने शर्त रखी है कि हिमाचल को अपने पर्यटन सेक्टर को और विकसित करना होगा. इस समय हिमाचल में साल भर में पौने दो करोड़ सैलानी सैर को आते हैं. यदि नए पर्यटन क्षेत्र विकसित हों तो सैलानियों की आमद का आंकड़ा भी दो करोड़ पार कर जाएगा.

रेवेन्यू डेफेसिट ग्रांट को जारी रखना

हिमाचल के नए पर्यटन डेस्टीनेशन की ब्रांडिंग भी संभव होगी. फिलहाल, 15वें वित्तायोग ने हिमाचल को इस बार बहुत सी राहतें दी हैं. उनमें से बड़ी राहत तो रेवेन्यू डेफेसिट ग्रांट को जारी रखना था. इसके जारी रहने से प्रदेश सरकार को सालाना 900 करोड़ रुपए मिलेंगे.

कर्मचारियों के वेतन, पैंशन का खर्च 1200 करोड़

इसके अलावा वित्तायोग ने सिफारिश की है कि हिमाचल की कर्ज लेने की लिमिट को जीडीपी के तीन फीसदी से बढ़ाकर चार फीसदी कर दिया जाए. हिमाचल के हिसाब से देखा जाए तो यहां हर महीने कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्ज की पैंशन का ही खर्च 1200 करोड़ रुपए के करीब है.

विकास कार्यों के लिए धन की जरूरत

हालांकि, रेवेन्यू डेफेसिट ग्रांट जारी रहने से जयराम सरकार को वेतन व पेंशन की ज्याद चिंता नहीं रहेगी, लेकिन विकास कार्यों के लिए धन की जरूरत है. यही कारण है कि राज्य सरकार को वित्तीय वर्ष की हर तिमाही में लोन लेना पड़ता है.

15वें वित्तायोग मुख्यमंत्री ने जताया अभार

इस बार कर्ज लेने की सीमा 1800 करोड़ रुपए बढ़ने से जयराम सरकार का कुछ बोझ जरूर हल्का होगा. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 15वें वित्तायोग की ओर से हिमाचल की आर्थिकी की चिंता करने के लिए आभार जताया है.

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